मणिपुर हिंसा: बिष्णुपुर में मैतई महिलाओं और सुरक्षा बलों के बीच झड़प, 17 लोग घायल
मणिपुर के बिष्णुपुर जिले में गुरुवार को सशस्त्र बलों और मैतेई समुदाय के प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प में कम से कम 17 लोग घायल हो गए। बताया जा रहा है कि सशस्त्र बलों और पुलिस को जिले के कांगवई और फौगाकचाओ इलाकों में प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए हवाई फायरिंग और आंसू गैस के गोले दागने पड़े। इस झड़प के बाद प्रशासन ने इंफाल और पश्चिमी इंफाल में कर्फ्यू में दी गई ढील वापस ले ली है।
मैतई महिलाओं ने सुरक्षा बलों पर किया पथराव
इंडिया टुडे की रिपोर्ट्स के अनुसार, बिष्णुपुर जिले में आज यह घटना तब हुई जब मैतेई समुदाय की महिलाओं ने बैरिकेडिंग को पार करने का प्रयास किया। उन्हें असम राइफल्स और त्वरित प्रतिक्रिया बल (RAF) के जवानों ने रोकने की कोशिश की। इससे नाराज होकर महिलाएं सशस्त्र बलों पर पथराव करने लगीं। हिंसा की किसी अन्य घटना को रोकने के लिए इलाके में बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात हैं।
शवों को सामूहिक रूप से दफनाने का कार्यक्रम टला
इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) के मुताबिक, गुरुवार को चुराचांदपुर जिले के लम्का शहर के तुईबोंग शांति मैदान में कुकी-जोमी समुदाय के शवों को दफनाने का कार्यक्रम होना था, लेकिन मणिपुर हाई कोर्ट ने इस जगह पर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है। दरअसल, मणिपुर हिंसा में मारे गए लोगों के कुछ शव इंफाल और चुराचांदपुर के अस्पतालों के मुर्दाघरों में रखे हुए हैं। इन 35 शवों को सामूहिक रूप से दफनाया जाना था।
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य पुलिस को लगाई थी फटकार
इससे पहले 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में मणिपुर हिंसा मामले की सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि राज्य में हालात सुधारने में संवैधानिक मशीनरी फेल हुई है। कोर्ट ने कहा था कि मणिपुर में हालात पुलिस के नियंत्रण से बाहर हो गए हैं और महिलाओं को निर्वस्त्र घुमाए जाने के मामले में पुलिस ने FIR देरी से दर्ज की। अब अगली सुनवाई 7 अगस्त होनी है।
मणिपुर में 3 महीने से हिंसा जारी
मणिपुर हिंसा को आज 3 महीने हो चुके हैं। यहां 3 मई को कुकी समुदाय ने गैर-आदिवासी मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) का दर्जा दिए जाने के खिलाफ एकजुटता मार्च निकाला था, जिसके बाद हिंसा भड़क गई थी। हिंसाग्रस्त राज्य में अब तक 160 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि हजारों लोग बेघर हो चुके हैं। हिंसा मामले में विपक्ष संसद में अब सरकार से किसी भी नियम के तहत चर्चा करने को तैयार है।