जामिया में गोली चलाने वाले युवक को भड़काऊ बयान देने के मामले में नहीं मिली जमानत
पिछले साल जामिया मिलिया इस्लामिया (JMU) के बाहर नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने वाले शख्स फिर से चर्चाओं में है। गत मंगलवार को उसे हरियाणा के पटौदी में मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयान देने के मामले में गिरफ्तार किया गया था और अब कोर्ट ने उसे जमानत देने से इनकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि भारतीय समाज को इस तरह के लोगों से निपटने की जरूरत है।
क्या है पूरा मामला?
जामिया में प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने वाले शख्स ने इसी महीने पटौदी में हुई एक महापंचायत में मुस्लिमों के खिलाफ भड़काऊ बयान दिया था। अपने इस बयान में उसने कहा था कि जब मुस्लिमों पर हमले किए जाएंगे तो वे खुद राम-राम चिल्लाएंगे। उसने कहा था कि अगर देश में रहना है तो वंदे मातरम कहना होगा। इतना ही उसने अपने बयान से लोगों को मुस्लिम महिलाओं के अपहरण करने के लिए भी उकसाया था।
हरियाणा सरकार पर था कार्रवाई का दबाव
आरोपी ने अपने भाषण में कहा था, "पटौदी से केवल इतनी सी चेतावनी देना चाहता हूं, उन जिहादियों को, आतंकवादी मानसिकता के लोगों को। जब (मैं) 100 किलोमीटर दूर जामिया जा सकता हूं CAA के समर्थन में तो पटौदी ज्यादा दूर नहीं है।" यह वीडियो वायरल होने के बाद हरियाणा सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ गया था। जिसके बाद सोमवार को मानेसर में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया और मंगलवार को उसे गिरफ्तार कर लिया।
मंगलवार से ही न्यायिक हिरासत में चल रहा था आरोपी
बता दें कि पुलिस ने मंगलवार को उसे गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया था। इसके बाद उसने जमानत याचिका दायर की थी। जिस पर शुक्रवार को सुनवाई हुई और याचिका को खारिज कर दिया गया।
धार्मिक घृणा के आधार पर सामूहिक हत्या करेंगे ऐसे लोग- कोर्ट
जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुग्राम की कोर्ट ने कहा, "घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग देखकर उनका विवेक पूरी तरह से हिल गया। भारतीय समाज को इस तरह के लोगों से सख्ती निपटने की जरूरत है, जिन्हें यदि मौका दिया गया तो वो अपनी धार्मिक घृणा के आधार पर निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए सामूहिक हत्या करेंगे।" कोर्ट ने कहा, "देश में किसी को भी लोगों की भावनाओं को भड़काने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।"
निर्दोष युवा लड़का नहीं है आरोपी- कोर्ट
कोर्ट ने कहा, "अदालत में पेश हुआ आरोपी कोई निर्दोष युवा लड़का नहीं है, जो कुछ नहीं जानता। उसने अपने कार्य से बताया है कि उसने अतीत में क्या किया होगा। वह अब बिना किसी डर के अपनी नफरत को अंजाम देने में सक्षम बन गया है और यह कि वह अपनी नफरत को शामिल करने के लिए जनसमूह को आगे बढ़ा सकता है।" कोर्ट ने कहा, "इस तरह की प्रवृत्ति के लोगों को खुला नहीं छोड़ा जा सकता है।"
"प्रतिबंधों के अधीन है अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता"
कोर्ट ने कहा, "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी लोकतांत्रिक देश का एक अभिन्न अंग है, हालांकि, यह तय कारणों के साथ प्रतिबंध भी हैं। व्यक्ति बोलने की स्वतंत्रता के बीच किसी विशेष समूह या धार्मिक समुदाय के प्रति घृणा को निर्देशित नहीं कर सकता है।"
कोर्ट ने पुलिस और सरकार को याद दिलाया संवैधानिक कर्तव्य
कोर्ट ने पुलिस और राज्य सरकार को संवैधानिक कर्तव्य याद दिलाते हुए कहा, "यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी जाति या धर्म के लोग भारत में असुरक्षित महसूस न करें, ऐसे नफरत फैलाने वाले लोग स्वतंत्र रूप से नहीं घूम सकते हैं।" कोर्ट ने कहा, "आरोपी का कार्य एक विशेष समुदाय की लड़कियों के अपहरण और हत्या के लिए उकसाने वाले हिंसा का एक रूप है और ऐसे लोगसच्ची लोकतांत्रिक भावना के विकास में बाधा हैं।"
जामिया में 30 जनवरी, 2020 को चली थी गोली
बता दें कि भड़काऊ भाषण के लिए गिरफ्तार हुए आरोपी ने 30 जनवरी, 2020 को जामिया यूनिवर्सिटी के सामने CAA विरोधी प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाई थी। फायरिंग करते हुए उसने प्रदर्शनकारियों से कहा था, "ये लो आजादी, मैं दिलाता हूं आजादी।" मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस घटना के बाद उसे बाल सुधार गृह भेज दिया गया था जिससे वह कुछ महीने बाद बाहर आ गया। वह उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जिले के जेवर इलाके का रहने वाला है।