संसद के अंदर भड़काऊ बयान: रमेश बिधूड़ी की मुश्किलें बढ़ीं, विशेषाधिकार समिति को भेजा गया मामला
क्या है खबर?
लोकसभा में आपत्तिजनक भाषण को लेकर चर्चा में आए भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने इस मामले को संसद की विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया है।
अब समिति जांच कर विशेषाधिकार हनन के मामले में बिधूड़ी पर कार्रवाई कर सकती है। बता दें कि बिधूड़ी ने बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सांसद दानिश अली पर संसद में अपमानजनक और धार्मिक टिप्पणियां की थीं।
संसद
संसद में क्या हुआ था?
21 सितंबर को लोकसभा में चंद्रयान-3 की सफलता पर चर्चा चल रही थी। इस दौरान दक्षिणी दिल्ली से भाजपा के 2 बार के सांसद बिधूड़ी बोल रहे थे।
इस बीच उत्तर प्रदेश के अमरोहा से BSP सांसद दानिश अली भी विपक्ष की ओर से कुछ बोलने लगे। इससे झल्लाए बिधूड़ी ने दानिश को गाली देनी शुरू कर दी। उनके खिलाफ धार्मिक और असंसदीय टिप्पणियां कीं। बाद में इन टिप्पणियों को संसद की कार्यवाही से हटा दिया गया।
दुबे
निशिकांत दुबे ने ने जताया स्पीकर का आभार
इस फैसले पर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने स्पीकर का आभार जताया।
उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, 'आज यह इसलिए संभव हो पाया, क्योंकि लोकसभा में भाजपा का बहुमत है, नहीं तो पहले लोकसभा ने 2006 में RJD-JDU-कांग्रेस का जूता व माईक मारपीट, 2012 में सोनिया गांधी जी की मारपीट व 2014 में तेलंगाना बनने के समय फैटा फाईट व सांसद को घायल देखा, ना कमिटि बनी ना सजा हुई।'
पत्र
दानिश ने स्पीकर को लिखा था पत्र
इस घटनाक्रम के बाद दानिश ने लोकसभा स्पीकर को पत्र लिख इस मामले को विशेषाधिकार समिति के पास भेजने का अनुरोध किया था
उन्होंने कहा था कि वह बिधूड़ी के खिलाफ नियम 222, 226 और 227 के तहत नोटिस देना चाहते हैं। पत्र में लिखा था कि बिधूड़ी ने लोकसभा में उनके खिलाफ 'आतंकवादी', 'उग्रवादी' और कई आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।
इसके अलावा 4 विपक्षी पार्टियों ने भी स्पीकर को पत्र लिखा था।
कार्रवाई
बिधूड़ी पर क्या कार्रवाई हो सकती है?
विशेषाधिकार हनन का दोषी पाए जाने पर बिधूड़ी को निलंबित किया जा सकता है या सदन से बहिष्कृत किया जा सकता है।
हालांकि, ये सदन पर निर्भर करता है कि वो आरोपी सांसद को माफ कर सकती है, चेतावनी देकर छोड़ सकती है या जेल भेज सकती है।
विशेषाधिकार हनन के पुराने मामले देखें तो पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को जेल जाना पड़ा था और वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी को राज्सयभा से निष्कासित कर दिया गया था।
प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
बता दें कि बिधूड़ी का मामला विशेषाधिकार हनन से जुड़ा हुआ है। जब भी संसद सदस्यों द्वारा किसी अधिकार का उल्लंघन किया जाता है तो इसे विशेषाधिकार हनन कहा जाता है।
ऐसे मामलों की जांच के लिए विशेषाधिकार समिति होती है। हालांकि, समिति तभी जांच करती है, जब स्पीकर उसके पास मामला भेजते हैं। जांच के बाद समिति संसद को रिपोर्ट देती है। इस रिपोर्ट पर संसद मुहर लगाता है और सदस्य पर कार्रवाई की जाती है।