#NewsBytesExplainer: मायावती ने आकाश आनंद से क्यों छीनीं जिम्मेदारियां, क्या है वजह?
बहुजन समाज पार्टी (BSP) सुप्रीमो मायावती ने चौंकाने वाले फैसले में अपने भतीजे आकाश आनंद को BSP के राष्ट्रीय समंवयक और अपने उत्तराधिकारी पद से हटा दिया है। मायावती ने पिछले साल ही आकाश को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। लोकसभा चुनाव के बीच मायावती के इस फैसले को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं। आइए जानते हैं कि फैसले के पीछे संभावित वजह क्या हो सकती है।
सबसे पहले जानिए मायावती ने क्या कहा?
मायावती ने लिखा, 'BSP एक पार्टी के साथ बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर के आत्म-सम्मान, स्वाभिमान तथा सामाजिक परिवर्तन का भी आंदोलन है, जिसके लिए मान्य श्री कांशीराम जी व मैंने पूरी जिंदगी समर्पित की है। इसी क्रम में पार्टी में लोगों को आगे बढ़ाने के साथ श्री आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी और राष्ट्रीय समंवयक घोषित किया, किन्तु पार्टी के व्यापक हित में पूर्ण परिपक्वता आने तक अभी उन्हें इन दोनों अहम जिम्मेदारियों से अलग किया जा रहा है।'
आकाश पर FIR है वजह?
लोकसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही आकाश ने करीब 2 दर्जन से ज्यादा रैलियों को संबोधित किया। सीतापुर के राजा कॉलेज में एक जनसभा में भड़काऊ भाषण देने के आरोप में आकाश के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई थी। यहां उन्होंने भाजपा सरकार को 'आतंक की सरकार' करार दिया था और जूतों से मारने की बात कही थी। इस विवाद के बाद से ही मायावती ने आकाश की रैलियों पर रोक लगा दी थी।
रैलियों में आकाश के विवादित भाषण
आकाश रैलियों में आक्रामक भाषण दे रहे थे और जबान पर काबू नहीं रख पा रहे थे। आकाश ने कम से कम 2 चुनावी सभाओं में आम बोलचाल में बोली जाने वाली गाली जैसे शब्दों का प्रयोग किया था, जिसमें जूता मारने वाला भाषण भी शामिल है। उनके इन विवादित भाषणों के चलते BSP की आलोचना हो रही थी और दूसरी पार्टियों को निशाना साधने का मौका मिल रहा था।
भाजपा को निशाने पर ले रहे थे आकाश
आकाश रैलियों में लगातार भाजपा और मोदी-योगी सरकार पर सीधा निशाना साध रहे थे। वे जनसभाओं में समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस से ज्यादा भाजपा के खिलाफ मुखर हो गए थे। सियासी हलकों में BSP को भाजपा की बी-टीम माना जाता है। सीधा भाजपा पर निशाना साधना इस नैरेटिव को तोड़ता नजर आ रहा था। आकाश के भाषणों से भाजपा को नुकसान और SP को फायदा होता दिख रहा था।
BSP नेताओं के साथ तालमेल की कमी
आकाश पार्टी में एक नए सितारे के तौर पर उभर रहे थे, जिससे कई बड़े नेता असहज थे। आकाश की रैलियों में भीड़ उमड़ने लगी थी। चर्चा तो यहां तक थी कि आकाश की डिमांड मायावती से भी ज्यादा होने लगी थी। इससे BSP का एक बड़ा वर्ग असुरक्षित महसूस कर रहा था। विधानसभा चुनावों के दौरान भी आकाश ने प्रचार से दूरी बना ली थी, क्योंकि कथित तौर पर दूसरे नेता उनकी बात नहीं सुन रहे थे।
मनाही के बाद भी करते रहे प्रचार
दावा किया जाता है कि सीतापुर मामले के बाद मायावती ने आकाश द्वारा प्रचार पर रोक लगा दी थी। इसके बाद वे किसी रैली में नजर भी नहीं आए। हालांकि, इस दौरान वे दिल्ली में रहे और यहीं से पार्टी से जुड़ी गतिविधियां कर रहे थे। उन्होंने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्रों, दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों और विदेश में बसे बहुजन समाज के लोगों के साथ चर्चा की और BSP का प्रचार करते दिखे।
मायावती के फैसले का क्या असर हो सकता है?
BBC से बात करते हुए वरिष्ठ पत्रकार शरद गुप्ता ने कहा, "चुनाव के वक्त इस फैसले से मतदाताओं में ये संदेश जा सकता है कि BSP में अपनी रणनीति को लेकर असमंजस की स्थिति है और वो पार्टी से दूर जा सकते हैं।" दूसरे विश्लेषकों का मानना है कि आकाश की रैलियों ने कम से कम उत्तर प्रदेश में BSP समर्थकों में नया जोश पैदा किया था, ऐसे में इस फैसले से पार्टी के युवा मतदाता निराश महसूस करेंगे।