गृह मंत्रालय ने की ऑक्सफैम इंडिया के खिलाफ CBI जांच की सिफारिश, जानें कारण
क्या है खबर?
गृह मंत्रालय ने ऑक्सफैम इंडिया संस्था के खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) जांच की सिफारिश की है।
मामला विदेशी चंदे से संबंधित नियमों के उल्लंघन से जुड़ा हुआ है। इस बारे में ऑक्सफैम के खिलाफ पहले से ही जांच की जा रही है।
आरोप है कि संस्था ने विदेशी अंशदान (विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2020 के लागू होने के बाद भी विदेशी चंदे को अलग-अलग संस्थाओं को ट्रांसफर किया।
सिफारिश
गृह मंत्रालय ने अपनी सिफारिश में क्या कहा है?
गृह मंत्रालय के मुताबिक, ऑक्सफैम ने FCRA कानून का उल्लंघन करते हुए दूसरे NGO को फंड ट्रांसफर किया।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने आयकर सर्वे के दौरान मिले एक ईमेल से यह पता लगाया कि ऑक्सफैम अपने लाभ के लिए पैसों को अलग-अलग बैंक खातों में रखने की योजना बना रहा था।
आरोप है कि ऑक्सफैम सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) को कमीशन के रूप में फंड भेजता है। ऑक्सफैम के TDS डाटा से ये बात सामने आई है।
आरोप
संस्था पर वित्तीय गड़बड़ी के भी आरोप
जांच में पता चला कि वित्त वर्ष 2019-20 में ऑक्सफैम ने CPR को गैरकानूनी तरीके से 12,71,788 रूपये का भुगतान किया था।
ऑक्सफैम को करीब 1.50 करोड़ रुपये की विदेशी फंडिंग मिली है। नियमानुसार यह राशि संस्था के FCRA के तहत रजिस्टर्ड बैंक खाते में आनी चाहिए थी, लेकिन यह संस्था के बैंक खाते में सीधे ट्रांसफर की गई।
आशंका ये भी है कि ऑक्सफैम का इस्तेमाल विदेश संगठनों द्वारा एक संभावित उपकरण के तौर पर किया गया।
FCRA
सरकार ने 2021 में रद्द किया था ऑक्सफैम का FCRA लायसेंस
केंद्र सरकार ने दिसंबर, 2021 में ऑक्सफैम समेत करीब 12,000 से ज्यादा NGO का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था। सरकार ने इसके पीछे विदेश से मिली फंडिंग में मानदंडों के उल्लंघन और लाइसेंस की अवधि खत्म होने के बाद भी नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं करने को वजह बताया था।
इसके बाद सितंबर, 2022 में आयकर विभाग ने CPR, ऑक्सफैम इंडिया और इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) के कार्यालयों पर छानबीन भी की थी।
जानकारी
क्या है ऑक्सफैम?
ऑक्सफैम की वेबसाइट के मुताबिक, 1995 में गैर-सरकारी संगठनों के एक समूह ने गरीबी और अन्याय के खिलाफ लड़ाई के लिए ऑक्सफैम इंटरनेशनल का गठन किया था। फिलहाल संस्था दुनियाभर के 87 देशों में कामकाज करती है।
fcra
क्या होता है FCRA लाइसेंस?
FCRA कानून को 1976 में आपातकाल के दौरान बनाया गया था। सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े स्वयंसेवी संगठनों का इस कानून के तहत रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य है।
इसके तहत NGO को विदेशी फंडिंग के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है। इस कानून का उद्देश्य NGO को मिल रही विदेशी फंडिंग पर नजर रखना है। इसके साथ ही ये सुनिश्चित करता है कि फंडिंग जिस उद्देश्य के लिए मिली है, उसका इस्तेमाल उसी काम में हो रहा है या नहीं।