हरियाणा: डिप्टी स्पीकर की कार पर हमले को लेकर 100 किसानों पर राजद्रोह का केस दर्ज
क्या है खबर?
हरियाणा के सिरसा में डिप्टी स्पीकर की कार पर हमला किए जाने के आरोप में पुलिस ने 100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का केस दर्ज किया है। इसमें दो किसान नेताओं को नामजद आरोपी भी बनाया गया है।
पुलिस की यह कार्रवाई उस समय सामने आई है जब सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 124A यानी राजद्रोह के कानून को औपनिवेशक बताते हुए इसकी जरूरत पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
प्रकरण
किसानों ने कथित रूप से 11 जुलाई को किया था हमला
NDTV के अनुसार, 11 जुलाई को सिरसा में सैकड़ों किसान नए कृषि कानूनों और राज्य की भाजपा-JJP सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे।
उसी दौरान प्रदर्शनकारी किसानों ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा की आधिकारिक कार को घेर लिया और पथराव शुरू कर दिया।
हालांकि, पुलिसकर्मियों ने डिप्टी स्पीकर रणबीर गंगवा को कार से बाहर निकाल लिया, लेकिन कार के शीशे टूट गए। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है।
कार्रवाई
पुलिस ने 100 लोगों के खिलाफ दर्ज किया राजदा्रेह का मामला
सिरसा पुलिस ने इस मामले में 100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया है। इसमें किसान आंदोलन के दो नेता हरचरण सिंह और प्रहलाद सिंह को भी आरोपी बनाया गया है।
सबसे बड़ी बात यह है कि 100 किसानों के खिलाफ राजद्रोह के अलावा हत्या का प्रयास और लोक सेवक के सार्वजनिक कार्यों के निर्वहन में बाधा डालना जैसे गैर जमानती धाराएं भी लगाई है। किसान नेताओं ने पुलिस की इस कार्रवाई का विरोध किया है।
गिरफ्तारी
मामले में अब तक हुई पांच लोगों की गिरफ्तारी
सिरसा पुलिस ने आरोपियों की पहचान के लिए घटना की CCTV फुटेज देखी और कई आरोपियों को पहचान की है। पुलिस ने इनमें से अब तक पांच आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया है।
पुलिस का कहना है कि वीडियो में पांचों आरोपियों की घटना स्थल पर मौजूदगी मिली है।
इधर, गिरफ्तारी को लेकर किसानों के एक समूह ने सिरसा में बाबा भूमान शाह चौक के पास धरना शुरू कर दिया है। उन्होंने किसानों की हिराई की मांग की है।
विभागीय कार्रवाई
मामले में थाना प्रभारी को किया निलंबित
मामले में किसानों के खिलाफ राजद्रोह में मामला दर्ज किए जाने के अलावा पुलिस उच्चाधिकारियों ने दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है।
पुलिस महानिदेशक ने जहां सोमवार को सिरसा पुलिस अधीक्षक भूपेंद्र सिंह का RRB भोंडसी में तबादला कर दिया था, वहीं गुरुवार को सुरक्षा में तैनात सिविल लाइन थाना प्रभारी विक्रम सिंह को निलंबित कर दिया।
इसी तरह पुलिस उपाधीक्षक संजय कुमार के खिलाफ विभागीय जांच बैठाई गई है।
बयान
किसान नेताओं ने कार्रवाई को बताया सरकार की साजिश
मामले में हरियाणा किसान मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष प्रहलाद सिंह भारूखेड़ा ने पुलिस की कार्रवाई को सरकार की साजिश करार दिया है।
उन्होंने कहा कि विरोध प्रदर्शन के दौरान किसान नेताओं ने किसी भी कार पर कोई पथराव नहीं किया था। यह सरकार की सोची समझी साजिश थी ताकि आंदोलन को कमजोर किया जा सके। सरकार और उसके नुमाइंदे देशद्रोह के केस दर्ज करवाकर किसानों को डराने का काम कर रहे हैं, लेकिन वह डरेंगे नहीं।
सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने राद्रोह के कानून पर उठाए सवाल
इधर, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को राजद्रोह के कानून को औपनिवेशक बताते हुए इसकी जरूरत पर सवाल उठाए हैं।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) एनवी रमन्ना ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, "राजद्रोह का कानून एक औपनिवेशक कानून है और अंग्रेजों ने इसका इस्तेमाल हमारी आजादी को दबाने के लिए किया था। इसका महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था। क्या देश को आजादी के 75 साल बाद भी इस कानून की जरूरत है?"
टिप्पणी
संस्थानों को कानून से गंभीर खतरा- CJI
CJI ने कानून को संस्थानों के लिए गंभीर खतरा भी बताया। उन्होंने कहा, "दुरूपयोग की बहुत अधिक संभावना है। हम इसकी बढ़ई से तुलना कर सकते हैं जो लकड़ी काटने की बजाय पूरे जंगल को ही काट देता है। ये इसका प्रभाव है।"
उन्होंने यह भी कहा कि इस कानून के इतिहास में आरोपियों के दोषी सिद्ध होने की दर न्यूनतम रही है। इन्हीं आधारों पर कोर्ट इसकी समीक्षा करने को तैयार हो गया और केंद्र को नोटिस जारी किया।
याचिका
रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने दायर की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने रिटायर्ड मेजर-जनरल एसजी वोम्बत्केरे की याचिका पर सुनवाई करते हुए ये बात कही।
उन्होंने अपनी याचिका में कहा था कि धारा 124A पूरी तरह से असंवैधानिक है और इसे बिना संदेह के स्पष्ट तौर पर निरस्त कर देना चाहिए।
इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी कानून जो "सरकार के प्रति असंतोष" की अस्पष्ट परिभाषा के आधार पर अभिव्यक्ति का अपराधीकरण करता है, वह बोलने की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर अनुचित पाबंदी है।