सरकारी अस्पतालों में मौतों का ठीकरा निजी अस्पतालों पर फोड़ सकती है महाराष्ट्र सरकार- रिपोर्ट
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के डॉ शंकरराव चव्हाण सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में 48 घंटे के अंदर 31 मरीजों की मौत के बाद से राज्य सरकार सवालों के घेरे में हैं। अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इन मौतों के लिए राज्य सरकार निजी अस्पतालों की लंबी छुट्टी को जिम्मेदार ठहरा सकती है। बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस मामले में एकनाथ शिंदे की सरकार से विस्तृत जानकारी मांगी है।
हाई कोर्ट से क्या कह सकती है सरकार?
मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने NDTV को बताया कि बॉम्बे हाई कोर्ट के सामने अपने हलफनामे में महाराष्ट्र सरकार इन मौतों के लिए निजी स्वास्थ्य इकाइयों को जिम्मेदार ठहरा सकती है। सूत्रों के अनुसार, सरकार हाई कोर्ट को बता सकती है कि नांदेड़ के सरकारी अस्पताल के पास स्टाफ कम था और छुट्टियों के कारण निजी अस्पतालों से गंभीर मरीजों को सरकारी अस्पतालों में रेफर किया गया था, जिनमें 10 नवजात भी शामिल थे।
महाराष्ट्र के 4 सरकारी अस्पतालों में 3 दिन के अंदर 74 मरीजों की मौत
बता दें कि 3 दिनों में महाराष्ट्र के 3 जिलों के 4 सरकारी अस्पतालों में 74 लोगों की मौत हो चुकी है। नांदेड़ के अस्पताल में 48 घंटे में 31 मौतों के बाद बुधवार को नागपुर के सरकारी अस्पतालों में भी 25 मरीजों की मौत हुई थी। इसके अलावा छत्रपति संभाजीनगर में एक सरकारी अस्पताल में 2 अक्टूबर को सुबह 8 बजे से 3 अक्टूबर को सुबह 8 बजे के बीच 2 नवजात सहित कुल 18 मरीजों की मौत हुई।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने लिया था घटना का स्वत: संज्ञान
सरकारी अस्पतालों में इन मौतों का स्वतः संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से स्वास्थ्य के लिए आवंटित बजट और अन्य संबंधित सुविधाओं की विस्तृत जानकारी मांगी है। मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ ने वकील मोहित खन्ना के पत्र पर संज्ञान लेते कहा था, "अगर स्टाफ और दवाओं की कमी के कारण मौतें होती हैं तो इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है।"
महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री ने मौतों पर क्या कहा?
सरकारी अस्पतालों में मौतों पर महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रीफ ने कहा था, "जिन नवजात शिशुओं की मौत हुई, उनमें से 10 निजी अस्पतालों से सरकारी अस्पताल में लाए गए थे। जब उन्हें लाया गया था, तब उनकी स्थिति काफी गंभीर थी।" उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने एक समिति बनाई है और प्रत्येक मौत का ऑडिट कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन सभी बातों को कोर्ट के सामने रखा जाएगा।
नांदेड़ अस्पताल में बेहद खराब हालात, सफाई तक का ख्याल नहीं
बता दें नांदेड़ जिले के जिस शंकरराव चव्हाण अस्पताल से मौतों का ये सिलसिला शुरू हुआ था, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक वहां स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ साफ-सफाई में लापरवाही बरती जा रही है। प्लास्टिक की बोतलों और रैपरों से नालियां जाम हैं और खुले नाले में सुअर घूम रहे हैं। अस्पताल में सफाई करने वाली एक महिला ने कहा कि यहां हर रोज ऐसा ही होता है। अब सरकारी महकमा इस मामले के बाद से हरकत में आ गया है।