
#NewsBytesExplainer: मार्क कार्नी बने कनाडा के प्रधानमंत्री, क्या सुधरेंगे भारत के साथ रिश्ते?
क्या है खबर?
मार्क कार्नी कनाडा के नए प्रधानमंत्री बन गए हैं। बीती रात उन्होंने राजधानी ओटावा में प्रधानमंत्री पद की शपथ ली।
कार्नी ने 9 साल तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे जस्टिन ट्रूडो की जगह ली है। ट्रूडो ने इसी साल जनवरी में प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान किया था।
ट्रूडो के कार्यकाल के आखिरी कुछ समय में भारत-कनाडा के रिश्ते काफी असहज थे।
ऐसे में जानते हैं कि कार्नी के कार्यकाल में क्या संबंधों में सुधार आएगा।
कार्नी का रुख
भारत को लेकर क्या है कार्नी का रुख?
कार्नी ने भारत के साथ संबंधों को सुधारने की इच्छा व्यक्त की है। हाल ही में उन्होंने कहा था कि वे भारत के साथ व्यापार संबंधों को बहाल करेंगे।
उन्होंने कहा था, "कनाडा के पास समान सोच वाले मित्र देशों के साथ अपने व्यापार संबंधों को विविध बनाने का अवसर है। हमारे पास भारत के साथ संबंधों को फिर से बनाने के अवसर हैं। अगर मैं प्रधानमंत्री हूं तो मैं इस अवसर का बेसब्री से इंतजार करूंगा।"
संबंध
क्या सुधरेंगे भारत-कनाडा के संबंध?
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में अध्ययन और विदेश नीति विभाग के उपाध्यक्ष हर्ष वी पंत ने BBC से कहा, "बेशक घरेलू राजनीति कार्नी की नीतियों को आकार देती रहेगी, लेकिन मुझे लगता है कि जब सरकार या नेतृत्व में बदलाव होता है तो एक नई शुरुआत का मौका होता है। भारत और कनाडा के बीच ऐसा होने की संभावना है और दोनों देश संभवतः रिश्तों को सामान्य बनाने के साथ आगे बढ़ेंगे।"
व्यापारिक रिश्ते
बहाल हो सकते हैं व्यापारिक रिश्ते
जानकारों का मानना है कि कार्नी का रुख कनाडा की विदेश व्यापार नीति में बदलाव को दर्शाता है, जो ट्रूडो के कार्यकाल में कूटनीतिक वजहों से प्रभावित हुई थी।
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि कार्नी के कार्यकाल में भारत-कनाडा के बीच व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते (CEPA) की वार्ता कार्नी के नेतृत्व में फिर से गति पकड़ सकती है।
अगर संबंध सुधरते हैं तो प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और शिक्षा जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों को लाभ हो सकता है।
आव्रजन नीति
आव्रजन नीतियों में आएगा लचीलापन?
बड़ी संख्या में भारतीय कनाडा में काम करने और पढ़ने जाते हैं। माना जा रहा है कि कार्नी के कार्यकाल में आव्रजन नीतियां अनुकूल बनी रह सकती हैं।
जानकारों का मानना है कि कार्नी जिस पृष्ठभूमि से आते हैं, उससे संभावना है कि वे कार्यबल और नवाचार क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए शीर्ष प्रतिभाओं को आकर्षित करने वाली नीतियों का समर्थन करेंगे।
इससे वीजा संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।
खालिस्तान
खालिस्तान मुद्दे पर कैसा रह सकता है रुख?
भारत-कनाडा के बीच खालिस्तान एक ज्वलंत मुद्दा है और ट्रूडो के कार्यकाल में संबंध खराब होने की ये बड़ी वजह थी।
कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया ने BBC से कहा, "इन मुद्दों से जुड़ी मुश्किलें दूर नहीं होंगी, क्योंकि खालिस्तानी वोट बैंक किसी भी प्रधानमंत्री के लिए महत्वपूर्ण बना रहेगा। लेकिन ट्रूडो ने इसे व्यक्तिगत बना दिया था तो अब इसे बेहतर बनाने का मौका मिलेगा। हालांकि, इसे तुरंत सामान्य नहीं कर सकते, इसमें लंबा समय लगेगा।"
व्यापार
दोनों देशों के बीच कैसें हैं व्यापारिक संबंध?
2023-24 में कनाडा से भारत का आयात बढ़कर लगभग 38.64 हजार करोड़ रुपये हो गया, जबकि निर्यात मामूली गिरावट के साथ 31.62 हजार करोड़ रुपये रहा।
भारत को अप्रैल 2000 से जून 2024 के दौरान कनाडा से करीब 33.60 हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) भी मिला है।
600 से अधिक कनाडाई कंपनियां भारत में मौजूद हैं और 1,000 से अधिक सक्रिय रूप से भारतीय बाजार में कारोबार कर रही हैं।
निज्जर
खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर को लेकर बिगड़े संबंध
18 जून, 2023 को कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर खालिस्तानी आतंकवादी निज्जर की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।
ट्रूडो ने इसका आरोप भारत पर लगाया था। सितंबर, 2023 में संसद में बोलते हुए ट्रूडो ने कहा था कि कनाडा सरकार भारतीय अधिकारियों और निज्जर की हत्या के बीच संबंधों पर 'विश्वसनीय आरोपों' की जांच कर रही है।
इसके बाद दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को निष्कासित कर दिया था।