जॉनसन एंड जॉनसन ने वैक्सीन की जल्द मंजूरी के लिए किया आवेदन वापस लिया
अमेरिकी कंपनी जॉनसन एंड जॉनसन (J&J) की कोरोना वायरस वैक्सीन भारत आने में देर हो सकती है। दरअसल, कंपनी ने वैक्सीन की जल्द मंजूरी के लिए किया आवेदन वापस ले लिया है। सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गेनाइजेशन (CDSCO) ने यह जानकारी दी है। कंपनी ने आवेदन वापस लेने के पीछे की वजह नहीं बताई है। कंपनी की एक खुराक वाली वैक्सीन को जेनसेन नाम से जाना जाता है और जुलाई में इसके भारत आने की उम्मीद थी।
कंपनी ने अप्रैल में किया था आवेदन
कंपनी ने अप्रैल में CDSCO के पास आवेदन कर भारत में वैक्सीन के ब्रिजिंग ट्रायल के लिए मंजूरी मांगी थी। बता दें, ब्रिजिंग ट्रायल में नियामक संस्था किसी भी वैक्सीन की सुरक्षा और इम्युनिटी की जांच करने के लिए कम संख्या में स्थानीय वॉलेंटियरों पर वैक्सीन के ट्रायल को कहती है। हालांकि, अब सरकार ने यह शर्त हटा दी है। इससे विदेशी कंपनियों के भारत में जल्द लॉन्च होने की आसार बढ़ गए हैं।
कानूनी सुरक्षा को लेकर चल रही है बात
CDSCO और कंपनी की तरफ से आवेदन वापस लेने की वजहों के बारे में नहीं बताया गया है। जॉनसन एंड जॉनसन मंजूरी प्रक्रिया से ऐसे समय पीछे हटी है, जब भारत सरकार वैक्सीन कंपनियों के साथ कानूनी सुरक्षा गारंटी को लेकर बातचीत कर रही है। दरअसल, कई फाइजर समेत कई कंपनियों ने वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट्स होने पर कानूनी पचड़ों से सुरक्षा मांगी है। सरकार ने इसके लिए एक टीम का गठन किया है।
विदेशों कंपनियों से बातचीत करेगी विशेष टीम
स्वास्थ्य राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा था कि यह टीम फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के साथ मिलकर कानूनी सुरक्षा के अलग-अलग पहलुओं पर चर्चा करेगी। भारत में वैक्सीन लॉन्च करने के लिए इन कंपनियों की यह सबसे प्रमुख मांग है।
एक खुराक वाली चुनिंदा वैक्सीनों में शामिल है जेनसेन
जॉनसन एंड जॉनसन की जेनसेन एक खुराक वाली चुनिंदा वैक्सीनों में शामिल है। कोरोना संक्रमण से सुरक्षा के लिए इस वैक्सीन की एक ही खुराक काफी है और दूसरी की जरूरत नहीं पड़ती। अमेरिका, यूरोपीय संघ, थाईलैंड और दक्षिण अफ्रीका आदि देशों में इस वैक्सीन को आपात उपयोग की मंजूरी मिल चुकी है और इसका इस्तेमाल भी किया जा रहा है। अब तक के ट्रायल में यह वैक्सीन 66 फीसदी प्रभावी पाई गई है।
डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी साबित हुई है जेनसेन
J&J ने बीते महीने कहा कि कि उसकी कोरोना वायरस वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट को निष्क्रिय कर सकती है और उसके खिलाफ मजबूत एंटीबॉडीज विकसित करती है। कंपनी ने बताया कि उसकी एक खुराक वाली वैक्सीन जेनसेन के लाभार्थियों में कोरोना वायरस के डेल्टा समेत सभी वेरिएंट्स के खिलाफ कम से कम से आठ महीनों तक मजबूती एंटीबॉडीज पाई गईं। एक अधिकारी ने कहा कि फिलहाल इस वैक्सीन की बूस्टर डोज की जरूरत नहीं पड़ेगी।
भारत में ये वैक्सीनें हो रहीं इस्तेमाल
भारत में अब तक चार कोरोना वैक्सीनों के इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी हैं, लेकिन तीन का ही इस्तेमाल शुरू हुआ है। वैक्सीनेशन अभियान की शुरुआत से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके बाद अप्रैल में स्पूतनिक-V को हरी झंडी दिखाई गई थी। फिलहाल ये तीनों इस्तेमाल हो रही हैं। मॉडर्ना की वैक्सीन को मंजूरी मिल चुकी है, लेकिन इसका उपयोग शुरू नहीं हुआ है।
देश में वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 47,22,23,639 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 17,06,598 खुराकें लगाई गईं। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार चिंता का विषय बनी हुई है।