Page Loader
अजित पवार को अपने पाले में लाने में कैसे कामयाब हुई भाजपा?

अजित पवार को अपने पाले में लाने में कैसे कामयाब हुई भाजपा?

Nov 23, 2019
01:30 pm

क्या है खबर?

शनिवार सुबह महाराष्ट्र के राजभवन में जो हुआ, उसकी पटकथा पिछले कई दिनों से लिखी जा रही है। बताया जा रहा है कि भाजपा का शीर्ष नेतृत्व काफी समय से अजित पवार के संपर्क में था। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने पवार से बातचीत का जिम्मा अपने भरोसेमंद सिपाही भूपेंद्र यादव को दिया था। यादव पार्टी महासचिव होने के साथ-साथ महाराष्ट्र चुनावों के प्रभारी भी थे। आइये, जानते हैं कि यह बातचीत कैसे सिरे चढ़ी।

रणनीति

भाजपा ने नहीं खोले थे अपने पते

महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर एक तरफ शिवसेना, कांग्रेस और NCP की बंद कमरों में मुलाकातों का दौर जारी था। शुक्रवार शाम को हुई बैठक में उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाने की बात पर लगभग सहमति बन गई थी। दूसरी तरफ भाजपा भी अजित पवार से बातचीत कर रही थी, लेकिन दोनों ने अपने पत्ते नहीं खोले थे। शुक्रवार शाम यादव ने मुंबई आकर देवेंद्र फड़णवीस से मुलाकात की और बातचीत को अंतिम रूप देने में जुट गए।

घटनाक्रम

भाजपा ने शिवसेना के लिए खुले रखे थे अपने पत्ते

यादव और अजित पवार के बीच जारी बातचीत के दौरान भाजपा अपनी सरकार बनाने की बात दोहराती रही। भाजपा के कई बड़े नेताओं ने बयान दिए कि महाराष्ट्र में अगली सरकार उनकी ही बनने जा रही है। यह भी कहा जा रहा है कि पिछले सप्ताह तक भाजपा ने शिवसेना के लिए अपने दरवाजे खुले रखे थे, लेकिन शिवसेना ने वापस आने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद भाजपा ने दूसरे विकल्पों पर काम करना शुरू किया।

मुख्यमंत्री पद

मुख्यमंत्री पद पर समझौता नहीं करना चाहती भाजपा

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शिवसेना की मांगों को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने फैसला किया कि वह उसकी शर्तों पर समझौता नहीं करेगी। साथ ही भाजपा नेतृत्व ने यह साफ कर दिया कि राज्य में पांच साल तक उसका मुख्यमंत्री होगा। इसे लेकर किसी प्रकार की कोई बातचीत नहीं की जाएगी। बता दें कि शिवसेना और भाजपा के रास्ते अलग होने की मुख्य वजह मुख्यमंत्री पद था। शिवसेना 2.5 साल के मुख्यमंत्री पद चाहती थी, जिस पर भाजपा सहमत नहीं थी।

गठबंधन

तीनों पार्टियों के गठबंधन को लेकर भाजपा को था संशय

भाजपा नेतृत्व ने यह अंदाजा लगाया था कि वैचारिक मतभेद के चलते कांग्रेस और शिवसेना का गठबंधन आकार नहीं ले पाएगा। हालांकि, ऐसा नहीं हुआ और NCP प्रमुख शरद पवार तीनों पार्टियों को सरकार गठन के लिए एक मंच पर लाने में लगभग कामयाब हो गए थे। तीनों पार्टियों के बीच साझा न्यूनतम कार्यक्रम तैयार हो गया था और कई दौर के बैठकें हो चुकी थी। इतना सब होने के बाद भाजपा ने अपनी गतिविधियां तेज की।

राष्ट्रपति शासन

शनिवार सुबह हटा राष्ट्रपति शासन

बताया जा रहा है कि अजित पवार के NCP के विधायक दल के नेता बनने के बाद अमित शाह और फड़णवीस ने उनसे संपर्क किया। शुक्रवार तक भाजपा कांग्रेस, NCP और शिवसेना के गठबंधन टूटने का इंतजार कर रही थी, लेकिन ऐसा न होता देख शाह ने यादव को मुंबई भेजा,जिन्होंने अंतिम दौर की बातचीत को अंजाम दिया। शनिवार सुबह राज्य से राष्ट्रपति शासन हट गया और उसके बाद फड़णवीस और अजित पवार ने शपथ ली।