उत्तराखंड: जंगलों में लगी आग को बुझाने के लिए केंद्र सरकार ने भेजी टीमें और हेलीकॉप्टर्स
उत्तराखंड के जंगलों में लगी आग को नियंत्रित करने में राज्य सरकार की मदद करने के लिए केंद्र सरकार आगे आई है और उसने राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमों और हेलीकॉप्टर्स को राहत बचाव अभियान के लिए रवाना किया है। गृह मंत्री अमित शाह ने आज ट्वीट करते हुए इसकी जानकारी दी। उन्होंने इस संबंध में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत से भी बातचीत की। रावत ने भी स्थिति का जायजा लेने के लिए आपातकालीन बैठक बुलाई है।
अमित शाह ने ट्वीट कर दी मदद प्रदान किए जाने की सूचना
गृह मंत्री अमित शाह ने तीरथ सिंह रावत से फोन पर बातचीत और राज्य सरकार को मदद प्रदान किए जाने की सूचना देते हुए ट्वीट किया, 'उत्तराखंड के जंगलों में आग के सम्बंध में मैंने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री तीरथ सिंह रावत से बात कर जानकारी ली। आग पर काबू पाने और जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने तुरंत NDRF की टीमें और हेलिकॉप्टर उत्तराखंड सरकार को उपलब्ध कराने के निर्देश दे दिए हैं।'
उत्तराखंड के कई जिलों में सैकड़ों जगहों पर लगी हुई है आग
उत्तराखंड में गर्मी और अन्य वजहों से नैनीताल और अल्मोड़ा समेत कई जिलों में सैकड़ों जगहों पर आग लगी हुई है और इस आग में लगभग 80 एकड़ जंगल जलकर खाक हो गया है। इन घटनाओं में चार लोगों की मौत हुई है और दो लोग घायल हुए हैं। इसके अलावा सात पशुओं को भी अपनी जान गंवानी पड़ी है। इसमें अब तक 37 लाख की संपत्ति का नुकसान हुआ है और 12,000 बचावकर्मी आग बुझाने में लगे हुए हैं।
उत्तराखंड के जगलों में आग लगना आग, इस बार सर्दियों में ही शुरू हुई घटनाएं
उत्तराखंड में जंगलों में आग लगने की घटनाएं बहुत आम हैं और यहां फरवरी से जून के समय अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती हैं। मई और जून के महीनों में तापमान में वृद्धि के कारण आगजनी की सबसे अधिक घटनाएं होती हैं। हालांकि इस बार सर्दियों से ही ऐसी घटनाएं सामने आना शुरू हो गईं और जनवरी से नैनीताल, अल्मोड़ा, तेहरी और पौड़ी जिलों में आगजनी की घटनाएं हो रही हैं। अकेले नैनीताल में 75 मामले सामने आ चुके हैं।
पिछले साल आई थी आगजनी की घटनाओं में कमी
बता दें कि पिछले साल उत्तराखंड में आगजनी की घटनाओं में गिरावट देखने को मिली थी और इसके कारण 172 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ था। इसके मुकाबले इस साल अभी तक 1,290 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हो चुका है। 2019 में यह आंकड़ा 2,981 हेक्टेयर और 2018 में रिकॉर्ड 4,480 हेक्टेयर रहा था। इसी तरह 2017 में 1,228 हेक्टेयर, 2016 में 4,433 हेक्टेयर और 2015 में 701 हेक्टेयर जंगल आग से प्रभावित हुए हुए थे।
90 प्रतिशत मामलों में इंसानों के कारण लगती है आग- विशेषज्ञ
अधिकारियों और विशेषज्ञों के अनुसार, 90 प्रतिशत मामलों में जंगलों में आग चारे और पर्यटन के लिए इंसानी अतिक्रमण के कारण लगती है। अधिकारियों के अनुसार, ग्रामीण आग के जरिए अपने पशुओं के लिए चारा इकट्ठा करते हैं। हालांकि हालिया समय में घटनाओं में आए इजाफे के लिए जलवायु परिवर्तन जैसे प्राकृतिक कारण भी एक वजह रहे हैं। कोरोना वायरस के कारण सरकार की तरफ से ढील को भी इस साल आगजनी में वृद्धि का जिम्मेदार माना जा रहा है।