#NewsBytesExplainer: सांसदों को संसद से निलंबित करने को लेकर क्या नियम और कब-कब ऐसा हुआ?
लोकसभा की आचार समिति सोमवार को लोकसभा अध्यक्ष को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में तृणमूल कांग्रेस (TMC) की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ रिपोर्ट सौंपेगी। इस रिपोर्ट में यदि महुआ के खिलाफ सिफारिश की जाती है तो लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला महुआ को सदन से निलंबित या निष्कासित कर सकते हैं। आइए जानते हैं कि आखिर किन नियमों के तहत पीठासीन अधिकारी एक सांसद को संसद से निलंबित कर सकते हैं।
किस नियम के तहत सांसदों को किया जाता है निलंबित?
सदन में सांसदों के अधिक अमर्यादित और अड़ियल सदस्यों से निपटने के लिए पीठासीन अधिकारी लोकसभा प्रक्रिया और कार्य-संचालन नियमों के नियम 374 और 374A का सहारा लेते हैं। इन नियमों के तहत पीठासीन अधिकारी किसी सदस्य का आचरण अमर्यादित पाए जाने पर उसे तुरंत सदन से हटने का निर्देश दे सकता है। सांसद को यह आदेश तत्काल मानना पड़ता है। ऐसे सदस्य को बाकी दिन की बैठक के दौरान अनुपस्थित रहना होता है।
क्या कहता है नियम 374?
नियम 374 के तहत पीठासीन अधिकारी ऐसे सदस्य का नाम ले सकता है जो उसके आदेश की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर सदन के कामकाज में बाधा डालकर सदन के नियमों का उल्लंघन करता है। जब अध्यक्ष ऐसे सांसदों के नाम का ऐलान करते हैं तो सदन के पटल पर एक प्रस्ताव रखा जाता है, जिसमें सदन की गरिमा को भंग करने वाले सदस्य का नाम लेते हुए उसके निलंबन की बात कही जाती है।
अध्यक्ष के प्रस्ताव में और क्या होता है?
अध्यक्ष के प्रस्ताव में निलंबन की अवधि का भी उल्लेख होता है और यह अधिकतम सत्र की समाप्ति तक हो सकती है। सदन चाहे तो इस निलंबन को कभी भी रद्द करने का अनुरोध कर सकता है।
नियम 374A क्या कहता है?
नियम 374A के तहत यदि सदन में कोई अध्यक्ष की कुर्सी के पास आकर या सभा में नारे लगाकर या फिर अन्य तरह से सभा की कार्यवाही को बाधित करता है या वह जानबूझकर सभा के नियमों का दुरुपयोग कर घोर अव्यवस्था पैदा करता है तो इस स्थिति में अध्यक्ष द्वारा उसका नाम लिए जाने पर वह सभा की सेवा से लगातार 5 बैठकों के लिए या सत्र की शेष अवधि के लिए तुरंत निलंबित हो जाता है।
क्या सांसदों को निलंबित करना आम बात है?
इस तरह से सांसदों को निलंबित किया जाना एक बड़ी कार्रवाई मानी जाती है, लेकिन यह असामान्य नहीं है। हाल के वर्षों में निलंबन अधिक सामान्य हो गए हैं और 2019 के बाद से हर साल ऐसा देखने को मिला है।
हाल ही में कब-कब कितने सांसदों को किया गया निलंबित?
5 मार्च, 2020 को संसद के बजट सत्र के दौरान 7 कांग्रेस सांसदों को निलंबित किया गया था। इससे पहले नवंबर, 2019 में लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कांग्रेस के 2 सांसदों को निलंबित किया था। जनवरी, 2019 में सुमित्रा महाजन ने तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और AIADMK के कुल 45 सदस्यों को निलंबित किया था। 13 फरवरी, 2014 को, तत्कालीन अध्यक्ष मीरा कुमार ने सदन में हंगामे के बाद (अविभाजित) आंध्र प्रदेश के 18 सांसदों को निलंबित किया था।
और कब निलंबित किए गए हैं सांसद?
इसके अलावा 2 सितंबर, 2014 को 9 सांसदों को 5 दिनों के लिए निलंबित कर दिया गया था। 23 अगस्त, 2013 को भी 12 सांसदों को 5 दिनों के लिए निलंबित किया गया था। 24 अप्रैल, 2012 को 8 सांसदों को 4 दिनों के लिए निलंबित किया गया था। 15 मार्च, 1989 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे, तब 63 सांसदों को 3 दिनों के लिए लोकसभा से निलंबित कर दिया गया था।
राज्यसभा में निलंबन से संबंधित क्या नियम हैं?
लोकसभा के अध्यक्ष की तरह राज्यसभा के सभापति को सदन की नियम पुस्तिका के नियम 255 के तहत अधिकार है कि वह किसी भी सदस्य को, जिसका आचरण उनकी राय में घोर अव्यवस्थित है, तुरंत सदन से निकलने का निर्देश दे सकते हैं। नियम 256 के तहत सभापति उस सदस्य का नाम सदन के पटल पर रखते हैं, उनके आदेश की अवहेलना करता है या लगातार और जानबूझकर कार्य में बाधा डालकर नियमों का दुरुपयोग करता है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
महुआ पर कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से रिश्वत लेकर संसद में अडाणी समूह से जुड़े सवाल पूछने का आरोप है। इस संबंध में महुआ ने हीरानंदानी को अपना लोकसभा का आईडी-पासवर्ड देने की बात भी स्वीकारी है, जिसके जरिए हीरानंदानी अडाणी समूह के खिलाफ सवाल पूछते थे। लोकसभा की आचार समिति ने पूछताछ के बाद महुआ को सदन से निलंबित करने की सिफारिश की है। सोमवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में महुआ के निलंबन पर फैसला लिया जाएगा।