क्या पटाखों से ही बढ़ता है प्रदूषण? जानिए स्वास्थ्य के लिए कितनी खतरनाक है आतिशबाजी
दिल्ली-NCR में बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए इस बार भी दिवाली पर पटाखे जलाने पर प्रतिबंध है। इसी तरह बिहार और हरियाणा के गुरुग्राम शहर में भी पटाखों भंडारण, विक्रय और जलाने पर पूरी तरह से रोक लगाई गई है। इन प्रतिबंधों ने फिर से बहस छेड़ दी है कि क्या पटाखे ही प्रदूषण के लिए जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं कि पटाखों से कितना प्रदूषण बढ़ता है और यह स्वास्थ्य के लिए कितने हानिकारक हैं।
दिवाली से पहले ही जहरीली हुई दिल्ली की हवा
दिवाली से पहले ही दिल्ली-NCR की हवा जहरीली हो चुकी है। यहां वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) का स्तर 'बहुत खराब' स्तर पर पहुंच गया है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के अनुसार, सोमवार को दिल्ली में सुबह 7:30 बजे तक औसत AQI 328 रहा। आने वाले दिनों में इसके 'गंभीर' स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। बता दें कि AQI के 400 पार पहुंचने पर उसे गंभीर श्रेणी में माना जाता है। यह मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।
दिल्ली में प्रतिबंध के बाद भी है पटाखे जलाने की योजना
लोकल सर्किल संस्था द्वारा किए गए सर्वे में सामने आया है कि दिल्ली-NCR के 18 प्रतिशत परिवार दिवाली पर पटाखे जलाएंगे। 9 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वह दिवाली पर पटाखे जरूर जलाएंगे और उन्हें पता है कि इसकी व्यवस्था कैसे करनी है।
पटाखों पर प्रतिबंध से प्रदूषण पर क्या पड़ता है असर?
फरवरी 2018 में यूनिवर्सिटी ऑफ मिनेसोटा और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फाइनेंस एंड पॉलिसी द्वारा दिल्ली की खराब हवा पर पटाखों के असर की जांच के लिए 2013 से 2016 तक के डाटा का अध्ययन किया था। उसमें सामने आया था कि दिवाली के अगले दिन दिल्ली में PM2.5 की मात्रा 40 प्रतिशत बढ़ती थी। इसी तरह दिवाली की शाम 6 बजे से रात 11 बजे के बीच PM2.5 में करीब 100 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी दर्ज की गई थी।
अन्य अध्ययनों में क्या हुआ खुलासा?
मई 2021 में प्रकाशित CPCB की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली के अगले दिन दिल्ली, भोपाल, आगरा, बेंगलुरु समेत 8 शहरों में PM10 की मात्रा में 22 से 114 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। उसके मुताबिक, दिवाली के बाद दिल्ली में PM10 की मात्रा 67.1 प्रतिशत बढ़ गई, जबकि, लखनऊ में ये 114 प्रतिशत बढ़ी थी। इसी तरह दिल्ली में PM2.5 की मात्रा 82.9 प्रतिशत और लखनऊ में 67.6 प्रतिशत तक बढ़ गई थी। ऐसे स्थिति बेहद खतरनाक मानी जाती है।
पटाखों से कितना फैलता है प्रदूषण?
पुणे स्थित चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन की ओर से 2016 में प्रकाशित पटाखों पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट में सामने आया था कि पटाखे पर्यावरण और मानवीय स्वास्थ्य दोनों के लिए बेहद खतरनाक हैं। एक सिगरेट जलाने पर PM2.5 के 22 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं। इसी तरह एक सांप की गोली जलाने में 64,500 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं। इस हिसाब से एक सांप की गोली 2,932 सिगरेट के बराबर प्रदूषण फैलाती है।
अन्य पटाखे कितने हैं खतरनाक?
अध्ययन के अनुसार, 1,000 पटाखों वाली लड़ी जलाने पर 38,540 माइक्रोग्राम/क्यूबिक मीटर पार्टिकल्स निकलते हैं, जो 1,752 सिगरेट के बराबर हैं। इसी तरह एक हंटर बंम (सूतली बम) 1,316, एक फुलझड़ी 472, एक जमीन च्रक 432 और एक अनार 221 सिगरेट के बराबर पार्टिकल्स निकालते हैं। ऐसे में दिवाली की रात में भारी मात्रा में जलाए जाने वाले पटाखे एक दिन में ही एक साल से ज्यादा का प्रदूषण हवा में फैला सकते हैं।
पटाखों के केमिकल से स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?
पटाखे को बनाने में कई तरह के खतरनाक केमिकलों का इस्तेमाल किया जाता है। ये केमिकल वायु प्रदूषण बढ़ाने के साथ मानव स्वास्थ्य पर भी बुरा असर डालते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, पटाखों को बनाने में सल्फर, पोटेशियम नाइट्रेट, अमोनियम और पोटेशियम, बोरियम नाइट्रेट, एंटीमनी सल्फाइड, लिथियम कंपाउंड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड जैसे खतरनाक केमिकलों का इस्तेमाल होता है। ये केमिकल अस्थमा, एलर्जी, लंग कैंसर, सांस की समस्या, पेट दर्द, डायरिया, अल्सर जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।
क्या प्रदूषण के लिए केवल पटाखे ही जिम्मेदार?
विशेषज्ञों के अनुसार, पटाखे प्रदूषण बढ़ाते हैं, लेकिन इनके अलावा अन्य कारणों से भी हवा खराब होती है। गाड़ियाें और उद्योगों से निकलने वाला धुआं, निर्माण गतिविधियां और थर्मल पावर प्लांट भी वायु प्रदूषण का बड़ा कारण है। अगस्त 2018 में संसदीय समिति द्वारा राज्यसभा में 'दिल्ली-NCR में वायु प्रदूषण की स्थिति' पर पेश की गई रिपोर्ट में कहा था कि दिल्ली-NCR की हवा में PM2.5 बढ़ाने में गाड़ियों से निकलने वाले धुआं का योगदान 25 प्रतिशत होता है।
पराली जलाने से कितना बढ़ता है प्रदूषण?
IIT कानपुर के अध्ययन में सामने आया था कि अक्टूबर-नवंबर में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसानों द्वारा जलाई जाने वाली पराली का दिल्ली-NCR की हवा में PM10 की मात्रा बढ़ाने में 17प्रतिशत और PM2.5 बढ़ाने में 26 प्रतिशत का योगदान रहता है।