कर्नाटक संगीत है भारत का दूसरा प्रसिद्ध शास्त्रीय संगीत, जानिए इसका मतलब और समृद्ध इतिहास
क्या है खबर?
भारत में संगीत को पूजा जाता है, क्योंकि यह केवल एक कला नहीं है, बल्कि एक भावना है। हमारे देश में शास्त्रीय संगीत सबसे अहम होता है, जिसे 2 भागों में बांटा गया है।
इनमें से एक है हिंदुस्तानी संगीत, जो कि उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। वहीं, दक्षिण भारत के गायक कर्नाटक संगीत सीखते हैं।
आज हम इसी कर्नाटक शास्त्रीय संगीत शैली के बारे में जानेंगे और इसके समृद्ध इतिहास पर भी नजर डालेंगे।
विवरण
क्या होता है कर्नाटक संगीत?
कर्नाटक संगीत दक्षिण भारत में उत्पन्न होने वाली पारंपरिक शास्त्रीय संगीत शैली है।
कहते हैं कि यह शैली खास तौर से कर्नाटक, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से प्रसिद्ध हुई थी।
कर्नाटक संगीत अपनी जटिल लय और धुनों के लिए जाना जाता है, जो ताल और रागों की भारतीय रूपरेखा पर आधारित है।
इस संगीत पद्वति में उपयोग किए जाने वाले सबसे लोकप्रिय वाद्ययंत्र हैं मृदंगम, कंजीरा, संतूर, वेणु बांसुरी, तानपुरा और वीणा।
इतिहास
कैसे हुई थी इस शैली की उत्पत्ति?
कर्नाटक और हिंदुस्तानी संगीत एक ही स्रोत से उत्पन्न हुए, लेकिन दोनों शैलियों में विभाजन मुगल शासन के दौरान हुआ।
कर्नाटक संगीत की जड़ें सामवेद से जुडी हुई हैं, जो विभिन्न राजवंशों और संस्कृतियों के माध्यम से विकसित हुआ। पुरंदर दास ने कर्नाटक संगीत को व्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इसके बाद 18वीं शताब्दी में त्यागराज, मुथुस्वामी दीक्षितार और श्यामा शास्त्री की 'त्रिमूर्ति' ने इसकी संरचना को और अधिक निखारा।
सिद्धांत
जानिए कर्नाटक संगीत के 4 सिद्धांत
कर्नाटक संगीत के सिद्धांतों को 4 अवधारणाओं में विभाजित किया जाता है, जो श्रुति, स्वर, राग और ताल हैं। श्रुति का मतलब होता है सुनी जाने वाली ध्वनि।
स्वर का तात्पर्य संगीत के सुर या पिच से है, जो स,रे,ग,म,प,ध,नि हैं। कर्नाटक संगीत में 12 स्वर होते हैं, जिनका संयोजन थाट और राग बनाता है।
वहीं, ताल संगीत की लयबद्धत्ता को कहते हैं, जो संगीत के लिए एक संरचित ढांचा प्रदान करती है।
वाद्य यंत्र
कर्नाटक संगीत के अहम वाद्य यंत्र
कर्नाटक संगीत में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख वाद्य यंत्रों में वीणा, वायलिन, मृदंगम और तंबूरा शामिल होते हैं। वीणा और वायलिन मधुर धुन पैदा करते हैं, जबकि मृदंगम मुख्य ताल देता है।
इनके साथ तंबूरा पूरे प्रदर्शन के दौरान एक धीमा निरंतर स्वर प्रदान करता है। कुछ प्रदर्शनों में इनके साथ-साथ घटम्, बांसुरी और मोरसिंग जैसे अन्य वाद्य यंत्र भी बजाए जाते हैं।
जानिए किन 5 तत्वों से मिलकर बनता है संगीत।
जानकारी
इस शैली को मशहूर करने वाले कलाकार
कर्नाटक संगीत की परंपरा ने सदियों से कई संगीतकारों को प्रेरित किया है। इसे लोकप्रिय बनाए रखने में अक्का महादेवी, अल्लामा प्रभु, कवि कुंजरा भारती, बसवन्ना जयदेव और एमएस सुब्बुलक्ष्मी जैसे कलाकारों का सहयोग रहा है।