महाराष्ट्र: अब नागपुर के 2 सरकारी अस्पतालों में 24 घंटे में 25 मरीजों की मौत
महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले के शंकरराव चव्हाण अस्पताल के बाद अब नागपुर के सरकारी अस्पताल में भी बड़ी संख्या में मरीजों की मौत हुई है। नागपुर के सरकारी अस्पतालों में पिछले 24 घंटों में 25 मरीजों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े 2 अलग-अलग सरकारी अस्पतालों के हैं। इससे पहले छत्रपति संभाजीनगर (पहले औरंगाबाद) के एक सरकारी अस्पताल में पिछले 24 घंटे में 18 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
किस अस्पताल में कितनी मौतें हुईं?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, नागपुर के सरकारी अस्पताल में 16 और इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज (मेयो अस्पताल) में 9 मरीजों की मौत हुई। नागपुर अस्पताल प्रशासन का कहना है कि निजी अस्पताल के विपरीत उन्हें सभी को भर्ती करना पड़ता है और इस वजह से मरने वालों की संख्या अधिक है। बता दें कि नागपुर उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत कई बड़े नेताओं का गृहनगर है।
NCP ने साधा राज्य सरकार पर निशान
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) की सांसद सुप्रिया सुले ने मामले पर कहा, "ठाणे, नांदेड़ और छत्रपति संभाजीनगर (घटनाओं) के बाद अब नागपुर में भी 25 मरीजों की मौत हो गई। मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री के पास नई दिल्ली जाने का समय है, लेकिन इन अस्पतालों का दौरा करने का समय नहीं है।" उन्होंने आरोप लगाया कि इन नेताओं के लिए महाराष्ट्र के लोगों की जान की कोई कीमत नहीं है और चिकित्सा आपूर्ति की कमी है।
तीनों दिनों में 4 सरकारी अस्पतालों में हुई कुल 74 मरीजों की मौत
इससे पहले छत्रपति संभाजीनगर में एक सरकारी अस्पताल में 2 अक्टूबर को सुबह 8 बजे से 3 अक्टूबर को सुबह 8 बजे के बीच 2 नवजात सहित कुल 18 मरीजों की मौत हुई। उससे पहले नांदेड़ के अस्पताल में 48 घंटे के अंदर 31 मरीजों की मौत हुई। इस तरह पिछले 3 दिनों मे 3 जिलों के 4 सरकारी अस्पतालों में विभिन्न खामियों के कारण लगभग 30 नवजात सहित कम से कम 74 लोगों की मौत हो चुकी है।
दवा की कमी के कारण हो रही सरकारी अस्पतालों में मरीजों की मौत
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि खरीद प्रक्रिया में समस्या के कारण पूरे महाराष्ट्र में सरकारी अस्पतालों को दवाओं की भारी कमी हो रही है। इसी कारण मरीजों की मौत हो रही है। महाराष्ट्र मेडिकल गुड्स प्रोक्योरमेंट अथॉरिटी एक्ट इस साल मार्च में पारित हो गया, लेकिन अभी तक लागू नहीं हुआ है। नियमों में कई बदलाव के कारण हाफकिन बायोफार्मास्युटिकल को आपूर्ति बाधित हुई है , जो राज्य के अस्पतालों में दवाएं भेजती है।
नांदेड़ अस्पताल में बेहद खराब हालात, सफाई तक का ख्याल नहीं
नांदेड़ जिले के जिस शंकरराव चव्हाण अस्पताल से मौतों का ये सिलसिला शुरू हुआ, NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार वहां स्वास्थ्य सुविधाओं के साथ-साथ साफ-सफाई में लापरवाही बरती जा रही है। प्लास्टिक की बोतलों और रैपरों ने नालियां जाम कर रखी हैं और खुले नाले में सुअर घूम रहे हैं। अस्पताल में सफाई करने वाली एक महिला ने कहा कि यहां हर रोज ऐसा ही होता है।
अस्पताल में सुविधा के नाम पर कुछ नहीं
मीडिया से बातचीत में अस्पताल में भर्ती एक मरीज के परिजन ने कहा, "यहां कुछ भी उपलब्ध नहीं है। आपको सब कुछ बाहर से लाना पड़ेगा। यदि आपके पास पैसा नहीं है तो आपका बच्चा मर जाएगा।" मरीजों के परिजनों का दावा है कि वो न केवल बाहर से दवाएं खरीद रहे हैं, बल्कि अपने मरीजों के बेड के आसपास के क्षेत्र भी साफ कर रहे हैं। यहां का स्टाफ भी मरीजों की परेशानी को नजरअंदाज करता है।