मणिशंकर अय्यर की बेटी के NGO सेंटर फॉर पालिसी रिसर्च का FCRA लाइसेंस रद्द
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च (CPR) नामक गैर सरकारी संगठन (NGO) का विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस रद्द कर दिया है। इस NGO का कामकाज कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी यामिनी अय्यर संभालती हैं। बताया जा रहा है कि सरकार को NGO में विदेशों से मिली फंडिंग के मानदंडों के उल्लंघन के बारे में जानकारी मिली थी। उसके बाद पिछले हफ्ते ये कार्रवाई की गई है।
नियमों का पालन नहीं करने का आरोप
इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, FCRA से जुड़े नियमों का पालन न करने के कारण CPR का लाइसेंस रद्द किया गया है। अधिकारियों के हवाले से अखबार ने बताया कि CPR को अक्टूबर, 2022 से दिसंबर, 2022 की अवधि के दौरान बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन, पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय, वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट और ड्यूक विश्वविद्यालय से 10.1 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त हुई थी। इसी राशि के संबंध में गृह मंत्रालय ने NGO से स्पष्टीकरण मांगा है।
मणिशंकर अय्यर की बेटी संभालती हैं NGO का कामकाज
CPR की गिनती देश के माने-जाने थिंक टैंक में होती है। कांग्रेस नेता मणिशंकर अय्यर की बेटी यामिनी अय्यर इसकी मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) और अध्यक्ष हैं। सरकार को इनपुट मिले थे कि संगठन की विदेशी फंडिंग में FCRA कानून के नियमों का ठीक से पालन नहीं हो रहा है। दरअसल, FCRA कानून के तहत ही NGO को विदेशों से फंडिंग मिलती है। पिछले साल सरकार ने ऑक्सफैम नामक NGO का भी FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था।
पिछले साल आयकर विभाग ने की थी छानबीन
सितंबर, 2022 में आयकर विभाग ने CPR, ऑक्सफैम इंडिया और इंडिपेंडेंट एंड पब्लिक स्पिरिटेड मीडिया फाउंडेशन (IPSMF) के कार्यालयों पर छानबीन की थी। इसके बाद सरकार ने ऑक्सफैम इंडिया का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके पीछे वजह बताई थी कि संस्था ने लाइसेंस की अवधि खत्म होने के नवीनीकरण के लिए आवेदन नहीं किया था। CPR पर हुई इस कार्रवाई को भी पिछले साल हुई आयकर विभाग की छानबीन से जोड़कर देखा जा रहा है।
क्या होता है FCRA लाइसेंस?
FCRA कानून को 1976 में आपातकाल के दौरान बनाया गया था। सामाजिक और सांस्कृतिक क्षेत्र से जुड़े स्वंयसेवी संगठनों को इस कानून के तहत रजिस्ट्रेशन करना अनिवार्य है। इसके तहत NGO को विदेशी फंडिंग के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है। इस कानून का उद्देश्य NGO को मिल रही विदेशी फंडिंग पर नजर रखना है। साथ ही ये सुनिश्चित करना कि फंडिंग जिस उद्देश्य के लिए मिली है, उसका इस्तेमाल उसी काम में हो रहा है या नहीं।
क्या है CPR?
CPR दिल्ली स्थित एक थिंक टैंक है, जिसे 1973 में स्थापित किया गया था। CPR को भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) से अनुदान प्राप्त होता है और इसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) की ओर से मान्यता मिली हुई है।