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NISAR सैटेलाइट लॉन्च करने वाले GSLV-F16 रॉकेट की क्या है खासियत?
नासा-ISRO का NISAR मिशन हुआ लॉन्च

NISAR सैटेलाइट लॉन्च करने वाले GSLV-F16 रॉकेट की क्या है खासियत?

Jul 30, 2025
06:44 pm

क्या है खबर?

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने आज नासा-ISRO सिंथेटिक अपर्चर रडार (NISAR) सैटेलाइट को लॉन्च कर दिया है। इस खास मिशन को ISRO के भारी-भार वहन करने वाले रॉकेट GSLV-F16 के जरिए अंजाम दिया गया। यह मिशन पृथ्वी की सतह में हो रहे छोटे-बड़े बदलावों पर नजर रखने के लिए है। NISAR सैटेलाइट भूकंप, भूस्खलन, ग्लेशियर पिघलने जैसी घटनाओं को समझने में मदद करेगा और जलवायु परिवर्तन की निगरानी भी करेगा।

खासियत

GSLV-F16 रॉकेट की क्या है खासियत?

GSLV-F16 रॉकेट करीब 51.7 मीटर ऊंचा है और इसका कुल वजन लगभग 420 टन है। इसकी व्यास (चौड़ाई) लगभग 3.4 मीटर है। यह रॉकेट 2,500 किलो तक के सैटेलाइट को जियोसिंक्रोनस ट्रांसफर ऑर्बिट (GTO) में ले जाने की क्षमता रखता है। GSLV-F16 भारत का मीडियम लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है, जो भारी सैटेलाइट्स को कक्षा में स्थापित करने के लिए डिजाइन किया गया है और इसे पूरी तरह भारतीय तकनीक से तैयार किया गया है।

प्रक्रिया

3 चरणों की तकनीकी प्रक्रिया

GSLV-F16 कुल 3 चरणों में काम करने वाला रॉकेट है। पहला चरण ठोस ईंधन पर चलता है और इसमें 2 लिक्विड स्ट्रैप-ऑन बूस्टर लगे होते हैं, जो अतिरिक्त ताकत देते हैं। दूसरा चरण तरल ईंधन (UDMH और N2O4) से संचालित होता है, जो रॉकेट को ऊंचाई देता है। तीसरा और सबसे अहम चरण है क्रायोजेनिक, जिसमें तरल हाइड्रोजन और तरल ऑक्सीजन होता है। यह सटीक कक्षा में सैटेलाइट को स्थापित करने का काम करता है।

 खासियत 

निसार की खासियत और वैश्विक उपयोग

NISAR सैटेलाइट हर 12 दिनों में पृथ्वी को 2 बार स्कैन करेगा और हर 6 दिनों में हाई-रेजोल्यूशन वाली तस्वीरें देगा। इसमें 2 आधुनिक रडार सिस्टम लगे हैं, जिसमें नासा का L-बैंड रडार और दूसरा ISRO का S-बैंड रडार शामिल हैं। यह पृथ्वी अवलोकन मिशन भारत और अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग की मिसाल है और आने वाले वर्षों में जलवायु और आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है।