
छत्तीसगढ़ में गिरफ्तार केरल की 2 नन को नहीं मिली जमानत, NIA कोर्ट करेगा अगली सुनवाई
क्या है खबर?
छत्तीसगढ़ में कथित धर्म परिवर्तन के सिलसिले में गिरफ्तार केरल की 2 नन को निचली कोर्ट और सत्र कोर्ट ने बुधवार को जमानत देने से इंकार कर दिया है। सत्र न्यायालय के न्यायाधीश अनीश दुबे ने सुनवाई करते हुए कहा कि मानव तस्करी के आरोपों के कारण यह मामला उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है, जो इसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) कोर्ट के दायरे में रखता है। अब मामले की अगली सुनवाई बिलासपुर स्थित NIA कोर्ट में होगी।
जमानत
न्यायिक हिरासत में रहेंगी नन
कोर्ट ने थाना प्रभारी को निर्देश दिए हैं कि जब तक NIA कोर्ट में मामले की सुनवाई नहीं होती, तब तक दोनों नन को न्यायिक हिरासत में रखा जाएगा। कोर्ट ने थाना प्रभारी को मानव तस्करी से जुड़े सभी दस्तावेज केंद्रीय एजेंसी को सौंपने को कहा है। शिकायतकर्ता के वकील राजकुमार तिवारी कोर्ट में एक नई याचिका दायर कर सकते हैं। ननों की गिरफ्तारी को लेकर राजनीति शुरू हो गई है, जो छत्तीसगढ़ से होते हुए केरल-दिल्ली तक पहुंची है।
घटना
क्या है ननो की गिरफ्तारी का मामला?
25 जुलाई को असीसी सिस्टर्स ऑफ मैरी इमैक्युलेट (ASMI) की केरल की नन वंदना फ्रांसिस और प्रीता मैरी बजरंग दल के सदस्यों ने दुर्ग रेलवे स्टेशन पर छत्तीसगढ़ के युवक सूकमन मंडावी को रोक लिया था। उन पर आरोप लगाया कि वे नारायणपुर जिले की 3 आदिवासी लड़कियों को बहलाकर धर्मांतरण के लिए आगरा ले जा रही थीं। कार्यकर्ताओं ने तीनों को राजकीय रेलवे पुलिस (GRP) को सौंप दिया, जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया।
राजनीति
छत्तीसगढ़ से केरल और दिल्ली तक हंगामा
दुर्ग जेल में बुधवार को मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की नेता वृंदा कारात और कांग्रेस के नेताओं ने नन और युवक से मुलाकात की। कारात ने मामले को झूठा बताया। केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने इसे जानबूझकर की गई उत्पीड़न की कार्रवाई बताया, जबकि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने गिरफ्तारी का बचाव किया। केरल भाजपा अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर ने इसे गलतफहमी का मामला बताते हुए ननो का बचाव किया। प्रियंका गांधी ने भी गिरफ्तारी का विरोध किया है।