#NewsBytesExplainer: क्या होते हैं PM2.5 और PM10 और ये कितने खतरनाक?
क्या है खबर?
पिछले कुछ वर्षों में दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा है।
बुधवार को दिल्ली में PM2.5 का स्तर 313 और PM10 का स्तर 427 था। ये स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित सीमा से क्रमशः 20.9 गुना और 9.5 गुना अधिक है।
वायु प्रदूषण पर बहस के समय अक्सर सुनाई देने वाला ये PM आखिर होता क्या है और ये कितना खतरनाक है, आइए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
पार्टिकुलेट मैटर
क्या है पार्टिकुलेट मैटर (PM) ?
पार्टिकुलेट मैटर (PM) हवा में मौजूद ठोस या तरल पदार्थों के सूक्ष्म प्रदूषक कणों को कहा जाता है।
इनमें धुएं, कालिख, तरल पदार्थ और धूल आदि के कण भी शामिल होते हैं, जिन्हें नग्न आंखों से देखा जा सकता है।
हवा की गुणवत्ता पता करने के लिए इन्हें अलग-अलग आकार के आधार पर परिभाषित किया गया है।
PM2.5 और PM10 ऐसे ही 2 आकार हैं। ये हवा में मौजूद PM के आकार को दर्शाते हैं।
अंतर
PM2.5 और PM10 में क्या अंतर है?
PM2.5 का मतलब है 2.5 माइक्रोमीटर या उससे छोटे प्रदूषक कण। यह लंबे समय तक हवा में मौजूद रह सकते हैं। यह मुख्य रूप से गैस, तेल, वाहन उत्सर्जन, औद्योगिक प्रक्रियाओं, निर्माण गतिविधियों और जीवाश्म ईंधन के जलने जैसे विभिन्न स्रोतों से उत्पन्न होते हैं।
दूसरी तरफ PM10 में 10 माइक्रोमीटर या उससे छोटे आकार के कण शामिल होते हैं। ये कण सड़क की धूल, निर्माण गतिविधियों, औद्योगिक उत्सर्जन और धूल भरी आंधी जैसे स्रोतों से उत्पन्न होते हैं।
प्रभाव
PM2.5 और PM10 का स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है?
कई अध्ययनों ने PM और विभिन्न गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बीच स्पष्ट संबंध पाया गया है।
प्रदूषण के यह कण सांस लेने में तकलीफ, अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), श्वसन संक्रमण और हृदय रोगों जैसी बीमारियों को पैदा कर सकते हैं या उन्हें और बिगाड़ सकते हैं।
कोई भी अंग इन कणों के प्रभाव से अछूता नहीं रहता।
बुजुर्गों के अलावा बच्चे और शिशु अपरिपक्व प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण PM2.5 और PM10 के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
जानकारी
बच्चों के फेफड़ों पर PM2.5 का क्या प्रभाव पड़ता है?
एक शोध में सामने आया था कि PM2.5 के उच्च स्तर के संपर्क में आने वाले बच्चों में 18 वर्ष की आयु में फेफड़ों की वृद्धि दर कम थी और उनके फेफड़े अच्छे से अपनी क्षमताएं विकसित नहीं कर पाए।
तुलना
PM10 और PM2.5 में कौन अधिक खतरनाक?
कैलिफोर्निया एयर रिसोर्सेज बोर्ड के अनुसार, PM2.5 और PM10 श्वसन तंत्र में गहराई तक प्रवेश करने की क्षमता रखते हैं, जिससे कई स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न हो सकती हैं। ये कण इतने छोटे होते हैं कि फेफड़े की नली में जमा हो सकते हैं।
इन दोनों में PM2.5 ज्यादा खतरनाक होते हैं। ये इतने छोटे होते हैं कि ये सांस लेने के दौरान हमारे खून में शामिल हो जाते हैं और फिर शरीर के लगभग सभी अंगों को प्रभावित करते हैं।
पर्यावरण
पर्यावरण पर भी असर डालते हैं PM
PM प्रकाश को बिखेरने और अवशोषित करके दृश्यता को प्रभावित करते हैं, जिससे वातावरण में दृश्यता कम हो जाती है।
ये कण पर्यावरण के पारिस्थितिक तंत्र को भी प्रभावित करते हैं, जिससे कभी अधिक गर्मी या सर्दी लगती है। ये पानी की गुणवत्ता और शुद्धता को भी प्रभावित कर सकते हैं।
इसके अलावा PM में मौजूद धातुओं और कार्बन तत्वों से पौधों की वृद्धि और उपज की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बचाव
बचाव के लिए क्या करें?
वायु प्रदूषण और PM2.5 स्तर को देखते हुए घर से बाहर न निकलें। बेहद जरूरी होने पर अपने नाक और मुंह को रूमाल या फिर N-95 मास्क से ढक कर ही बाहर निकलें।
घर को प्रदूषण से मुक्त रखने के लिए वेंटिलेशन का खास ख्याल रखें।
आप अपने घर पर एयर प्यूरीफायर भी लगवा सकते हैं। इससे घर के अंदर की हवा ठीक रहेगी।
प्रदूषण में बाहर व्यायाम स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता, इसलिए घर के अंदर व्यायाम करें।