मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन को भारत में इस्तेमाल की मंजूरी मिली, सिप्ला करेगी आयात
देश में कोरोना महामारी के बीच लोगों के लिए एक और राहत की खबर आई है। महामारी के खिलाफ देश में जारी वैक्सीनेशन अभियान में देश को एक और वैक्सीन मिल गई है। दरअसल, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मॉडर्ना की वैक्सीन को सीमित आपात इस्तेमाल के लिए मंजूरी जारी कर दी है। इसके अलावा फार्मा कंपनी सिप्ला को मॉडर्ना की वैक्सीन के भारत में इस्तेमाल के लिए आयात करने की मंजूरी भी दी है।
माडर्ना में भी DCGI से मांगी थी आपात इस्तेमाल की मंजूरी
इससे पहले अमेरिकी फार्मा कंपनी माडर्ना ने DCGI से वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी। जिसके बाद उम्मीद लगाई जा रही थी कि वैक्सीन को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी। DCGI ने मंगलवार को इस वैक्सीन को 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में सीमित आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी जारी कर दी है। ऐसे में अब मॉडर्ना की वैक्सीन कोविशील्ड, कोवैक्सिन और स्पूतिनक-V के बाद मंजूरी हासिल करने वाली चौथी वैक्सीन बन गई है।
माडर्ना की वैक्सीन की लगाई जाएगी दो खुराकें- डॉ पॉल
नीति आयोग के सदस्य डॉ वीके पॉल ने कहा, "कोरोना महामारी के खिलाफ अंतराष्ट्रीय स्तर पर विकसित मॉडर्ना की पहली वैक्सीन को भारत में सीमति आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी गई है। इससे भारत को एक और वैक्सीन मिल गई है।" उन्होंने आगे कहा, "माडर्ना की इस वैक्सीन की भी लोगों को दो खुराकें दी जाएगी। इसको लेकर जल्द ही विस्तृत गाडइलांस जारी की जाएगी।" बता दें कि वैक्सीन को मंजूरी मिलना बड़ी राहत है।
फाइजर की वैक्सीन को भी मिल सकती है मंजूरी
डॉ पॉल ने कहा कि इस मंजूरी के साथ देश में कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पूतनिक-V और मॉडर्ना के रूप में चार वैक्सीन हो गई है। इसी तरह फाइजर की वैक्सीन को लेकर भी प्रयास जारी हैं। इस पर ही जल्द ही निर्णय कर लिया जाएगा।
सिप्ला ने सोमवार को किया था मंजूरी के लिए आवेदन
बता दें कि मुंबई स्थित फार्मा कंपनी सिप्ला ने सोमवार को वैक्सीन के आयात के लिए DCGI से मंजूरी मांगी थी। कंपनी द्वारा सोमवार को DCGI को भेजे गए आवेदन में 15 अप्रैल और 1 जून के नोटिस का भी हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि यदि वैक्सीन को आपात उपयोग अधिकार (EUA) के लिए अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) द्वारा अनुमति मिलती है तो उसे बिना 'ब्रिजिंग ट्रायल' के मंजूरी दी जा सकती है।
94.5 प्रतिशत प्रभावी बताई जा रही है मॉडर्ना की वैक्सीन
बता दें कि मॉडर्ना की वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के शुरुआती नतीजों से पता चला है कि यह संक्रमण रोकने में 94.5 प्रतिशत प्रभावी है। इसी तरह गंभीर मामलों में इसे 100 प्रतिशत तक प्रभावी बताया गया है और इसमें गंभीर दुष्परिणाम भी सामने नहीं आए हैं। इसी तरह CDC की ओर से 3,950 लोगों पर इसकी प्रभावशीलता के लिए किए गए विश्लेषण में यह पहली खुराक के बाद ही 80 प्रतिशत तक प्रभावी पाई गई थी।
mRNA तकनीक पर आधारित हैं मॉडर्ना की वैक्सीन
बता दें मॉडर्ना की वैक्सीन बेहद नई मानी जाने वाली mRNA तकनीक पर आधारित है। इस तकनीक में वायरस के जिनोम का प्रयोग कर कृत्रिम RNA बनाया जाता है जो सेल्स में जाकर उन्हें कोरोना वायरस की स्पाइक प्रोटीन बनाने का निर्देश देता है। इन स्पाइक प्रोटीन की पहचान कर सेल्स कोरोना की एंटीबॉडीज बनाने लग जाती हैं। दुनिया में पहली बार इस तकनीक से कोई वैक्सीन बनाई गई है। ऐसे में इसे बेहर प्रभावी भी बताया जा रहा है।
अमेरिका ने की थी भारत को मॉडर्ना की वैक्सीन दान देने की घोषणा
बता दें कि जून की शुरुआत में मॉडर्ना ने कहा था कि अमेरिकी सरकार ने भारत सरकार को इस्तेमाल के लिए 'कोवैक्स' के माध्यम से मॉडर्ना की कोरोना वैक्सीन की निश्चित संख्या में खुराक दान करने पर सहमति जताई है और इन वैक्सीनों के लिए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) से मंजूरी मांगी है। ऐसे में यदि DCGI वैक्सीन को मंजूरी देता है तो भारत में करीब 100 लोगों को यह वैक्सीन लगाकर उनकी निगरानी की जाएगी।