
कोविड मृतकों के परिजनों को मुआवजे की नीति नहीं बना पाई सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने फटकारा
क्या है खबर?
देशभर में कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से जान गंवाने वालों को मुआवजा देने और उनके मृत्यु प्रमण पत्र जारी करने की नीति बनाने के फैसले के अनुपालन की रिपोर्ट दाखिल नहीं करने पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जमकर फटकार लगाई।
इस दौरान कोर्ट ने केंद्र की और समय देने की मांग को खारिज कर दिया और 11 सितंबर हर हाल में रिपोर्ट दाखिल करने के आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा लापरवाही बर्दास्त नहीं होगी।
प्रकरण
मुआवजे के लिए दाखिल की गई थी याचिका
बता दें कि कोरोना महामारी से हुई मौतों के बाद कुछ मृतकों के परिजनों ने सरकार से मुआवजे की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
इसमें याचिकाकर्ताओं ने कहा था कि जिनकी कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, उनके परिजनों को आपदा अधिनियम के तहत चार लाख रुपये का मुआवजा मिलना चाहिए।
याचिकाकर्ताओं ने कोरोना मृत्यु प्रमाण पत्र को लेकर भी कई तरह के सवाल खड़े करते हुए उसके समाधान की मांग की थी।
असमर्थता
केंद्र सरकार ने मुआवजा देने में जताई थी असमर्थता
इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर मुआवजा देने में असमर्थता जताई थी।
सरकार ने कहा था कि ऐसा करना संभव नहीं है, इसकी बजाय सरकार का फोकस हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर है।
केंद्र ने यह भी जानकारी दी गई थी कि चार लाख रुपये का मुआवजा किसी आपदा में मरने वाले व्यक्ति के परिजनों को दिया जा रहा है, लेकिन किसी महामारी के वक्त में ऐसा नहीं किया जा सकता है।
आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे मुआवजा देने के आदेश
मामले में सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 30 जून को फैसला सुनाते हुए कहा था कि कोरोना महामारी से जान गंवाने वालों को सरकार को आपदा अधिनियम के तहत मुआवजा देना होगा। हालांकि, कोर्ट ने मुआवजा राशि का निर्धारित करने की स्वतंत्रता सरकार को दी थी।
कोर्ट ने कहा था कि सभी मौतों पर चार लाख रुपये का मुआवजा नहीं दिया जा सकता है, लेकिन मृतकों के परिजनों को कम से कम मुआवजा तो मिलना ही चाहिए।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से मांगा था जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश के साथ सरकार को जल्द ही मुआवजा नीति तैयार करने तथा मृत्यु प्रमाण पत्र की प्रक्रिया बनाते हुए उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने को कहा था। इसके बाद भी सरकार ने भी तक भी मुआवजा नीति का निर्धारण नहीं किया है।
फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई सरकार को फटकार
मामले में जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने कहा, "हमने आपको काफी पहले इस बारे में आदेश दिया था। बावजूद इसके इस पर अमल नहीं किया गया है। अब तो तीसरी लहर की आशंका भी दिन-प्रतिदिन नजदीक आती जा रही है।"
कोर्ट ने कहा, "मुआवजा देने और मृत्यु प्रमाण जारी करने का फैसला 30 जून को दिया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ। सरकार कुछ करेगी तब तक तो तीसरी लहर भी खत्म हो जाएगी।"
दलील
ASG ने कोर्ट देरी के लिए जताया खेद
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) ऐश्वर्या भाटी ने कोर्ट से कहा, "हमें खेद है कि हम निर्धारित समय पर हलफनामा दाखिल नहीं कर पाए। सरकार की इसकी योजना बनाने में जुटी हुई है।"
उन्होंने कहा कि कोर्ट 10 और दिनों की मोहलत दे दे क्योंकि इस मुद्दे पर सरकार विशेषज्ञों से विचार विमर्श कर रही है, लेकिन कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और 11 सितंबर तक हलफनामा दाखिल करने के आदेश दे दिए।