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रूसी महिला ने कर्नाटक के जंगलों में अपने बच्चों के साथ कैसे बिताए 8 साल?
रूसी महिला पिछले 8 साल से अपनी दो बेटियों के साथ कर्नाटक के जंगलों में रह रही थी

रूसी महिला ने कर्नाटक के जंगलों में अपने बच्चों के साथ कैसे बिताए 8 साल?

Jul 14, 2025
05:28 pm

क्या है खबर?

कर्नाटक पुलिस ने गत शुक्रवार को उत्तर कन्नड़ जिले के कुमता तालुक में गोकर्ण गुफा से एक रूस निवासी महिला और उसकी 2 बेटियों को निकाला। जांच में सामने आया कि महिला पिछले 8 सालों से बेटियों के साथ जंगल में रह रही थी। पुलिस ने अब उसे वापस रूस भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। इस बीच आइए जानते हैं कि पुलिस उन तक कैसे पहुंची और महिला ने किस तरह गुफा में 8 साल बिता दिए।

खोज

पुलिस ने रूसी महिला और उसकी बेटियों को कैसे ढूंढा?

गोकर्ण पुलिस के उपनिरीक्षक श्रीधर एसआर ने बताया कि महिला की पहचान नीना कुटीना उर्फ मोही (40) और दोनों बेटियों की पहचान प्रेया (6) और अमा (4) के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि इलाके में भूस्खलन के बाद उन्होंने तलाशी अभियान शुरू किया था। उस दौरान गोकर्ण के पास एक गुफा नजर आई, जहां कपड़े सूख रहे थे। उन्होंने अंदर जाकर देखा तो वहां नीना बैठी थी प्रेया खेल रही थी। इसी तरह अमा सो रही थी।

जानकारी

नीना की है आध्यात्मिकता में रुचि

उपनिरीक्षक श्रीधर ने बताया कि गुफा के अंदर आध्यात्मिकता में रुचि रखने वाली नीना ने भगवान रुद्र की मूर्ति स्थापित कर रखी थी और उसकी पूजा भी की हुई थी। इसी तरह उसे पास रूसी किताबें और हिंदू देवी-देवताओं की तस्वीरें रखी थीं।

खुलासा

8 साल से जंगलों में रह रही थी नीना

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, नीना ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उसे भारत, जंगल और ध्यान बहुत पसंद है। वह पहली बार 2016 में बिजनेस वीजा पर भारत आई थीं। इसके बाद 17 अप्रैल, 2017 को उसका वीजा खत्म हो गया, लेकिन वह वापस नहीं लौटी। उसने बताया कि 2018 में एग्जिट परमिट मिलने और नेपाल की यात्रा करने के बाद वह फिर से भारत लौट आई और कर्नाटक के तटीय जंगलों को अपना ठिकाना बना लिया।

कारण

जंगलों में क्यों रह रही थी नीना?

उत्तर कन्नड़ जिले के पुलिस अधीक्षक (SP) एम नारायण ने बताया कि नीना शांति और आध्यत्म की तलाश में भारत आई थीं। वह जंगलों में हिमालय के साधुओं की तरह जीवन जी रही थी। वह अपना दिन पूजा, ध्यान और आध्यात्मिक मौन में बिताती थी। नीना ने बताया कि वह पिछले 2 महीने से इस गुफा में थी। उससे पहले जंगलों में विभिन्न गुफाओं में रही है। भूस्खलन की चेतावनी के बाद वह पुलिस के साथ आने को तैयार हुई।

जीवन

नीना ने बच्चों के साथ जंगल में कैसे बिताए 8 साल?

SP नारायण ने बताया कि गुफा में जंगली जानवरों के डर के सवाल पर नीना ने कहा कि उसे जानवरों से नहीं, इंसानों से डर लगता है। उसने कहा, "सांप उनके दोस्त हैं। हम उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाते और वे भी हमें कुछ नहीं करते। वह नहाने झरनों पर जाती थीं, तो सांप उनके आसपास घूमते थे, लेकिन उन्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाते थे। गुफा में भी सांप आ जाते थे, लेकिन उन लोगों को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया।"

दिनचर्या

जंगल में कैसी थी नीना और उसके बच्चों की दिनचर्या?

नीना ने पुलिस को बताया कि वह अपनी बेटियों को गोकर्ण और दूसरी जगहों पर ले जाती थी, लेकिन हमेशा गुफा में वापस आ जाती थी। उसने अपने बच्चों के साथ एक दिनचर्या बना रखी थी। इसमें सुबह सोकर उठने के बाद नहाना, पूजा-पाठ करना, मंत्रोच्चारण करना, ध्यान और योग करना शामिल था। उसने बताया कि वह बच्चों के साथ पेंटिंग करती थी और भजन गाकर दिन गुजारती थी। बारिश के दिनों में वह कम कपड़ाें में रहते थे।

खाना

जंगल में क्या खाता था नीना का परिवार?

SP नारायण ने बताया कि नीना और उसके बच्चे गुफा में प्लास्टिक के तिरपाल पर सोते थे। खाने में वह मुख्य पूर से फटाफट बनने वाले नूडल्स खाकर गुजारा करते थे। उसने मानसून के महीनों के लिए पर्याप्त किराने का सामान भी जमा कर रखा था। उन्होंने बताया कि नीना और उसका परिवार ज्यादातर दिन के उजाले पर निर्भर रहता था। हालांकि, उनके पास मोमबत्तियां भी थीं, लेकिन वे उनका इस्तेमाल बहुत ही कम करते थे।

बेटियां

भारत में ही दिया बेटियों को जन्म

नीना ने बताया कि उनकी दोनों बेटियां भारत में ही पैदा हुईं। हालांकि, उन्होंने बेटियों के पिता के बारे में कुछ भी बताने से इनकार कर दिया और स्पष्ट किया कि वह उनके बारे में बात नहीं करना चाहती है। SP नारायण ने बताया कि नीना और उसके बच्चों की सूचना विदेश मंत्रालय को भिजवा दी गई है। उन्हें जल्दी ही रूस वापस भेजा जाएगा। तब तक उन्हें शंकर प्रसाद फाउंडेशन द्वारा संचालित महिला आश्रम में रखा जाएगा।