जम्मू-कश्मीर: देश में पहली बार मिला लिथियम का भंडार, विदेशों पर निर्भरता होगी कम
केंद्र सरकार ने गुरुवार को बताया कि देश में पहली बार जम्मू-कश्मीर में लगभग 59 लाख टन लिथियम का भंडार मिला है। भारत सरकार के खान मंत्रालय ने जानकारी दी कि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (GSI) ने जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले के सलाल-हैमाना इलाके में लिथियम भंडार का पता लगाया है। बता दें कि लिथियम एक अलौह धातु है और इसका प्रमुख इस्तेमाल इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की बैटरी बनाने में होता है। आइये इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
GSI ने अन्य ब्लॉक भी खोजे
GSI ने जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु और तेलंगाना में 51 खनिज ब्लॉकों का भी पता लगाया है, जिन्हें राज्य सरकारों को सौंप दिया गया है। इन खानों में सोने से संबंधित पांच खान भी शामिल हैं। इसके लिए GSI पिछले 3-4 सालों से काम कर रहा है। इनके अलावा 78,970 लाख टन कोयले और लिग्नाइट की खानों की रिपोर्ट कोयला मंत्रालय को सौंपी है।
आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए खनिजों की खोज जरूरी- सचिव
खान मंत्रालय के सचिव विवेक भारद्वाज ने बताया कि मोबाइल फोन से लेकर सोलर पैनल तक, हर जगह महत्वपूर्ण खनिजों की जरूरत है। आत्मनिर्भर भारत बनने के लिए इन खनिजों का पता लगाना जरूरी है। बता दें कि लिथियम रेयर अर्थ एलिमेंट है।
लिथियम भंडार मिलना बड़ी बात
देश में लिथियम भंडार मिलना अहम बात है। दरअसल, अभी लिथियम के लिए भारत पूरी तरह से विदेशों पर निर्भर है और अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए भारत ऑस्ट्रेलिया और अर्जेंटीना से लिथियम का आयात करता है। अब देश में ही इसका भंडार मिलने से विदेशों पर निर्भरता कम होगी और देश में चार्जेबल बैटरी का इस्तेमाल का खर्चा भी कम होने की उम्मीद है। हालिया सालों में इन बैटरियों की मांग बढ़ी है।
लिथियम आयात में चौथे स्थान पर है भारत
दूसरे देशों से लिथियम खरीदने के मामले में भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है और 2020 में उसने 100 करोड़ से अधिक कीमत का लिथियम आयात किया था। बता दें कि दुनिया में चिली लिथियम का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। यहां लिथिमय का 92 लाख मीट्रिक टन का भंडार है। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया का नंबर आता है, जहां 57 लाख मीट्रिक टन का भंडार है। अन्य उत्पादक देशों में ब्राजील, अर्जेंटीना, अमेरिका, पुर्तगाल, चीन, जिम्बाब्वे आदि हैं।
लिथियम आयन बैटरी से बड़ी उम्मीदें
इलेक्ट्रिक वाहनों को भविष्य की आवाजाही के तौर पर देखा जा रहा है और इनमें लिथिमय आयन बैटरियों का इस्तेमाल होता है। जलवायु परिवर्तन से जूझ रही दुनिया को लिथियम बैटरियों से बड़ी उम्मीदे हैं। अगर दुनियाभर में इन बैटरियों से चलने वाले वाहनों का इस्तेमाल बढ़ता है तो करोड़ों टन कार्बन डाइऑक्साइड को वातावरण में फैलने से रोका जा सकता है। इस बैटरी का सबसे पहला इस्तेमाल 1991 में एक कैमकॉर्डर में किया गया था।