सीरम इंस्टीट्यूट ने भारत में एक और वैक्सीन के ट्रायल शुरू करने की मांगी मंजूरी
पुणे स्थित दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने भारत में एक और कोरोना वैक्सीन के ट्रायल की मंजूरी मांगी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने नोवावैक्स की कोरोना वैक्सीन के भारत में ट्रायल शुरू करने के लिए आवेदन किया है। इंग्लैंड में हुए ट्रायल में यह वैक्सीन कोरोना संक्रमण से बचाव में 89.3 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई थी। बता दें कि सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड को पहले से ही इस्तेमाल किया जा रहा है।
ट्रायल की मंजूरी जल्द मिलने की उम्मीद- पूनावाला
गौरतलब है कोविशील्ड को एस्ट्राजेनेका और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने विकसित किया है। सीरम इंस्टीट्यूट एस्ट्राजेनेका से हुए समझौते के तहत भारत में इसका ट्रायल और उत्पादन कर रही है। इसी तरह सीरम इंस्टीट्यूट ने अमेरिकी कंपनी नोवावैक्स से भी समझौता किया है। सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख अदार पूनावाला ने बताया कि कंपनी ने कुछ दिन पहले वैक्सीन के ट्रायल के लिए आवेदन किया था और उम्मीद है कि जल्द ही इसकी मंजूरी मिल जाएगी।
कई देशों में आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांग सकती है नोवावैक्स
इंग्लैंड में इस वैक्सीन के ट्रायल में 18-84 साल की उम्र के 15,000 लोगों ने हिस्सा लिया था। कयास लगाए जा रहे हैं कि अब कंपनी जल्द ही इंग्लैंड, यूरोपीय यूनियन और दूसरे देशों में वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांग सकती है।
विदेशों की वैक्सीन के भारत में ट्रायल अनिवार्य
नियमों के तहत भारत में उपयोग की मंजूरी चाह रही किसी भी कंपनी के लिए स्थानीय ट्रायल करना जरूरी है। सरकार ने यह शर्त इसलिए लगाई है क्योंकि वह वैक्सीनों का उपयोग शुरू करने से पहले ये सुनिश्चित करना चाहती है कि ये भारतीय नागरिकों के लिए सुरक्षित और प्रभावी है या नहीं क्योंकि उनका जेनेटिक मेकअप पश्चिमी देशों के लोगों से अलग हो सकता है। हालांकि कई मामलों में इन शर्तों को माफ भी किया जा सकता है।
ट्रायल न करने के कारण फाइजर को नहीं मिली थी इजाजत
इस नियम के कारण फाइजर की वैक्सीन को भारत में आपात इस्तेमाल की मंजूरी नहीं मिली थी। दरअसल, फाइजर ने भारत में सबसे पहले अपनी वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मांगी थी, लेकिन वह देश में ट्रायल नहीं करना चाहती थी। इस वजह से उसे इस्तेमाल का अनुमति नहीं मिल पाई। दूसरी तरफ रूस की 'स्पूतनिक-V' भारत में इस्तेमाल की मंजूरी के लिए तीसरे चरण का ट्रायल कर रही है। इसके बाद कंपनी अनुमति के लिए आवेदन करेगी।
भारत में महामारी और वैक्सीनेशन की क्या स्थिति?
भारत में अब तक 1,07,20,048 लोगों में कोरोना संक्रमण की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से 1,71,686 सक्रिय मामले हैं, 1,03,94,352 लोग महामारी को हराकर ठीक हो चुके हैं और 1,54,010 लोगों को इस खतरनाक वायरस के कारण अपनी जान गंवानी पड़ी है। वहीं अगर वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो देश में अब तक 29.28 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली खुराक लगाई जा चुकी है। धीरे-धीरे यह अभियान अपनी रफ्तार पकड़ रहा है।