क्या है इटली के नौसैनिकों के भारतीय मछुआरों को मारने का नौ साल पुराना मामला?
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट ने आज इटली के दो नौसैनिकों पर चल रहे केरल के मछुआरों की हत्या के मामले को बंद करने का आदेश दिया। कोर्ट का ये आदेश इटली सरकार के पीड़ितों को 10 करोड़ रुपये का मुआवजे देने के बाद आया है।
इसी के साथ भारत और इटली के बीच राजनयिक संकट पैदा करने वाले इस बेहद चर्चित मामले की भारत में फाइल बंद हो गई।
आइए आपको इस मामले के बारे में विस्तार से बताते हैं।
मामला
कहां से शुरू हुआ मामला?
15 फरवरी, 2012 को सिंगापुर से मिस्र जा रहे एक कारोबारी जहाज 'एनरिका लेक्सी' पर तैनात इटली की नौसेना के दो जवानों ने भारतीय मछुआरों की एक नाव 'सेंट एंटनी' पर गोली चलाई थी।
इस गोलीबारी में केरल के रहने वाले दो मछुआरों की मौत हो गई थी। इतालवी नौसैनिकों मैसिमिलिआनो लातोरे और साल्वातोर गिरोने पर गोली चलाने का आरोप तय हुआ था।
दोनों ने अपने बचाव में कहा कि उन्होंने मछुआरों को समुद्री डकैत समझकर गोली चलाई थी।
कानूनी पक्ष
इटली सरकार ने कोर्ट में क्या दलील दी?
अपने नौसैनिकों की गिरफ्तारी पर इटली ने कड़ी प्रतिक्रिया दी और केरल हाई कोर्ट में उनके खिलाफ दर्ज FIR को रद्द करने की याचिका दायर की।
उसने कहा कि चूंकि यह घटना भारत की क्षेत्रीय जल सीमा से बाहर हुई, इसलिए भारतीय कोर्ट्स को मामले में सुनवाई करने का कोई अधिकार नहीं है।
हालांकि हाई कोर्ट ने कहा कि इटली के नौसैनिकों पर भारत में मामला चल सकता है क्योंकि घटना भारत के विशिष्ट आर्थिक जोन (EEZ) के अंदर हुई।
अधिकार क्षेत्र
क्या है भारत के अधिकार-क्षेत्र का मामला?
यह घटना केरल के तट से लगभग 20.5 समुद्री मील दूर हुई थी। यह घटनास्थल यूनाइटेड नेशन्स कंवेन्शन ऑन द लॉ ऑफ सी (UNCLOS) के तहत भारत के सन्निहित क्षेत्र के अंतर्गत आता है।
सन्निहित क्षेत्र क्षेत्रीय समुद्री सीमा (12 समुद्री मील) और अंतरराष्ट्रीय समुद्र (24 समुद्री मील से अधिक) के बीच होता है और यहां तटीय देश के कस्टम, राजकोषीय और इमिग्रेशन नियम लागू होते हैं।
इसी कारण भारत ने कहा कि वह नौसैनिकों पर मामला चला सकता है।
सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
इटली सरकार केरल हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गई जिसने हाई कोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि यह मामला उसके अधिकार-क्षेत्र में नहीं आता।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने आदेश में कहा कि भारत इटली के नौसैनिकों पर मामला चला सकता है और उसने मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष कोर्ट बनाने का आदेश दिया।
उसने पहले जून, 2012 और फिर फरवरी, 2013 में नौसैनिकों को इटली जाने की इजाजत भी दी।
रिश्तों में तनाव
कैसे इटली और भारत के बीच तनाव का कारण बना मामला?
इस मामले के कारण भारत और इटली के संबंधों में खटास और तनाव भी खूब पैदा हुआ।
मई, 2012 में जब केरल पुलिस ने मामले में चार्जशीट दाखिल की तो इटली ने भारत के अपने राजदूत को वापस बुला लिया।
इसके अलावा जब इटली ने 2013 में वोट डालने गए दोनों नौसैनिकों को वापस भेजने से इनकार कर दिया तो सुप्रीम कोर्ट ने इटली के तत्कालीन राजदूत को उसकी अनुमति के बिना भारत न छोड़ने का आदेश दिया।
विवाद
नौसैनिकों को वापस भेजने के विरोध में इटली के विदेश मंत्री का इस्तीफा
सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद इटली नौसैनिकों को भारत भेजने को तैयार हो गया, लेकिन उसके तत्कालीन विदेश मंत्री ने विरोध में अपना इस्तीफा दे दिया।
इस बीच भारत सरकार ने इटली सरकार को भरोसा दिलाया कि नौसैनिकों को मौत की सजा नहीं दी जाएगी और वे अपनी कैद की सजा को इटली में काट सकेंगे।
इसके बाद इटली ने नौसैनिकों को भारत भेज दिया, लेकिन 2014 में लातोरे और 2016 में गिरोने फिर वापस चले गए।
मामले का अंत
अब भारत में कैसे बंद हुआ मामला?
इटली 2015 में इस मामले को नीदरलैंड के हेग स्थित स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) भी लेकर गया था जिसने पिछले साल जुलाई में अपना फैसला सुनाया।
अपने फैसले में उसने कहा कि इटली ने एक भारतीय नाव पर गोलीबारी कर UNCLOS के नियमों का उल्लंघन किया है और उसे दो मछुआरों की मौत का हर्जाना भरना चाहिए।
हालांकि उसने यह भी कहा कि भारत का मामले में कोई अधिकार-क्षेत्र नहीं है और उसे इससे संबंधित सभी सुनवाई बंद करनी पड़ेंगी।
जानकारी
इटली के 10 करोड़ रुपये देने के बाद मामला बंद
PCA के इस आदेश के बाद इटली ने पीड़ित परिवारों को मुआवजे के लिए भारत सरकार को 10 करोड़ रुपये ट्रांसफर कर दिए जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने मामला बंद कर दिया। PCA ने नौसैनिकों पर इटली में केस चलाने को भी कहा है।