पिछले साल भारत में सबसे ज्यादा बढ़ा वायु प्रदूषण, 1.16 लाख नवजात शिशुओं की हुई मौत
पंजाब और हरियाणा में पिछले कई दिनों से किसानों द्वारा खेतों में जलाई जा रही पराली से दिल्ली-NCR की हवा जहरीली हो गई है। इसने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। इसी बीच बुधवार को जारी हुई स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SOGA)-2020 रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारत में पिछले साल वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक वायु प्रदूषण बढ़ा है। इसी तरह वायु प्रदूषण के चलते पिछले साल देश में 1.16 लाख नवजात शिशुओं की मौत हुई है।
इन देशों में बढ़ा सबसे अधिक वायु प्रदूषण
SOGA की रिपोर्ट के अनुसार साल 2019 में वायु प्रदूषण में सबसे अधिक PM 2.5 बढ़ाने वाले शीर्ष देशों में भारत पहले पायदान पर रहा है। उसके बाद नेपाल, बांग्लादेश, पाकिस्तान, नाइजर, कतर और नाइजीरिया का नंबर आता हैं। इन सभी देशों ने 2010 और 2019 के बीच बाहरी वायु प्रदूषण में PM 2.5 स्तर से बढ़ोतरी की है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत में 2010 के बाद से इसी स्तर से प्रदूषण बढ़ रहा है।
रिपोर्ट तैयार करने में किया ग्राउंड मॉनिटर और सैटेलाइट डाटा का उपयोग
अमेरिका स्थित हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) द्वारा संचालित SOGA वायु प्रदूषण संबंधी यह रिपोर्ट तैयार करने के लिए ग्राउंड मॉनिटर और सैटेलाइट दोनों के डाटा का उपयोग किया है। इससे स्थिति स्पष्ट हो रही है।
सबसे अधिक ओजोन जोखिम वाले देशों में शामिल है भारत
रिपोर्ट के अनुसार भारत दुनिया में सबसे ज्यादा ओजोन (O3) जोखिम वाले देशों में भी शामिल है। इस मामले में दूसरे पायदान पर नेपाल और कतर तीसरे पायदान पर है। दुनिया के 20 सबसे अधिक आबादी वाले देशों में भारत ने पिछले दस सालों में ओजोन खतरे में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी की है। साल 2010 में वैश्विक स्तर पर ओजोन जोखिम प्रत्ये बिलियन आबादी पर 47.3ppb था, जो 2019 में बढ़कर 49.5ppb पर पहुंच गया है।
भारत के लिए यह रही एकमात्र राहत की बात
रिपोर्ट के अनुसार भारत के लिए एकमात्र राहत की बात यह रही कि वह घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या कम करने में कामयाब रहा है। वर्तमान में देश में पांच करोड़ से कम लोग घरेलू वायु प्रदूषण के संपर्क में हैं। इसके लिए केंद्र की मोदी सरकार की उज्जवल योजना को बड़ा कारण बताया जा रहा है। हालांकि, इस दौरान चीन ने इस आबादी के प्रतिशत को 54 से घटाकर 36 प्रतिशत किया है।
भारत में वायु प्रदूषण से पिछले साल हुई 1.16 लाख शिशुओं की मौत
भारत में तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण का सबसे बुरा असर नवजात शिशुओं पर पड़ा है। वायु प्रदूषण के कारण साल 2019 में दुनियाभर में पांच लाख नवजात शिशुओं की मौत हुई है। इसमें से 1.16 लाख मौते अकेले भारत में हुई है। स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान (HEI) द्वारा प्रकाशित वार्षिक ग्लोबल एयर 2020 रिपोर्ट के अनुसार मौतों के लिए वायु प्रदूषण सबसे अहम कारक रहा है और वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर नवजातों पर पड़ा है।
भारत में पिछले साल हुई कुल 16.70 लाख मौतें
HEI की रिपोर्ट के अनुसार बाहरी और घरेलू वायु प्रदूषण के दीर्घकालिक जोखिमों के कारण 2019 में भारत में स्ट्रोक, दिल का दौरा, मधुमेह, फेफड़ों के कैंसर से कुल 16.70 लाख लोगों की मौत हुई है। इनमें से हुई 1.16 लाख नवजात शिशुओं की मौत जन्म के समय कम वजन और अपरिपक्वता के कारण हुई है। इसके पीछे प्रमुख कारण यह रहा है नवजात शिशुओं की मां गर्भावस्था के दौरान वायु प्रदूषण के अधिक संपर्क में रही थी।
नवजात शिशुओं पर वातारवरण का पड़ता है सीधा असर- ग्रीनबाउम
HEI के अध्यक्ष डैन ग्रीनबाउम ने कहा नवजात शिशुओं के लिए जन्म के बाद का पहला महीना संवेदनशील होता है। उनकी सेहत पर वातावरण का सीधा असर पड़ता है। ऐसे में प्रदूषण के बढ़ते स्तर के साथ उनकी जान को बचाना मुश्किल हो जाता है।
प्रदूषण जनित बीमारियों वाले मरीजों में है कोरोना संक्रमण का अधिक खतरा
रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण जनित हृदय और फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा अधिक है। भारत में कोरोना संक्रमण से मरने वालों में इनकी संख्या अधिक है। हालाँकि वायु प्रदूषण और कोरोना के बीच पूर्ण लिंक अभी तक ज्ञात नहीं हैं, लेकिन वायु प्रदूषण से हृदय और फेफड़ों की बीमारी होने के स्पष्ट प्रमाण है। भारत में सर्दियों में वायु प्रदूषण उच्च स्तर पर होता है। यहां कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा भी अधिक है।