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    #NewsBytesExplainer: प्रधानमंत्री मोदी और जॉर्जिया मेलोनी के नेतृत्व में भारत-इटली संबंध कैसे मजबूत हुए हैं? 
    भारत और इटली के संबंधों का इतिहास काफी पुराना है

    #NewsBytesExplainer: प्रधानमंत्री मोदी और जॉर्जिया मेलोनी के नेतृत्व में भारत-इटली संबंध कैसे मजबूत हुए हैं? 

    लेखन आबिद खान
    Jun 15, 2024
    08:00 pm

    क्या है खबर?

    इटली में 2 दिवसीय G-7 शिखर सम्मेलन का समापन हो गया है। इसमें दुनियाभर के नेता जुटे थे।

    भारत इस समूह का सदस्य नहीं है, लेकिन उसे आउटरीच देश के तौर पर सम्मेलन में आमंत्रित किया गया था।

    इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के आमंत्रण पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा लिया। दोनों नेताओं के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में भारत-इटली के संबंध मजबूत हुए हैं।

    आइए दोनों देशों के संबंधों पर नजर डालते हैं।

    इतिहास

    कैसे रहे हैं भारत-इटली के ऐतिहासिक संबंध?

    भारत और इटली के संबंध करीब 2,000 साल से ज्यादा पुराने बताए जाते हैं। वेनिस के व्यापारी मार्को पोलो ने 13वीं शताब्दी में पूर्व की अपनी यात्रा के दौरान भारत की यात्रा की थी।

    नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर ने भी 1926 में इटली का दौरा किया था।

    महात्मा गांधी 1931 में रोम गए थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भारतीय सैनिकों को इटली में तैनात किया गया था, जहाँ उन्होंने जर्मन सैनिकों से लड़ाई लड़ी थी।

    आजादी

    आजादी के बाद कैसे बदले दोनों देशों के संबंध?

    भारत और इटली के बीच राजनीतिक संबंध 1947 में स्थापित हुए थे। इसके बाद से दोनों देशों के बीच संबंध लगातार मजबूत हुए हैं।

    पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, एचडी देवेगौड़ा, अटल बिहारी वाजपेयी, आइके गुजराल और डॉक्टर मनमोहन सिंह इटली का दौरा कर चुके हैं।

    1988 में इटली के प्रधानमंत्री जियोवानी गोरिया ने भारत का दौरा किया था। उसके बाद इटली के कई प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति नियमित भारत दौरे पर आते रहे हैं।

    गिरावट

    जब संबंधों में आई गिरावट

    भारत ने इटली से अगस्ता वेस्टलैंड हेलीकॉप्टर की खरीद के लिए समझौता किया था।

    इसमें इटली की कंपनी पर रिश्वत देने के आरोप लगे और समझौता रद्द कर दिया गया।

    2012 में केरल के तट पर इटली के नौसैनिकों ने 2 भारतीय मछुआरों को गोली मार दी थी।

    भारत ने इटली के सैनिकों को गिरफ्तार कर लिया, जिन्हें बाद में रिहा किया गया। इन घटनाओं से दोनों देशों के बीच संबंधों में मामूली कड़वाहट भी पैदा हुई थी।

    मोदी कार्यकाल

    मोदी सरकार के कार्यकाल में फिर सुधरे संबंध

    2016 में पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इटली की यात्रा की थी। इसे दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार की बड़ी पहल माना गया।

    उन्होंने अपने इतालवी समकक्ष पाओलो जेंटिलोनी से मुलाकात की थी। उस दौरान दोनों पक्षों ने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाने का फैसला किया था।

    2019 में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रोम का दौरा किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री ग्यूसेप कोंटे से मुलाकात की। जयशंकर 2021 में भी इटली गए थे।

    मेलोनी

    मेलोनी और मोदी के नेतृत्व में कैसे मजबूत हुए संबंध?

    प्रधानमंत्री बनने के बाद मेलोनी ने 2023 में भारत की राजकीय यात्रा की थी। उस दौरान दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को रणनीतिक साझेदारी में बदला गया और द्विपक्षीय व्यापार बढ़कर 1.2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा हो गया।

    उसके बाद इटली यूरोपीय संघ (EU) में भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार बन गया।

    मोदी और मेलोनी G-20 और COP 28 शिखर सम्मेलन समेत कई अलग-अलग मौकों और मंचों पर एक-दूसरे से मिल चुके हैं।

    व्यापार

    दोनों देशों के बीच कितना है व्यापार?

    भारत और इटली के बीच 2022-23 में द्विपक्षीय व्यापार 1.2 लाख करोड़ रुपये का था, जिसमें निर्यात 72,000 करोड़ रुपये का था।

    इटली में भारतीय कंपनियां मुख्य रूप से आईटी, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स, विनिर्माण और इंजीनियरिंग क्षेत्रों में हैं।

    भारत में 700 से अधिक इतालवी कंपनियां हैं, जिनमें लगभग 60,000 के करीब लोगों को रोजगार मिलता है।

    दोनों देशों के बीच लोहा, दूरसंचार उपकरण, पेट्रोलियम उत्पाद, चाय, औद्योगिक मशीनरी, इलेक्ट्रिक मशीनरी और रसायन का आयात-निर्यात होता है।

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