वायु प्रदूषण को रोकने के लिए अब हरियाणा में भी लागू होगा ऑड-ईवन फार्मूला
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में वायु प्रदूषण चरम पर पहुंच गया है। इसके कारण लोगों का सांस लेना भी दूभर हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट भी केंद्र सहित राज्य सरकारों को इसका हल ढूंढ़ने के लिए कह चुका है। इस बीच लॉकडाउन, वाहनों के संचालन में ऑड-ईवन फार्मूला और वर्क फ्रॉम होम जैसे समाधान सामने आए हैं। दिल्ली सरकार इन्हें लागू कर चुकी है और अब हरियाणा सरकार ने भी ऑड-ईवन फार्मूला लागू किया है।
हरियाणा के चार जिलों में लागू होगा ऑड-ईवन फार्मूला
हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव संजीव कौशल द्वारा बुधवार को बुलाई गई आपात बैठक में वायु प्रदूषण को रोकने के प्रयासों पर गहनता से चर्चा की गई थी। इस दौरान अगले सप्ताह से NCR में आने वाले गुरुग्राम, फरीदाबाद, झज्जर और सोनीपत में ऑड-ईवन फार्मूला लागू करने का निर्णय किया गया। इसमें एक दिन ऑड यानी सम संख्या पर समाप्त होने वाले नंबरों के वाहन चलेंगे और दूसरे दिन विषम संख्या वाले नंबरों के वाहनों का संचालन होगा।
14 जिलों में 22 नवंबर तक घर से काम करेंगे कर्मचारी
बैठक में राज्य के 14 जिलों में सरकारी कर्मचारियों को 22 नवंबर तक घर से काम करने (वर्क फ्रॉम होम) के निर्देश दिए गए हैं। इन जिलों में भिवानी, चरखी दादरी, फरीदाबाद, गुरुग्राम, झज्जर, जींद, करनाल, महेंद्रगढ़, नूंह, पलवल, पानीपत, रेवाड़ी, रोहतक और सोनीपत शामिल है। इसी तरह निजी प्रतिष्ठानों को भी ऐसा करने को कहा गया है। ऐसे उद्योग जहां ऐसी व्यवस्था संभव नहीं है, उन्हें उपायुक्त से विशेष अनुमति लेकर कर्मचारियों को बुलाने के निर्देश दिए गए हैं।
दिल्ली में पहले से लागू है ऑड-ईवन फार्मूला
ऑड-ईवन फार्मूला सबसे पहले 2016 में दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार लेकर आई थी। उसके बाद से दिल्ली में कई बार इसे लागू किया जा चुका है। प्रदूषण के कारण गत 4 नवंबर से यह दिल्ली में लागू है और इसके 15 नवंबर से आगे बढ़ाए जाने की संभावना है। दिल्ली सरकार का मानना है कि इस फॉर्मूले के तहत रोजाना लगभग 12 लाख गाड़ियां सड़कों से दूर रहती है। जिससे प्रदूषण को कम करने में मदद मिलती है।
दिल्ली-NCR में बेहद खराब है प्रदूषण के हालात
बता दें कि इस महीने दिल्ली-NCR में प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। अधिकांश जिलों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 450 से 700 के बीच बना हुआ है। जो बहुत खराब और गंभीर श्रेणी को दर्शाता है। इसका लोगों के स्वास्थ्य पर भी बुरा असर पड़ रहा है। चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, प्रदूषण के कारण बच्चों और वृद्धों में अस्थमा जैसी पुरानी सांस से संबंधित बीमारियां उभर रही है। यह बेहद गंभीर हालातों को बयां करता है।
वायु प्रदूषण जनित बीमारियों का उपचार कराने वालों की संख्या हुई दोगुनी
दिल्ली-NCR में प्रदूषण के बढ़ते स्तर का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पिछले एक सप्ताह में प्रदूषण जनित बीमारियों का उपचार कराने वालों की संख्या में दोगुना तक का इजाफा हो गया है। डिजिटल मंच 'लोकल सर्किल्स' पर प्रदूषण जनित बीमारियों को लेकर किए गए सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। 86 प्रतिशत परिवारों के लोग सांस लेने में तकलीफ, कंजेशन, खांसी, गले में खराश, आंखों में जलन आदि की समस्या से जूझ रहे हैं।