रूस की निंदा न करने पर भारत को G7 सम्मेलन से दूर रख सकता है जर्मनी
जून महीने में जर्मनी G7 सम्मेलन की मेजबानी करने जा रहा है। पहले इस सम्मेलन के मेहमान में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम शामिल किया गया था, लेकिन अब भारत को निमंत्रण देने या न देने पर विचार किया जा रहा है। दरअसल, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के निंदा न करने के कारण जर्मनी भारत को इस सम्मेलन से दूर रख सकता है। सूत्रों के हवाले से यह जानकारी मिली है और इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
G7 समूह में शामिल हैं ये देश
G7 समूह में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, इटली, जापान और अमेरिका शामिल है। इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहा जाता है। यह दुनिया की सबसे विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था माने जाने वाले देशों का समूह है, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी।
यूक्रेन युद्ध से पहले तैयार की गई सूची में था भारत का नाम
जर्मनी ने इस बार सम्मेलन में सेनेगल, दक्षिण अफ्रीका और इंडोनेशिया को मेहमान के तौर आमंत्रित किया है, लेकिन भारत को लेकर अभी विचार किया जा रहा है। मामले से जुड़े लोगों ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर ब्लूमबर्ग को बताया कि यूक्रेन युद्ध से पहले तैयार की गई मेहमानों की सूची में भारत का नाम था, लेकिन इस पर अंतिम फैसला नहीं लिया गया है। जर्मनी जल्द ही मेहमान देशों की आधिकारिक सूची जारी करेगा।
भारत ने नहीं की है रूस की आलोचना
भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हैं, जिन्होंने यूक्रेन युद्ध को लेकर रूस की आलोचना नहीं की है। भारत ने संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ आए प्रस्तावों पर मतदान से खुद को दूर रखा है। भारत ने रूस को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर करने के प्रस्ताव पर भी मतदान नहीं किया था। इसके अलावा भारत ने हालिया दिनों में रूस से ऊर्जा खरीद को भी बढ़ाया है। हालांकि, भारत ने बूचा नरसंहार की निंदा की है।
खुद जर्मनी पर भी उठ रहे सवाल
यूक्रेन और पोलैंड समेत कई देशों ने रूस से ऊर्जा के आयात को लेकर जर्मनी की आलोचना की है। हालांकि, जर्मनी ने कहा है कि वह रूस से आयात कम करेगा, लेकिन फिलहाल उसकी बड़ी कंपनियों की फैक्ट्रियां रूस से आने वाली नैचुरल गैस से ही चल रही है। भारत ने अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा है कि वह यूरोप की तुलना में रूस से बहुत कम आयात कर रहा है।
G7 देशों ने लगाए हैं रूस पर कड़े प्रतिबंध
यूक्रेन पर आक्रमण करने को लेकर G7 देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए हैं। कई देशों ने तो रूस का मुकाबला करने के लिए यूक्रेन को हथियार भी भेजे हैं। अमेरिका और ब्रिटेन समेत ये देश अन्य देशों को रूसी आक्रमण की निंदा करने और रूस से कारोबार कम करने के लिए तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं। अमेरिका लगातार भारत पर भी रूस की निंदा करने का दबाव बना रहा है।
पिछले सत्र को मोदी ने किया था संबोधित
पिछले साल जून में प्रधानमंत्री मोदी ने G7 शिखर सम्मेलन के एक सत्र को वर्चुअली संबोधित किया था। अपने संबोधन में उन्होंने स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देते हुए कोरोना महामारी से निपटने के लिए 'एक धरती, एक स्वास्थ्य' का मंत्र दिया था, जिसका तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल ने समर्थन किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के निमंत्रण पर शिखर सम्मेलन के संपर्क सत्र को डिजिटली संबोधित किया था।