सलमान की सुरक्षा में इजाफा: सरकारें कैसे तय करती हैं किसी व्यक्ति की सुरक्षा का स्तर?
महाराष्ट्र सरकार ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई गिरोह की ओर से दी गई धमकी को देखते हुए मंगलवार को बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की सुरक्षा में इजाफा किया है। अब उन्हें X की जगह Y+ श्रेणी की सुरक्षा दी जाएगी। इसी तरह अभिनेता अक्षय कुमार और अनुपम खेर की सुरक्षा को भी मजबूत करते हुए X श्रेणी की सुरक्षा देने का फैसला किया है। ऐसे में आइए जानते हैं कि सरकारें किसी व्यक्ति की सुरक्षा का स्तर कैसे तय करती है।
कौन करता है किसी की सुरक्षा का निर्णय?
राज्यों के मामले में राज्य सरकार है और केंद्र के मामले में गृह मंत्रालय (MHA) किसी व्यक्ति को आवश्यक सुरक्षा का निर्णय करता है। राज्य सरकारें और MHA इंटेलिजेंस ब्यूरो और रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) जैसी खुफिया एजेंसियों के इनपुट के आधार पर किसी व्यक्ति को सुरक्षा देने का निर्णय करते हैं। ये एजेंसियां अपने स्रोतों से प्राप्त जानकारी के आधार पर आतंकवादियों या किसी अन्य समूह से व्यक्ति की जान को खतरा होने की रिपोर्ट देती है।
राज्य सरकार और MHA से किसे मिलती है सुरक्षा?
केंद्र और राज्य द्वारा उन लोगों को सुरक्षा दी जाती है जो सरकार या समाज में विशेष महत्व रखते हैं। इन लोगों को विशेष व्यक्ति (VIP) की श्रेणी में रखा जाता है। इसी तरह उच्च स्तरीय सरकारी अधिकारियों को उनके पदों के कारण स्वचालित रूप से सुरक्षा दी जाती है। MHA आमतौर पर लोगों को सुरक्षा देने का इच्छुक नहीं रहता है। यही कारण है कि बड़ी संख्या में VIP लोगों को राज्य सरकारों द्वारा सुरक्षा मुहैया कराई जाती है।
किसी को सुरक्षा देने के क्या है मानदंड?
किसी व्यक्ति को सुरक्षा देने के लिए सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट के अलावा अन्य कोई मानदंड नहीं है। सरकार की ओर से दी जाने वाली सुरक्षा को लेकर कई बार आलोचनाएं भी होती रही है। आलोचकों का कहना है कि सरकारें राजनीतिक फायदे के लिए कुछ लोगों को सुरक्षा देती है। देश के कई हिस्सों में VIP सुरक्षा को स्टेटस सिंबल के रूप में देखा जाता है। लोग अपने राजनीतिक संबंधों का फायदा उठाकर यह सुरक्षा हासिल कर लेते हैं।
सुरक्षा देने पर हुई थी केंद्र सरकार की आलोचना
केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश और पंजाब के 25 भाजपा नेताओं और पिछले साल पश्चिम बंगाल में 77 नेताओं को केंद्रीय सुरक्षा मुहैया कराई थी। इसके चलते सरकार को आलोचना का सामना करना पड़ा था।
अन्य लोगों को क्यों दी जाती है सुरक्षा?
महाराष्ट्र सरकार ने सलमान खान, अक्षय कुमार और अनुपम खेर जैसे दिग्गज बॉलीवुड अभिनेताओं की जान को वास्तव में खतरा मानकर सुरक्षा दी है, लेकिन अभिनेत्री कंगना रनौत को सितंबर 2020 में MHA द्वारा दी गई Y+ सुरक्षा देने पर शिवसेना ने आलोचना की थी। इसी तरह अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को JNU छात्रों के समर्थन में खड़े होने के बाद मिली धमकियों के बाद भी सुरक्षा नहीं दी गई थी। ऐसे में यह सरकार की दोहरी नीति दर्शाता है।
सरकारों की ओर से कितनी श्रेणी की सुरक्षा दी जाती है?
सरकारों द्वारा छह श्रेणियों में सुरक्षा दी जाती है। इनमें X, Y, Y+, Z, Z+ और विशेष सुरक्षा समूह (SPG) शामिल है। SPG सुरक्षा केवल प्रधानमंत्री को मिलती है। अन्य श्रेणी की सुरक्षा किसी को भी दी जा सकती है। X श्रेणी में एक सुरक्षाकर्मी, Y में एक गनमैन है और आवास के लिए 6 घंटे के रोटेशन के आधार पर चार सुरक्षाकर्मी होते हैं। Y+ श्रेणी में आवागमन पर दो गनमैन और निवास के लिए चार सुरक्षाकर्मी होते हैं।
Z और Z+ श्रेणी में क्या मिलती है सुरक्षा?
Z श्रेणी में आवागमन के लिए छह गनमैन और निवास की सुरक्षा के लिए हर समय दो के हिसाब से रोटेशन में कुल आठ सुरक्षाकर्मी होते हैं। Z+ में आवागमन के लिए 10 गैनमैन और निवास के लिए रोटेशन में कुल आठ सुरक्षाकर्मी मिलते हैं।
VIP सुरक्षा में किन बलों की होती है तैनाती?
प्रधानमंत्री के अलावा केंद्र की ओर से अन्य VIP को दी जाने वाली सुरक्षा में राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के जवानों की तैनाती को अनिवार्य किया गया है। इससे उनकी सुरक्षा को काफी मजबूती मिलती है। हालांकि, यदि कोई राज्य अपने स्तर पर किसी VIP को सुरक्षा प्रदान करता है तो उस राज्य की पुलिस सुरक्षा की जिम्मेदारी उठाती है।
निजी VIP की सुरक्षा का खर्च कौन उठाता है?
जिस किसी VIP को सरकार खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट के आधार पर सुरक्षा मुहैया कराती है तो उसकी लागत केंद्र या राज्य सरकारें वहन करती हैं। हालांकि, Z और Z+ सुरक्षा वाले VIP को तैनात सुरक्षाकर्मियों के रहने की व्यवस्था करनी होती है। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश पी सदाशिवम ने 2014 में सेवानिवृत्ति के बाद सरकार द्वारा दी गई सुरक्षा से इनकार कर दिया था। इसका कारण था कि पैतृक घर में सुरक्षाकर्मियों को रखने की जगह नहीं थी।
निजी लोगों से सुरक्षा का खर्च मांग सकती है सरकार
मुफ्त सुरक्षा किसी भी VIP का अधिकार नहीं है। ऐसे में सरकारें खतरे का आकलन करने के बाद भी सुरक्षा के लिए किसी निजी व्यक्ति सुरक्षा का भुगतान करने के लिए बोल सकती है। उद्योगपति मुकेश अंबानी को IB की रिपोर्ट के आधार पर 2013 में Z+ श्रेणी की CRPF सुरक्षा दी गई थी, लेकिन सरकार ने अपने आदेश में CRPF से अंबानी को सुरक्षा देने के लिए 15 लाख रुपये हर महीने भुगतान लेने को कहा था।