#NewsBytesExplainer: उत्तराखंड के जंगलों में कैसे लगी आग और तेजी से क्यों फैल रही है?
क्या है खबर?
बीते कई महीनों से उत्तराखंड के जंगल धधक रहे हैं। अब तक आग से 1,300 हेक्टेयर वन क्षेत्र प्रभावित हो चुका है और 5 लोगों की मौत हुई है।
तमाम कोशिशों के बावजूद शासन-प्रशासन के लिए आग पर काबू पाना मुश्किल हो रहा है। मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सरकार को फटकार लगा चुका है।
आइए जानते हैं कि क्यों उत्तराखंड के जंगल धधक रहे हैं।
भयावह
कितनी भयावह है आग?
बीते साल नवंबर से अब तक उत्तराखंड के जंगलों में आग लगने की 910 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। इस वजह से 5 लोगों की मौत हुई है और 5 गंभीर रूप से झुलस गए हैं। कुमाऊं क्षेत्र और पौडी गढ़वाल जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं।
आग बुझाने में भारतीय वायुसेना की भी मदद ली गई है। अनुमानों के मुताबिक, आग से राज्य को 30 लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है।
जंगल
क्यों जल रहे हैं जंगल?
दरअसल, उत्तराखंड में हर साल जंगलों में आग लगना एक आम घटना है। हालांकि, किसी साल से ज्यादा होती है किसी साल कम। इस साल आग लगने की घटनाएं रिकॉर्ड संख्या में दर्ज की गई है।
99 प्रतिशत मामलों में जंगलों में आग मानव निर्मित घटनाओं की वजह से लगती है। केवल एक प्रतिशत मामले ही ऐसे होते हैं, जब किसी प्राकृतिक कारण से जंगलों में आग लग जाती है।
प्राकृतिक कारण
क्या है आग लगने के प्राकृतिक कारण?
उत्तराखंड में इस साल सर्दियों में कम बारिश हुई है। इस वजह से घास सूखी हुई है और नमी भी कम है, जिसके चलते आग फैल रही है।
दूसरी ओर, उत्तराखंड के जंगलों में भारी मात्रा में चीड़ के पेड़ हैं। चीड़ के पेड़ में एक तरल पदार्थ होता है, जिसे लीसा कहते हैं। इसकी पत्तियों में भी तेल का अंश होता है, जिसे पीरूल बोला जाता है। ये बेहद ज्वलनशील तरल होता है।
वजह
और क्या हैं संभावित प्राकृतिक कारण?
उत्तराखंड का जंगली इलाका ऊबड़-खाबड़ और खड़ी ढलान वाला है। इससे आग बुझाने के लिए पहुंच पाना आसान नहीं है।
दूसरी ओर, यहां घनी वनस्पतियां हैं और फिलहाल शुष्क और तेज हवा चल रही है। इससे आग तेजी से फैल रही है। सूखी वनस्पति आग के लिए ईंधन का काम करती है और तेज हवाएं लपटों को आगे बढ़ाती हैं। वन अधिकारियों ने भी आग के तेजी से फैलने का कारण तेज हवाओं को बताया है।
मानवीय कारण
आग लगने के मानवीय कारण क्या हैं?
अक्सर ग्रामीण जानबूझकर जंगलों में आग लगाते हैं। मानसून में नई घास के लिए सूखी झाड़ियों को जला दिया जाता है।
स्थानीय लोग तेंदुओं और अन्य जंगली जानवरों के छिपने के स्थानों को हटाने के लिए भी झाड़ियों को जला देते हैं। मानसून से पहले ग्रामीण नई खेती करने के लिए पुराने घास को जलाते हैं, ताकि जमीन साफ हो जाए। इससे भी जंगलों में आग भी लग जाती है।
गिरफ्तार
रील बनाने के लिए लगाई आग, 3 गिरफ्तार
उत्तराखंड के चमोली में 3 युवकों ने जंगल में आग लगाते हुए वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर शेयर किया है। तीनों युवक जंगल में लगी आग के सामने वीडियो बनाते नजर आए, इनमें से एक ने दावा किया कि वो आग उन्होंने ही लगाई है।
बाद में तीनों युवकों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया, जिन्होंने पूछताछ में बताया कि सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध होने के लिए उन्होंने आग लगाई थी।
जैव विविधता
जंगल की आग से जैव विविधता पर खतरा
आग को जंगलों की जैव विविधता के लिए बड़ा खतरा माना जा रहा है।
विशेषज्ञों के अनुसार, मार्च से मई तक की अवधि कई प्राणियों के लिए प्रजनन की अवधि होती है। इसी दौरान कीड़ों से लेकर पक्षियों और जानवरों तक हाईबरनेशन से बाहर आते हैं। आमतौर पर पक्षी भोजन के लिए कीड़ों और उनके लार्वा पर निर्भर रहते हैं, लेकिन आग से इस पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को बड़ा नुकसान होता है।