जज लोया की मौत की जांच करा सकती है महाराष्ट्र सरकार, जानिए क्या था यह मामला
महाराष्ट्र सरकार CBI जज बृजगोपाल हरकिशन लोया की मौत के मामले में जांच शुरू करा सकती है। बुधवार को सरकार में मंत्री नवाब मलिक ने इसके संकेत देते हुए कहा कि अगर सरकार को ठोस सबूतों के साथ कोई शिकायत मिलती है तो वो जांच कराने पर विचार कर सकती है। जज लोया कौन थे, उनकी मौत कैसे हुई और कैसे उनके तार सीधे गृह मंत्री अमित शाह से जुड़ते हैं, आइए आपको बताते हैं।
1 दिसंबर, 2014 को हुई थी जज लोया की मौत
CBI जज लोया की 1 दिसंबर, 2014 को उस समय मौत हो गई थी जब वो नागपुर में अपनी सहयोगी जज स्वप्ना जोशी की बेटी की शादी में हिस्सा लेने के लिए गए थे। दिल का दौरा पड़ने को उनकी मौत का कारण बताया गया था। जिस समय जज लोया की मौत हुई वो गुजरात के सोहराबुद्दीन फर्जी मुठभेड़ मामले में सुनवाई कर रहे थे। इस मामले में गुजरात के तमाम अधिकारियों के साथ अमित शाह भी एक आरोपी थे।
सुनवाई में पेश नहीं होने के लिए अमित शाह को लगाई थी फटकार
मामले को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गुजरात से महाराष्ट्र ट्रांसफर किया गया था। जज लोया से पहले मामले की सुनवाई जज उत्पत कर रहे थे। उन्होंने 6 जून, 2014 को सुनवाई में पेश नहीं होने के लिए अमित शाह को फटकार लगाई थी और उन्हें 26 जून को पेश होने का आदेश दिया गया था। लेकिन 25 जून को ही उनका तबादला हो गया। इसके बाद जज लोया ने भी शाह के पेश न होने पर सवाल उठाए थे।
जज लोया के बाद नियुक्त हुए जज ने बिना सुनवाई किया अमित शाह को बरी
जज लोया की मौत के बाद जज एमबी गोसवी को मामले में जज नियुक्त किया गया था। उन्होंने दिसंबर 2014 में ही अमित शाह को मामले से ये कहते हुए बरी कर दिया था कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं मिले हैं।
तीन साल बाद परिवार ने उठाए लोया की मौत पर सवाल
इस घटना के तीन साल बाद नवंबर 2017 में 'द कारवां' मैगजीन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें जज लोया के परिवार के हवाले से उनकी मौत पर सवाल खड़े किए गए थे। परिवार के अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में जज लोया की मौत का समय 1 दिसंबर, 2014 को सुबह 06:15 बजे दर्ज है, जबकि उन्हें सुबह 5 बजे ही फोन पर उनकी मौत की सूचना दे दी गई थी।
इन बातों को लेकर भी परिवार ने उठाए सवाल
परिवार के अनुसार, लोया की मौत की वजह दिल का दौरा पड़ना बताया गया था जबकि उन्होंने उनके कपड़ों पर खून के धब्बे देखे थे। लोया के पिता के अनुसार उनके सिर पर चोट भी थी। इसके अलावा परिवार को लोया का फोन सारा डाटा डिलीट करने के बाद मौत के कई दिन बाद लौटाया गया। परिवार ने ऑटो के जरिए लोया को अस्पताल पहुंचाने पर भी सवाल खड़े किए थे जबकि वहां से ऑटो स्टैंड दो किलोमीटर दूर था।
लोया के बेटे ने पिता की मौत को बताया था प्राकृतिक
हालांकि, 14 जनवरी, 2018 को लोया के बेटे अनुज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि उनके पिता की मौत प्राकृतिक कारणों से ही हुई थी और उन्हें इस पर कोई शक नहीं है। उन्होंने कहा था कि इस पर कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 'चचेरे भाई' के हस्ताक्षर, परिवार बोला- ऐसा कोई सदस्य नहीं
परिवार ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल खड़े किए थे। उनके अनुसार, पोस्टमार्टम रिपोर्ट के हर पन्ने पर एक व्यक्ति के दस्तखत थे, जिसके नीचे मृतक से संबंध में मराठी में 'चचेरा भाई' लिखा हुआ था। परिवार के अनुसार उनके परिवार में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है। मैगजीन की रिपोर्ट में सवाल किया गया था कि लोया की मौत प्राकृतिक कारणों से हुई तो फिर पोस्टमॉर्टम की जरूरत क्यों पड़ी। इसके अलावा पोस्टमार्टम के बाद पंचनामा भी नहीं भरा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की थी जांच की मांग
परिवार के इन आरोपों के बाद सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गईं थीं जिनमें जज लोया की मौत के कारणों की जांच कराए जाने की मांग की गई थी। हालांकि, कोर्ट ने SIT जांच की इन याचिकाओं को खारिज कर दिया था।