पैंगोंग झील पर चीन का दूसरा पुल: विदेश मंत्रालय ने अवैध कब्जे पर बताया निर्माण
विदेश मंत्रालय ने उन खबरों की पुष्टि की है कि चीन पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील पर एक और पुल बना रहा है। शुक्रवार को मंत्रालय की तरफ से कहा गया कि ये दोनों पुल उस इलाके में मौजूद है, जो 1960 के दशक से चीन के अवैध कब्जे में है। भारत ने कभी भी चीन के ऐसे अनुचित दावों और ऐसी निर्माण गतिविधियों को स्वीकार नहीं किया है। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
कहां बन रहा है पुल?
हाल ही में खबरें आई थीं कि चीन पैंगोंग झील पर वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) से अपनी तरफ एक और पुल का निर्माण कर रहा है, जो पहले से मौजूद पुल से बड़ा और चौड़ा है। इस नए पुल को पहले पुल के समानांतर बनाया जा रहा है और इसका संभावित लक्ष्य झील के ऊपर से भारी और बड़ी चीजों की आवाजाही करना है। इस पुल को दोनों तरफ से एक साथ बनाया जा रहा है।
विदेश मंत्रालय ने क्या कहा?
शुक्रवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, "हमने पैंगोंग झील पर चीन की तरफ से पहले बने पुल के समांतर एक और पुल बनाए जाने की खबरें देखी हैं। ये दोनों पुल उन इलाकों में मौजूद हैं, जो 1960 के दशक से चीन के अवैध कब्जे में हैं। हमने न तो कभी हमारी जमीन पर ऐसे अवैध कब्जे को स्वीकार किया है और न ही चीन के ऐसे अनुचित दावों और निर्माण गतिविधियों को स्वीकार करते हैं।"
सभी घटनाओं पर नजर बनाए हुए है सरकार- मंत्रालय
बागची ने अपने बयान में एक बार फिर दोहराया कि सरकार देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली सभी घटनाओं पर नजर बनाए हुए हैं और देश की संप्रभुता और अखंडता को बनाए रखने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है। उन्होंने कहा, "जम्मू-कश्मीर और लद्दाख भारत के अभिन्न अंग हैं। हम उम्मीद करते हैं कि दूसरे देश भी भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करेंगे।"
सरकार सीमाई इलाकों में विकसित कर रही है बुनियादी ढांचा
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि देश के सुरक्षा हितों को पूरी तरह सुरक्षित करने के लिए सरकार ने सीमाई ढांचे को विकसित करना शुरू किया है। इसमें सड़कों और पुलों आदि का निर्माण शामिल है। उन्होंने कहा कि सीमाई इलाकों में बुनियादी ढांचों का विकास न केवल देश की सामरिक और सुरक्षा जरूरतों को देखते हुए किया जा रहा है बल्कि इससे इन इलाकों का आर्थिक विकास भी होगा।
LAC से 20 किलोमीटर दूर बनाया जा रहा पुल
रिपोर्ट्स के अनुसार, नया पुल LAC से 20 किलोमीटर दूर चीन की तरफ बनाया जा रहा है। पहले पुल की तरह चीन इस पुुल को भी खुरनाक क्षेत्र में बना रहा है। इस जगह पर झील सबसे पतली है और पुल के जरिए खुरनाक को दक्षिणी किनारे पर रुडोक से जोड़ा जाएगा। पुराने पुल के चीनी सेनाओं के लिए 180 किलोमीटर के फेर को कम करने की बात कही गई थी। नया पुल भी यही काम करेगा।
क्या है दूसरा पुल बनाने का मकसद?
सूत्रों ने नए पुल की अहमियत बताते हुए कहा, "पहला पुल केवल सैनिक और हल्के वाहन लाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता था। नया पुल आकार में बड़ा और चौड़ा है। इसका मतलब वो न केवल सैनिकों और हल्के वाहनों बल्कि बख्तरबंद गाड़ियों की तेज तैनाती पर लक्ष्य लेकर चल रहे हैं।" चीनी सेना इलाके में कई सड़के भी बना रही है जो इन दोनों पुलों को उसकी मोल्डो सैन्य पोस्ट से जोड़ेंगे।