ई-सिगरेट की तरह सिगरेट-बीड़ी पर रोक की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर
केंद्र सरकार ने सितंबर में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया था। अब देश में ई-सिगरेट के उत्पादन, निर्माण, आयात-निर्यात, रखने और बेचने पर पूरी तरह रोक है। केंद्र सरकार के इस फैसले पर कई सवाल भी उठे थे। अब दो NGO इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। यूनाइटेड रेजिडेंट्स ज्वाइंट एक्शन (URJA) और वीचेंजयू (VchangeU) ने याचिका दायर कर ई-सिगरेट की तरह सिगरेट, बीड़ी और दूसरे तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध की मांग की है।
सरकार के कदम के विरोध में उठ रही हैं आवाजें
दोनों NGO अब क्लास-एक्शन सुट फाइल करने की योजना बना रहे हैं। इनका कहना है कि तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए पांच लाख और तंबाकू के सेवन से होने वाली मौतों के लिए 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ ई-सिगरेट कंपनियों और हितधारकों ने सरकार के फैसले के विरोध करते हुए कहा है कि यह फैसला तंबाकू कंपनियों के हितों का ध्यान रखते हुए लिया गया है।
"सरकार का फैसला पक्षपाती"
वीचेंजयू के संस्थापक विजय भास्कर येतपु ने कहा कि सरकार का ई-सिगरेट को बैन करने का फैसला पक्षपाती है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर ई-सिगरेट को बंद किया जा सकता है तो कैंसर और सांस से जुड़ी दूसरी बीमारियों की जड़ तंबाकू सिगरेट और बीड़ी पर रोक क्यों नहीं लगाई जा रही। उन्होंने कहा कि खुद स्वास्थ्य मंत्रालय ने माना है कि बीड़ी और सिगरेट के कारण हर साल 12 लाख मौतें हो रही हैं।
प्रशांत भूषण देंगे कोर्ट में दलील
वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण इस मामले में NGO की तरफ से दलील देंगे। भूषण ने कहा कि ई-सिगरेट पर रोक से तंबाकू कंपनियों को फायदा होगा। इससे लोग वापस तंबाकू सिगरेट इस्तेमाल करना शुरू करेंगे। उन्होंने कहा कि ई-सिगरेट पर रोक का विधेयक पेश होते ही तंबाकू कंपनियों के शेयरों में 20 फीसदी का इजाफा हुआ था। URJA प्रमुख ने कहा कि सरकार के लोग तंबाकू कंपनियों में हिस्सेदार है। उन्होंने कहा कि सरकार को पीड़ितों को मुआवजा देना चाहिए।
सितंबर में लगी थी ई-सिगरेट पर रोक
सितंबर में केंद्रीय मंत्रीमंडल ने ई-सिगरेट पर बैन लगाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी। केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसका ऐलान किया था। बीते 26 नवंबर को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने ई-सिगरेट पर रोक लगाने संबंधी विधेयक पेश किया था। सदन में भाजपा के बहुमत को देखते हुए यह आसानी से पारित हो जाएगा। गौरतलब है कि इस साल जुलाई में ई-सिगरेट पर रोक लगाने का प्रस्ताव सरकार के सामने आया था।
तंबाकू सिगरेट से कैसे अलग है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाली सिगरेट होती हैं, जिसमें निकोटिन का सॉल्यूशन गर्म होकर भाप के रूप में पीने वाले के फेफड़ों में जाता है। इसे बेचने वाली ज्यादातर कंपनियां विदेशी हैं और उनका दावा है कि ई-सिगरेट तंबाकू सिगरेटों के मुकाबले कम हानिकारक हैं। ई-सिगरेट तंबाकू सिगरेटों से कैसे अलग हैं और इस पर रोक से सरकार को क्या फायदा होगा? यह आप यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं।