दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण जनित बीमारियों का उपचार कराने वालों की संख्या हुई दोगुनी- सर्वे
क्या है खबर?
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण प्रदूषण जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।
यही कारण है कि पिछले एक सप्ताह में दिल्ली-NCR में प्रदूषण जनित बीमारियों का उपचार कराने वालों की संख्या में दोगुना तक का इजाफा हो गया है।
डिजिटल मंच 'लोकल सर्किल्स' पर प्रदूषण जनित बीमारियों को लेकर किए गए सर्वे में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है।
सर्वे
44 प्रतिशत परिवारों को उपचार के लिए जाना पड़ा है अस्पताल- सर्वे
द प्रिंट के अनुसार, 'लोकल सर्किल्स' के सर्वे में सामने आया कि पिछले एक सप्ताह में दिल्ली-NCR के 44 प्रतिशत परिवारों को प्रदूषण जनित बीमारियों के उपचार के लिए अस्पताल या डॉक्टर के पास जाना पड़ा है। जबकि, उससे पिछले सप्ताह में यह आंकड़ा 22 प्रतिशत परिवारों का था।
बता दें कि पिछले दो सप्ताह से दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद में स्मॉग छाया हुआ है और वहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300-1,000 के बीच है।
उपचार
33 प्रतिशत परिवारों में एक से अधिक लोगों को पड़ी उपचार की जरूरत
ताजा सर्वे में लोगों से पूछा गया था कि वो और उनका परिवार वायु प्रदूषण से किस तरह से निपट रहा है।
इसके जवाब में 33 प्रतिशत लोगों ने कहा उनके परिवार में एक या उससे अधिक लोगों को उपचार के लिए डॉक्टर के पास जाना पड़ा है।
इसी तरह 11 प्रतिशत ने कहा उनके परिवार में एक से अधिक लोगों को अस्पताल जाना पड़ा है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है दिल्ली-NCR में प्रदूषण की हालत कितनी खराब है।
लक्षण
86 प्रतिशत परिवारों के लोगों में है बीमारी के लक्षण
सर्वे में 86 प्रतिशत लोगों ने कहा कि प्रदूषित हवा के कारण उनके परिवार में कोई न कोई सदस्य सांस लेने में तकलीफ, कंजेशन, खांसी, गले में खराश, आंखों में जलन आदि की समस्या से जूझ रहे हैं।
इसी तरह 32 प्रतिशत लोगों ने गले में खराश, खांसी-जुकाम, आंखों में जलन की शिकायत की है।
इसके अलावा सात प्रतिशत लोगों ने सिरदर्द या नींद में खलल और 20 प्रतिशत लोगों ने सांस लेने में परेशानी की शिकायत की है।
इनकार
52 प्रतिशत लोगों ने किया लॉकडाउन का विरोध
सर्वे में प्रदूषण को कम करने के लिए लगाए जा रहे तीन दिन के लॉकडाउन के सवाल पर 48 प्रतिशत लोगों ने इसका समर्थन किया तो 52 प्रतिशत इसके विरोध में नजर आए।
विरोध करने वालों ने कहा कि प्रदूषण का मुख्य कारण पराली है तो लॉकडाउन से इस पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ेगा।
समर्थन करने वालों ने कहा कि लॉकडाउन से वाहनों और निर्माण जैसी तमाम गतिविधियों पर रोक लगेगी और प्रदूषण से काफी हद तक राहत मिलेगी।
पृष्ठभूमि
प्रदूषण को लेकर सख्त है सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने काफी सख्त रुख दिखाया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को लॉकडाउन, वर्क फ्रॉम होम और निर्माण तथा औद्योगिक गतिविधियों को कुछ दिनों के लिए बंद करने का प्रस्ताव दिया है। इसको लेकर कई सख्त कदम भी उठाए गए हैं।
हालांकि, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग पांच और सात सितारा होटल में बैठकर किसानों को जिम्मेदार ठहराते हैं, लेकिन इसके रोकने के प्रयास नहीं कर रहे।
हालात
दिल्ली-NCR में बदतर हो रहे हैं हालात
बता दें पराली जलाने, दिवाली पर पटाखे फोड़ने, गाड़ियों से निकलने वाले धुएं से दिल्ली की हवा बेहद खराब हो रखी है और पिछले कई दिनों से ये बेहद गंभीर श्रेणी में बनी हुई है।
स्विट्जरलैंड स्थित जलवायु समूह आईक्यूएयर (IQAir) की वायु गुणवत्ता और प्रदूषण शहर ट्रैकिंग सेवा ने दिल्ली को दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर करार दिया है।
इधर, बुधवार को दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) फिर से 379 दर्ज किया गया है।