दिल्ली: पुलिसकर्मी ने पूर्व महिला कांस्टेबल की हत्या कर किया गुमराह, 2 साल तक 'जिंदा' रखा
दिल्ली पुलिस ने पूर्व कांस्टेबल मोना यादव के गायब होने की गुत्थी को सुलझा लिया है। इस मामले में दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल सुरेंद्र सिंह राणा को गिरफ्तार किया गया है, जिसने 2 साल पहले ही मोना की हत्या कर दी थी। इस गिरफ्तारी के पीछे मोना की बहन की भी बड़ी भूमिका रही। आइए जानते हैं कि सुरेंद्र ने कैसे इतने दिन हत्या को छिपा कर रखा और वो कैसे पुलिस के शिकंजे में आया।
2014 में दिल्ली पुलिस में भर्ती हुई थी बुलंदशहर की रहने वाली मोना
मोना उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर की रहने वाली थी और 2014 में बतौर कांस्टेबल दिल्ली पुलिस में भर्ती हुई थी। सुरेंद्र भी यहीं 2012 से कांस्टेबल था। दोनों PCR यूनिट में तैनात थे। मोना सुरेंद्र को 'डैडा' और सुरेंद्र मोना को 'बेटा' बुलाता था। इस बीच मोना का उत्तर प्रदेश पुलिस में चयन हो गया, लेकिन वो नौकरी छोड़ मुखर्जी नगर में UPSC की तैयारी करने लगी क्योंकि वो IAS बनना चाहती थी। सितंबर, 2021 में वो लापता हो गई।
परिजनों ने दर्ज कराई थी मोना की गुमशुदगी की रिपोर्ट
मोना के परिजनों ने पिछले साल 20 अक्टूबर को मुखर्जी नगर पुलिस थाने में उसकी गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवाई थी। इसी साल पीड़िता की बहन अप्रैल में दिल्ली पुलिस कमिश्नर संजय अरोड़ा से मिली और फिर 12 अप्रैल को मुखर्जी नगर में अपहरण का मामला दर्ज करवाया। जुलाई में एक बार फिर पीड़िता के परिजन संजय अरोड़ा से मिले और स्थानीय पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगाए, जिसके बाद ये मामला क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया।
ऐसे हटा राज से पर्दा
इस मामले में महिला की बड़ी बहन ने अपनी बहन की खोज जारी रखी और पुलिस थाने के चक्कर काटती रही। पुलिस ने आखिरकार 42 वर्षीय सुरेंद्र को 29 सितंबर को गिरफ्तार कर लिया और पुष्टि की कि 27 वर्षीय मोना यादव की मौत 2 साल पहले ही हो गई थी। दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच के विशेष आयुक्त रवींद्र यादव ने कहा, "हमने पीड़िता के शव के अवशेष बरामद कर उन्हें DNA जांच के लिए भेज दिया है।"
मोना पर थी सुरेंद्र की बुरी नजर
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बताया कि जब मोना मुखर्जी नगर में तैयारी कर रही थी, उस दौरान सुरेंद्र उस पर बुरी नजर रखने लगा था। मोना ने इस पर आपत्ति जताई तो वो उसे बांधकर 8 सितंबर, 2021 को अलीपुर स्थित अपने घर की तरफ ले गया और एक बड़े नाले में उसे धक्का दे दिया। इसके बाद गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। इसमें उसके बहनोई और एक और व्यक्ति ने उसका साथ दिया।
सुरेंद्र ने ऐसे मोना को रखा 2 साल 'जिंदा'
पुलिस जांच में सामने आया है कि आरोपी ने मोना को जिंदा दिखाने के लिए फेक कोरोना वैक्सीन का सर्टिफिकेट बनवाया था और मोना के बैंक अकाउंट से लेन-देन करता था। वो मोना का सिम कार्ड भी इस्तेमाल करता था। यहां तक कि घरवालों को मोना की लोकेशन को लेकर भी गलत जानकारी देता और फिर उसी जगह उनके साथ चला जाता था। सुरेंद्र के इस तरह गुमराह करने के कारण परिजनों ने 5 राज्यों में मोना की खाक छानी।
पकड़ में आया आरोपी बहनोई
एक पुलिस अधिकारी ने जानकारी दी कि सुरेन्द्र ने अपने बहनोई रविन से मोना के घरवालों को फोन करवाया। रविन ने अपना परिचय "अरविंद" के रूप में दिया और कहा कि उसने और मोना ने शादी कर ली है। वो छिपे हुए हैं क्योंकि उसका परिवार उसकी शादी के खिलाफ है। रविन ने दावा किया कि सुरेंद्र ने उसे हत्या के बारे में नहीं बताया था और उसे धमकी देकर अपना काम करवाया था क्योंकि उसकी शादी खतरे में थी।
2011 में गोली लगने से मारे गए थे मोना के पिता
मोना की बहन ने कहा, "हम 3 बहनें थीं। मोना सबसे छोटी थी। हमारे पिता उत्तर प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर के रूप में काम करते थे। 2011 में गोली लगने से उनकी मृत्यु हो गई थी।" मोना की बहन ने बताया कि उसकी बहन पिता के सपनों को पूरा करना चाहती थी। अब उसकी मौत से वो काफी दुखी है। उन्होंने मोना के शव के अवशेष के लिए पुलिस से अनुरोध किया है, ताकि उसका अंतिम संस्कार किया जा सके।