म्यांमार ऑपरेशन से सर्जिकल स्ट्राइक तक, जानिए कैसा रहा CDS जनरल बिपिन रावत का करियर
तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को वायुसेना का Mi 17V5 हेलिकॉप्टर क्रैश होने से उसमें सवार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (63) और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मौत हो गई। इस हादसे ने पूरे देश को झकझौंर दिया है। CDS रावत ने म्यांमार ऑपरेशन से सर्जिकल स्ट्राइक तक कई बड़े ऑपरेशनों को अंजाम दिया था। ऐसे में यहां जानते हैं उनकी जिंदगी और करियर से जुड़े अहम तथ्य।
वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज में जाते समय हुआ हादसा
बता दें कि CDS जनरल रावत सुबह करीब 9 बजे वेलिंगटन स्थित डिफेंस सर्विस स्टाफ कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिएदिल्ली से अपनी पत्नी और स्टाफ के साथ विशेष विमान से तमिलनाडु के सुलुर रवाना हुए थे। सुबह 11:35 बजे सुलुर एयरबेस पर पहुंचने के 10 मिनट बाद ही सभी लोग वायुसेना के हेलिकॉप्टर से 94 किलोमीटर दूर वेलिंगटन के लिए रवाना हुए थे। करीब 12:20 बजे कट्टेरी इलाके के पास यह हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
साल 1978 में सेना में शामिल हुए थे CDS जनरल रावत
CDS जनरल रावत का जन्म 16 मार्च, 1958 को उत्तराखंड के पौड़ी में एक गढ़वाली राजपूत परिवार में हुआ था। उन्होंने शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल से पढ़ाई करने के बाद उत्तराखंड के देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण लिया था। वह 16 दिसंबर, 1978 को बतौर सेकंड लेफ्टिनेंट सेना में भर्ती हो गए थे। उसके बाद वह पीछे नहीं मुड़े। उन्होंने 2011 में चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से मिलिट्री मीडिया स्टडीज में Phd किया था।
CDS जनरल रावत ने की थी म्यांमार ऑपरेशन की अगुवाई
मणिपुर में जून 2015 में हुए आतंकी हमले में कुल 18 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद 21 पैरा के कमांडो ने सीमा पार जाकर म्यांमार में आतंकी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग (NSCN-K) के कई आतंकियों को ढेर कर दिया था। उस समय 21 पैरा थर्ड कॉर्प्स के अधीन थी, जिसके कमांडर बिपिन रावत ही थे। सेना में उनकी पहचान ऊंचाई पर जंग लड़ने और जवाबी कार्रवाई के विशेषज्ञ के तौर पर रही है।
CDS जनरल रावत ने की थी पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की निगरानी
उरी में आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने 29 सितंबर, 2016 को PoK में सर्जिकल स्ट्राइक कर कई आतंकी शिविरों को नष्ट किया था। उस दौरान CDS रावत ने उप सेना प्रमुख रहते हुए पूरे ऑपरेशन की निगरानी की थी। इस स्ट्राइक में कई आतंकी भी मारे गए थे। यह पाकिस्तान पर देश की पहली और सबसे बड़ी सर्जिकल स्ट्राइक थी। इसकी सफलता के बाद सेना में CDS रावत का कद और भी ऊंचा हो गया था।
CDS जनरल रावत की अन्य बड़ी उपलब्धियां
CDS जनरल रावत को 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवी बटालियन में कमीशन मिला था। वह सेनाध्यक्ष के पद पर पहुंचने वाले गोरखा रेजिमेंट के चौथे अधिकारी थे। भारतीय सैन्य अकादमी में उन्हें सोर्ड ऑफ ऑनर दिया गया था। वह 1986 में चीन से लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इंफैंट्री बटालियन के प्रमुख रहे थे। इसी तरह राष्ट्रीय राइफल्स के एक सेक्टर और कश्मीर घाटी में 19 इन्फेन्ट्री डिवीजन की अगुवाई भी की थी।
कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का भी किया था नेतृत्व
CDS जनरल रावत संयुक्त राष्ट्र शांति सेना (UNPF) का हिस्सा रहे थे और उन्होंने कॉन्गो में संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन का भी नेतृत्व किया था। संयुक्त राष्ट्र की सेवा करते हुए उन्हें दो बार फोर्स कमांडर के कमेंडेशन से भी सम्मानित किया गया था।
CDS जनरल रावत ने सेना में इस तरह चढ़ी थी कामयाबी की सीढ़ियां
CDS जनरल रावत को सेना में भर्ती होने के बाद 1980 में लेफ्टिनेंट पद पर पदोन्नत किया गया था। 1984 में वह कैप्टन और 1989 में मेजर के पद पर पहुंच गए। इसी तरह 1998 में लेफ्टिनेंट कर्नल बनने के बाद उन्होंने 1999 में कारगिल युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी। साल 2003 में उन्हें कर्नल और 2007 में ब्रिगेडियर बनाया गया था। इसी तरह साल 2011 में वह मेजर जनरल और 2014 में लेफ्टिनेंट जनरल पद पर पहुंच थे।
देश के पहले CDS थे जनरल रावत
CDS जनरल रावत को LoC, कश्मीर घाटी और पूर्वोत्तर में काम करने का लंबा अनुभव था। इसको देखते हुए मोदी सरकार ने 31 दिसंबर, 2016 में उन्हें दो वरिष्ठ अधिकारियों पर तरजीह देते हुए थल सेना अध्यक्ष नियुक्त किया था। 31 दिसंबर, 2019 को उनकी सेवानिवृत्ति को बाद सरकार ने उन्हें देश का पहला CDS नियुक्त किया था। उनकी नियुक्ति तीन साल के लिए की गई थी, लेकिन कार्यकाल पूरा होने से पहले इस हादसे ने उन्हें छीन लिया।
CDS जनरल रावत को मिले थे कई मेडल
CDS जनरल रावत को को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और सेना मेडल से सम्मानित किया जा चुका था। उन्हें दो बार COAS कमेंडेशन और आर्मी कमेंडेशन भी दिया जा चुका है।