संसद शीतकालीन सत्र में IPC और CrPC में बदलाव का विधेयक होगा पेश, लागू नहीं होगा
संसद शीतकालीन सत्र 4 दिसंबर से शुरू हो रहा है। इस सत्र के लिए कुल 18 विधेयकों को सूचीबद्ध किया गया है जिसमें आपराधिक कानूनों को बदलने के लिए 3 विधेयक भी शामिल हैं। इन विधेयकों का नाम भारतीय न्याय संहिता (BNS), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) और भारतीय साक्ष्य विधेयक (BSB) विधेयक है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ये विधेयक यदि पास भी होते हैं तो यह 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद लागू किये जाएंगे।
भाजपा सत्ता में आई तब लागू होंगे यह 3 विधेयक
न्यूज 18 की रिपोर्ट के अनुसार, इन विधेयकों को 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद ही अधिसूचित और लागू किए जाने की संभावना है। हालांकि, यह लागू भी तभी होगा अगर भाजपा के नेतृत्व वाला राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) फिर से सत्ता में आता है। बता दें कि BNS विधेयक, 2023 भारतीय दंड संहिता (IPC) की जगह लेगा; BNSS विधेयक, 2023 CrPC की जगह लेगा; और BS विधेयक, 2023 भारतीय साक्ष्य अधिनियम (IEA) की जगह लेगा।
विधेयक पारित हुआ तो क्या होगी चुनौती?
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र में सेवारत वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि मुख्य ट्रांजिशन पीरियड से निपटना होगा क्योंकि नई आपराधिक संहिता आपराधिक न्याय प्रणाली में भारी बदलाव लाएगी। एक IPS अधिकारी ने कहा, "जैसे ही नया कोड लागू होगा, केवल नए मामलों में BNS की नई धाराओं के तहत आरोप लगाए जाएंगे, IPC के तहत नहीं। हालांकि, राज्यों और केंद्रीय एजेंसियों में हजारों अपराधों से संबंधित हजारों मामलों की सुनवाई IPC की पुरानी धाराओं के तहत जारी रहेगी।"
अगस्त में पेश हुआ था आपराधिक कानूनों पर नया विधेयक
बता दें कि 11 अगस्त, 2023 को गृह मंत्री अमित शाह ने संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य विधेयक पेश किए गए थे। ये तीनों नए विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। यह विधेयक प्रवर समिति को भेजे गए थे। बाद में समिति ने अपनी सिफारिशों के साथ अपनी रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति के समक्ष रखी थी।
और कौन-से विधेयक लाने की है योजना?
बता दें कि इस बार शीतकालीन सत्र में सरकार जम्मू एवं कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक लाने की योजना बना रही है। इसमें प्रवासी कश्मीरियों, पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर से विस्थापित लोगों और अनुसूचित जनजातियों को प्रतिनिधित्व बढ़ाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में विधानसभा सीटों की संख्या 107 से 114 करने का प्रावधान होगा। इसके अलावा बॉयलर विधेयक, करों का अस्थायी संग्रह विधेयक और केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक भी सूची में होंगे।