भारत को मिली एक और कोरोना वैक्सीन, DCGI ने दी स्पूतनिक-V के इस्तेमाल की मंजूरी
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का सामना कर रहे भारत को एक और वैक्सीन मिल गई है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने रूस की स्पूतनिक-V को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। इसी के साथ कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में भारत के पास अब तीन वैक्सीन हो गई हैं। इससे पहले बीते दिन DGCI की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमिटी (SEC) ने स्पूतनिक-V को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी देने की सिफारिश की है।
स्पूतनिक-V को मंजूरी देने वाला 60वां देश बना भारत
रशियन डायरेक्ट इनवेस्टमेंट फंड (RDIF) की तरफ से कहा गया है कि भारत स्पूतनिक-V को हरी झंडी दिखाने वाला दुनिया का 60वां देश है। दुनिया में सबसे ज्यादा मंजूरी पाने वाली यह दूसरी वैक्सीन है। RDIF ने कहा कि अप्रैल के अंत या मई की शुरुआत में स्पूतनिक-V का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। भारत में इसका उत्पादन शुरू होने तक इसे रूस से आयात किया जाएगा। हैदराबाद की डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज भारत के लिए स्पूतनिक वैक्सीन का निर्माण करेगी।
देश में स्पूतनिक का ट्रायल भी कर रही है डॉ रेड्डीज
हैदराबाद स्थित डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज देश में स्पूतनिक का तीसरे चरण का ट्रायल भी कर रही है। 18 से 99 साल तक के 1,600 लोगों पर ये ट्रायल किया जा रहा है। SEC ने कंपनी को मंजूरी से पहले ये ट्रायल करने को कहा था।
ट्रायल में 91.6 प्रतिशत प्रभावी पाई गई थी स्पूतनिक
स्पूतनिक-V वैक्सीन सामान्य जुकाम करने वाले मानव एडिनोवायरस में जेनेटिक बदलाव करके बनाई गई है। इसे रूसी सेना ने मॉस्को के गामालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडिमियोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के साथ मिलकर विकसित किया है। कई देशों में हुए तीसरे चरण के ट्रायल में इस वैक्सीन को 91.6 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था और यह कोरोना की सबसे अधिक प्रभावी वैक्सीनों में शुमार है। इस ट्रायल के नतीजे प्रख्यात विज्ञान पत्रिका 'द लांसेट' में प्रकाशित भी हो चुके हैं।
स्पूतनिक को दूरदराज इलाकों तक ले जाना आसान
जानकारी के अनुसार, स्पूतनिक वैक्सीन को दो रूपों में बनाया गया है। पहला द्रव रूप है जिसे माइनस 18 डिग्री सेल्सियस पर रखना जरूरी होगा। वहीं दूसरा लाइयोफिलाइज्ड (जमा हुआ) रूप है और इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस के तापमान पर रखा जा सकेगा। इससे इसे दूरदराज इलाकों में ले जाने में आसानी होगी। दूरदराज के इलाकों में डिलीवरी की चुनौती को देखते हुए ही विशेष तौर पर लाइयोफिलाइज्ड रूप बनाया गया है।
भारत में अभी तक इस्तेमाल हो रही ये दो वैक्सीन्स
स्पूतनिक को मंजूरी ऐसे समय में मिली है जब देश महामारी की दूसरी लहर से जूझ रहा है और कई राज्यों ने वैक्सीन की कमी की शिकायत की है। भारत में 16 जनवरी से शुरू हुए दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान में भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोविशील्ड का इस्तेमाल किया जा रहा है। स्पूतनिक को इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के बाद वैक्सीनेशन अभियान की रफ्तार बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
देश में महामारी और वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
भारत में बीते दिन कोरोना के 1,61,736 नए मामले सामने आए और 879 मरीजों की मौत हुई है। इसी के साथ देश में कुल संक्रमितों की संख्या 1,36,89,453 हो गई है। इनमें से 1,71,058 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है और सक्रिय मामलों की संख्या बढ़कर 12,64,698 हो गई है। वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 10,85,33,085 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 40,04,521 खुराकें लगाई गईं।