सरकार ने क्यों रद्द किया राजीव गांधी फाउंडेशन का FCRA लाइसेंस?
क्या है खबर?
केंद्र सरकार ने गांधी परिवार से जुड़े गैर-सरकारी संगठन (NGO) राजीव गांधी फाउंडेशन (RGF) और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट (RGCT) पर बड़ी कार्रवाई की है।
गृह मंत्रालय ने कानूनों के कथित उल्लंघन को लेकर RGF और RGCT का विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA), 2010 के तहत मिला लाइसेंस रद्द कर दिया है। ऐसे में ये संगठन अब विदेश से फंडिंग हासिल नहीं कर पाएंगे।
आइए जानते हैं सरकार ने क्यों यह कदम उठाया है।
स्थापना
कब हुई थी RGF की स्थापना?
पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के निधन के बाद उनकी पत्नी सोनिया गांधी ने 21 जून, 1991 को RGF की NGO के तौर पर स्थापना की थी।
सोनिया गांधी इसकी चेयरपर्सन हैं। इसके बोर्ड में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी शामिल हैं।
इसकी वेबसाइट के अनुसार, RGF स्वास्थ्य, साक्षरता, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, महिला एंव बाल कल्याण जैसे मुद्दों पर काम कर चुका है।
आरोप
RGF पर क्या है आरोप?
भाजपा ने जून 2020 में RGF पर चीन से फंडिंग लेने का आरोप लगाया था।
भाजपा ने कहा था कि RGF को 2005-06 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार और चीनी दूतावास के दो अलग-अलग दानकतार्ओं से फंडिंग मिली थी। इसी तरह कांग्रेस ने दो साल तक उन्हें सामान्य दाताओं की सूची में दिखाया था।
इसके अलावा यह भी आरोप लगाया था कि RGF ने अपने हितों के लिए चीन से मुक्त व्यापार संबंधों की पैरवी भी की थी।
अन्य
भाजपा ने अगस्त 2020 में भी लगाए थे आरोप
भाजपा ने अगस्त 2020 में भी RGF की फंडिंग को लेकर आरोप लगाया था कि उसे PNB घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी की कंपनियों से फंडिंग मिल रही है।
इसी तरह RGF पर जाकिर नाईक, यस बैंक के राणा कपूर और जिग्नेश शाह से भी फंडिंग मिलने का दावा किया गया था।
भाजपा के दावों ने RGF के अलावा कांग्रेस द्वारा संचालित RGCT और इंदिरा गांधी मेमोरियल ट्रस्ट (IGMT) की फंडिंग पर भी सवाल खड़े कर दिए थे।
परिणाम
गृह मंत्रालय ने जांच के गठित की समिति
भाजपा के आरोपों के बाद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने RGF, RGCT और IGMT को मिली फंडिंग की जांच के लिए अंतर-मंत्रालयी समिति का गठन किया था।
मंत्रालय ने समिति को इन तीनों संगठनों की प्रीवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), आयकर अधिनियम और विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम (FCRA) के विभिन्न कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन की जांच के आदेश दिए थे।
इस समिति की अध्यक्षता प्रवर्तन निदेशालय (ED) के एक विशेष निदेशक ने की थी।
कार्रवाई
समिति की रिपोर्ट के आधार पर की कार्रवाई?
गृह मंत्रालय के सूत्रों के अुनसार, समिति की ओर से तीनों संगठनों की जांच कर रिपोर्ट सौंप दी गई है। इसमें संगठनों पर FCRA के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। इसको देखते हुए सरकार ने RGF और RGCT का FCRA लाइसेंस रद्द कर दिया है।
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह कार्रवाई FCRA के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर की गई है और इस संबंध में RGF कार्यालय को नोटिस भी भेज दिया गया है।
सवाल
FCRA क्या है और यह कैसे काम करता है?
FCRA के जरिए विदेशी फंडिंग का विनियमन होता है। इसे आपातकाल के दौरान यानी 1976 में लागू किया गया था और 2010 में नियमों में बदलाव किया गया था।
इसके तहत देश की सभी एसोसिएशन, समूह और NGO को विदेशी फंडिंग हासिल करने केे लिए इसके नियमों की पालना करना अनिवार्य है।
पंजीकृत संस्थाओं को सामाजिक, शैक्षिक, धार्मिक, आर्थिक और सांस्कृतिक कारणों के लिए विदेशी फंडिंग लेने की अनुमति है, लेकिन उन्हें साला रिटर्न फाइल करनी होती है।
गाइडलाइंस
FCRA को लेकर क्या है गृह मंत्रालय की गाइडलाइंस?
गृह मंत्रालय ने साल 2015 में संशोधित गाइडलाइंस जारी की थी। उसके अनुसार, सभी NGO का सरकारी या प्राइवेट बैंक में खाता होना अनिवार्य है।
इसके अलावा उन्हें यह भी प्रमाण पत्र देना होता है कि विदेशी फंडिंग से भारत की संप्रभुता और अखंडता खतरे में नहीं पड़ेगी तथा मित्र देशों के साथ रिश्तों पर नकरात्मक असर नहीं पड़ेगा।
इसी तरह उन्हें सांप्रदायिक सद्भाव को कमजोर करने वाला कोई कार्य न करने की भी शपथ लेनी होती है।
जानकारी
FCRA लाइसेंस रद्द होने पर क्या होता है?
FCRA लाइसेंस रद्द होने के बाद वह संस्था अगले तीन सालों तक दोबारा पंजीयन नहीं करा सकती है। हालांकि, यह कार्रवाई पंजीयन के आवेदन के समय गलत या झूठी जानकारी देने या फिर नियम और शर्तों का उल्लंघन करने पर की जाती है।
भविष्य
कार्रवाई के बाद अब RGF का क्या होगा?
गृह मंत्रालय की कार्रवाई से संतुष्ट न होने पर RGF या अन्य संगठन ऑनलाइन समीक्षा याचिका दायर कर सकते हैं। इसके अलावा वह मामले को हाई कोर्ट में भी चुनौती दे सकते हैं।
इसी तरह आदेश की सूचना दिए जाने की तारीख से एक साल के भीतर संशोधन आवेदन दायर किया जा सकता है।
हालांकि, इस आवेदन के लिए 3,000 रुपये शुल्क देना होगा। पहले यह शुल्क 1,000 रुपये था और डिमांड ड्राफ्ट या चेक के जरिए दिया जाता था।