चार धाम सड़क परियोजना: LAC पर मिसाइलें ले जानी हैं, सेना को चाहिए चौड़े रास्ते- केंद्र
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर चीन की मौजूदगी की तरफ इशारा करते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सीमा पर ब्राह्मोस मिसाइल और दूसरे सैन्य उपकरण ले जाने के लिए चार धाम पर्वतीय क्षेत्र में चौड़ी सड़कों की जरूरत है। गुरुवार को कोर्ट में सिटीजन फॉर ग्रीन दून NGO की याचिका पर सुनवाई हो रही थी, जिसमें सड़कों के चौड़ीकरण के लिए जंगलों और वन्यजीव अभ्यारण में पेड़ों की कटाई के आदेश को चुनौती दी गई है।
किस परियोजना के बारे में हो रही बात?
सरकार लगभग 12,000 करोड़ रुपये की लागत से उत्तराखंड के चार शहरों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और ब्रदीनाथ को सभी मौसमों में जोड़ने वाली 900 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण कर रही है। सड़कों के चौड़ीकरण का विरोध करते हुए NGO ने याचिका दायर कर कहा था कि इस परियोजना को रोकना होगा। देश की सबसे अच्छी रक्षा हिमालय कर सकता है। यदि हिमालय से छेड़छाड़ की जाती है तो आने वाली पीढ़ियां इसका प्रभाव देखेंगी।
केंद्र ने क्या कहा?
केंद्र सरकार की तरफ से दलील देते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा, "सेना को ब्राह्मोस ले जानी है। इसके लिए बड़े इलाके की जरूरत होगी। अगर भूस्खलन होता है तो सेना इसे संभाल लेगी। अगर सड़कें चौड़ी नहीं होगी तो हम वहां पहुंचेंगे कैसे?" उन्होंने आगे कहा, "हमें देश की रक्षा करनी है और LAC तक भूस्खलन, बर्फबारी आदि के बावजूद सड़क बनानी होगी। हम कमजोर हैं और हमें वो सब करना होगा, जो कर सकते हैं।"
आपदा को कम करने के लिए उठाए गए कदम- केंद्र
इस परियोजना के कारण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की चिंताओं को दूर करने की कोशिश करते हुए केंद्र ने कहा कि आपदा को कम करने के लिए जरूरी कदम उठाए गए हैं। देश के कई हिस्सों में भूस्खलन हुआ है और इसके पीछे विशेष रूप से सड़क निर्माण जिम्मेदार नहीं है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि अगर युद्ध होता है और सेना अपने मिसाइल लॉन्चर और मशीनरी को सीमा तक नहीं ले जा सकती है तो वह युद्ध कैसे लड़ेगी।
केंद्र ने कहा- सीमा पर मौजूदा हालात देखते हुए सड़कों की जरूरत
केंद्र ने दलील देते हुए कहा कि LAC पर मौजूदा घटनाक्रमों के चलते हुए सेना को बेहतर सड़कों की जरूरत है। सीमा के उस पार चीन ने हवाई पट्टियों, हेलिपैड, सडकों और रेलवे लाइन नेटवर्क का निर्माण किया है। वेणुगोपाल ने कहा कि अब उस तरह के हालात नहीं होने चाहिए, जैसे 1962 में थे, जब सीमा पर राशन पहुंचाने के लिए पैदल जाना पड़ता था। इसलिए इस क्षेत्र में दो लेन वाली सड़कें बनाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
याचिकाकर्ता ने किया परियोजना का विरोध
याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सड़क चौड़ीकरण परियोजना को रोका जाना चाहिए क्योंकि यह सैनिकों और आम लोगों के जीवन को खतरे में डालेगा। उन्होंने कहा कि हिमालय इन गतिविधियों की इजाजत नहीं देता। अगर आप जबरदस्ती करेंगे तो पहाड़ इन्हें खारिज कर देंगे। असली मुद्दा यह है कि क्या हिमालय ऐसी स्थिति में है, जहां वे इस निर्माण कार्य को स्वीकार कर सकें या वे टूट जाएंगे।