पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह के करीबी सहयोगियों को असम की जेल में क्यों किया शिफ्ट?
पंजाब पुलिस ने खालिस्तान समर्थक और 'वारिस पंजाब दे' प्रमुख अमृतपाल सिंह के चाचा हरजीत सिंह समेत अन्य करीबी सहयोगियों को असम की डिब्रूगढ़ जेल में शिफ्ट किया है। इन करीबियों पर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत केस भी दर्ज किया गया है। वहीं अमृतपाल अभी तक पुलिस की पकड़ से दूर हैं और पुलिस लगातार उनकी तलाश कर रही है। आइए जानते हैं कि अमृतपाल के चाचा और सहयोगियों को असम क्यों भेजा गया है।
पंजाब पुलिस के कदम पर उठ रहे हैं सवाल
पंजाब पुलिस के अमृतपाल के सहयोगियों को पंजाब से असम भेजने के कदम के बाद कई तरह के सवाल खड़े हुए हैं। यह सवाल उठ रहा है कि कौन-से कारण की वजह से पंजाब पुलिस अमृतपाल के सहयोगियों को अपनी जेल में रखने की जगह असम की जेल पर भरोसा जता रही है। यह तब है, जब पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (AAP) और असम में सतारूढ़ भाजपा के बीच विभिन्न मुद्दों पर लगातार खींचतान जारी रहती है।
क्या है पंजाब पुलिस की रणनीति?
अमृतपाल के सहयोगियों को एक सोची-समझी रणनीति के तहत असम भेजा गया है। इसके चलते खालिस्तान समर्थकों को पंजाब की जेलों के बाहर विरोध करने या हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने की कोशिश करने से रोका जा सकता है। वहीं 'वारिस पंजाब दे' का असम में कोई स्थानीय संबंध नहीं है इसलिए असम की डिब्रूगढ़ जेल को अमृतपाल के सहयोगियों को रखने के लिए एक सुरक्षित विकल्प के रूप में चुना गया था।
पंजाब में था अराजकता की स्थिति पैदा होने का डर
पंजाब पुलिस द्वारा अमृतपाल और उनके संगठन के खिलाफ बड़े स्तर पर की गई कार्रवाई के बाद पंजाब में अराजकता की स्थिति पैदा होने का डर था। गौरतलब है कि अमृतपाल 'वारिस पंजाब दे' का मुखिया बनने के बाद युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हो गए थे और बड़े स्तर पर युवा उनके संगठन में लगातार शामिल हो रहे थे। ऐसे में उनके हिंसक प्रदर्शन या पंजाब के पुलिस थाने और जेलों पर हमला करने की आशंका जताई गई थी।
गृह मंत्री अमित शाह और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान की मुलाकात
पंजाब पुलिस की इस रणनीति के पीछे मुख्यमंत्री भगवंत मान की केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ हुई अहम मुलाकात को माना जा रहा है। इस बैठक में शाह ने पंजाब में केंद्रीय सुरक्षा बलों के करीब 2,400 जवान और रैपिड एक्शन फोर्स की 8 कंपनियां भेजने के साथ-साथ हरसंभव मदद का भरोसा दिया था। बतौर रिपोर्ट्स, शाह के सुझाव पर ही पंजाब सरकार ने अमृतपाल को सहयोगियों को असम भेजने का फैसला लिया है।
जम्मू-कश्मीर से आतंकी संगठनों से जुड़े आरोपियों को भी किया गया है शिफ्ट
गृह मंत्रालय के सुझाव पर केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियां इससे पहले भी कई कुख्यात आरोपियों को एक राज्य से दूसरे राज्य में शिफ्ट करती आई हैं। केंद्र सरकार अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से जम्मू-कश्मीर में आतंकी संगठनों से जुड़े कार्यकर्ताओं से निपटने के लिए इसी रणनीति का इस्तेमाल कर रही हैं। बता दें कि लोक सुरक्षा अधिनियम (PSA) के तहत कश्मीर घाटी के कई आरोपियों को उत्तर प्रदेश की विभिन्न जेलों में भेजा जा चुका है।
NIA भी गैंगस्टर्स के खिलाफ कर चुकी है ऐसी कार्रवाई
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भी कई बड़े गैंगस्टर्स को दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की जेलों से अन्य जेलों में स्थानांतरित कर चुकी है। इसके चलते उनके नेटवर्क को तोड़ने के लिए और स्थानीय जेलों के अंदर दोबारा पनपने से रोकने में मदद मिली है। केंद्रीय एजेंसियों ने करीब दो दर्जन गैंगस्टरों को दूसरी जेलों में शिफ्ट करने का सुझाव दिया था, जिनमें पंजाबी गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मुख्य आरोपी और कुख्यात गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई भी शामिल है।