संसद की सुरक्षा में सेंध की कैसे बनाई गई योजना और अब तक क्या-क्या हुआ?
देश में इन दिनों संसद की सुरक्षा में सेंध का मुद्दा छाया हुआ है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बयान देते हुए कहा है कि मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए और संसद में जो हुआ, उसकी गहराई से जांच होनी चाहिए। इस बीच सवाल ये उठता है कि देश की सबसे सुरक्षित इमारतों में से एक में ऐसा कैसे हुआ और कैसे इस वारदात को अंजाम दिया गया? आइए इन्हीं सवालों के जवाब विस्तार से खोजते हैं।
सबसे पहले जानें संसद में क्या हुआ
13 दिसंबर को शीतकालीन सत्र में शून्य काल के दौरान 2 युवक अचानक से दर्शक दीर्घा से लोकसभा में कूद गए थे और बेंचों पर कूदते हुए गैस कनस्तर से पीले रंग की गैस उड़ा दी। सांसदों ने मिलकर दोनों को पकड़ लिया और सुरक्षाकर्मियों के हवाले कर दिया। संसद के बाहर भी एक महिला और युवक पीले रंग का धुआं उड़ाते गिरफ्तार किए गए। UAPA के तहत दर्ज मामले में अब तक 6 आरोपियों को गिरफ्तारी हो चुकी है।
कैसे आरोपियों ने बनाई योजना?
रिपोर्ट्स के अनुसार, सभी आरोपी इंस्टाग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक-दूसरे के संपर्क में थे। इन आरोपियों ने सुरक्षा व्यवस्थाओं का जायजा लेने के लिए संसद की रेकी भी की। उन्हें एहसास हुआ कि सुरक्षा जांच के दौरान विजिस्टर्स को अपने जूते उतारने के लिए नहीं कहा जाता है। इसके बाद जूते में गैस कनस्तर छुपाए जाने की योजना बनाई गई। सभी की संसद के अंदर जाने की योजना थी, लेकिन पास केवल 2 को ही मिल सका।
संसद में आत्मदाह करने की थी योजना
लोकसभा में अंदर जाने वाले 2 युवक कर्नाटक के मैसूर से भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा के नाम से जारी विजिटर्स पास के जरिए भवन में दाखिल हुए थे। TOI की रिपोर्ट के अनुसार, एक आरोपी ने बताया कि उनकी योजना संसद के अंदर खुद को आग लगाने की थी, लेकिन उनको अपने शरीर पर लगाने के लिए ऐसा पदार्थ नहीं मिला जिससे आग से शरीर को कम नुकसान हो। इसके कारण आत्मदाह वाली योजना को बदलना पड़ा।
कौन-कौन साजिश में था शामिल?
पुलिस के अनुसार, इस पूरी साजिश को 'मास्टरमाइंड' ललित झा के साथ मिलकर सागर शर्मा, मनोरंजन डी, नीलम देवी, अमोल शिंदे और विशाल शर्मा ने अंजाम दिया था। सागर और मनोरंजन ने लोकसभा में घुसकर पीले रंग का धुआं छोड़ा था, वहीं नीलम और अमोल ने संसद के बाहर यही कार्य किया। ये सभी आरोपी वारदात से पहले विशाल के गुरुग्राम स्थित घर पर रुके थे। वारदात के बाद ललित की महेश कुमावत ने राजस्थान में छिपने में मदद की।
कैसे एक-दूसरे को जानते थे आरोपी?
पुलिस के अनुसार, वारदात को अंजाम देने वाले सभी आरोपी कथित तौर पर 'जस्टिस फॉर आजाद भगत सिंह' नाम के एक सोशल मीडिया समूह का हिस्सा थे। ये सोशल मीडिया के जरिए पिछले 4 साल से एक-दूसरे को जानते थे। सभी आरोपी पहले भी कई अन्य विरोध प्रदर्शनों का भी हिस्सा थे। ये सभी क्रांति के नाम पर युवाओं का ब्रेन वॉश करने का काम कर रहे थे। ये क्रांतिकारियों की तस्वीरों का इस्तेमाल कर सरकार विरोधी वीडियो बनाते थे।
अभी कहां तक पहुंची है पुलिस जांच?
पुलिस को प्रारंभिक जांच में पता चला है कि आरोपियों का मकसद अराजकता फैलाना था। वारदात के पहले ललित ने सभी आरोपियों के मोबाइल फोन अपने पास रख थे। उन्हें उसने राजस्थान पहुंचने पर जलाकर नष्ट कर दिया। रविवार को पुलिस ने राजस्थान से मोबाइल जलाए गए फोन के हिस्से बरामद किए हैं और इनकी अब पुलिस लैब में जांच कराई जाएगी। पुलिस आरोपियों के घर भी जा रही है और जरुरी पूछताछ कर रही है।
घटना के बाद क्या हुए हैं सुरक्षा बदलाव?
लोकसभा की सुरक्षा में चूक के बाद से लगातार संसद की सुरक्षा व्यवस्था में कई बदलाव किए जा रहे हैं। सांसदों और विजिटर्स के बीच किसी भी संपर्क को कम करने के लिए नए संसद भवन के सुरक्षा प्रोटोकॉल में बदलाव किया गया है। इसके अलावा मीडिया ब्रीफिंग सेंटर के रूप में एक समर्पित स्थान स्थापित किया गया है। लोकसभा सचिवालय ने सांसदों के लिए स्मार्ट पहचान पत्र और चेहरे की पहचान प्रणाली के भी निर्देश जारी किए हैं।
कौन-कौन कर रहा है मामले की जांच?
इस घटना के बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन के सदस्यों को पत्र लिखकर संसद की सुरक्षा में सेंधमारी की जांच के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। इसके अलावा गृह मंत्रालय ने भी केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के महानिदेशक नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय जांच समिति गठित किया गया है, जिसमें अन्य सुरक्षा एजेंसियां शामिल हैं। गृह मंत्रालय द्वारा गठित समिति की रिपोर्ट भी जल्द ही सदन में साझा की जाएगी।