कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई में लगे अधिकारियों ने दिए लॉकडाउन बढ़ाने समेत ये सुझाव
भारत में कोरोना वायरस (COVID-19) के खिलाफ लड़ाई में लगे 400 से अधिक कलेक्टर और डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट के बीच किए गए सर्वे में दो बड़ी बातें निकलकर सामने आई है। पहली यह कि जिला और गांव स्तर पर पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्विपमेंट (PPE) की भारी कमी है और दूसरी कि महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की अवधि को बढ़ाया जाना चाहिए। इसमें कोरोना वायरस को आजादी के बाद का सबसे बड़ा स्वास्थ्य संकट बताया गया है।
सर्वे में यह बताया गया है सरकार का लक्ष्य
'नेशनल प्रीपेयर्डनेस सर्वे ऑन COVID-19' की शुरुआत में कहा गया है कि सरकार का लक्ष्य कोरोना वायरस के कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकना और अगर यह शुरू हो जाए तो इसके लिए रणनीति बनाना है। सर्वे के लिए 410 जिलाधिकारियों ने खुद को रजिस्टर किया था, जिनमें से सभी ने सर्वे के सारे सवालों के जवाब नहीं दिए। 266 ऐसे अधिकारी हैं, जिन्होंने सारे जवाब दिए हैं। इन्हीं 266 जिलाधिकारियों के जवाब के आधार पर सर्वे किया गया है।
अधिकारियों ने बताई ये समस्याएं
सर्वे में 47 फीसदी अधिकारियों ने कहा कि जिला और ग्रामीण क्षेत्रों के अस्पतालों में मास्क, ग्लव्स आदि PPE की कमी चिंता का विषय है। वहीं 60 फीसदी ने कहा है कि जिला अस्पतालों में पर्याप्त ICU बेड नहीं हैं। 71 फीसदी ने वेंटिलेटर की कमी की तरफ इशारा किया है। 34 फीसदी ने कहा स्थानीय अस्पताल इस महामारी से लड़ने के लिए तैयार नहीं है, जबकि 28 फीसदी ने पर्याप्त आइसोलेशन बेड न होने की बात कही है।
लॉकडाउन की अवधि बढ़ाने का मिला सुझाव
सर्वे में भाग लेने 96 फीसदी अधिकारियों ने संक्रमण को रोकने के लिए जारी किए लॉकडाउन को प्रभावी बताया है। सर्वे में यह भी पूछा गया कि संक्रमण को रोकने के लिए सरकार को क्या एक कदम उठाना चाहिए तो अलग-अलग 21 सुझाव सरकार को मिले। इसमें सबसे प्रमुख था कि जब तक यह महामारी नियंत्रण में नहीं आती तब तक लॉकडाउन जारी रहना चाहिए। बता दें कि फिलहाल जारी 21 दिनों का लॉकडाउन 14 अप्रैल को समाप्त हो जाएगा।
लॉकडाउन के उल्लंघन पर कड़ी कार्रवाई का सुझाव
सर्वे में आगे कहा गया है कि लॉकडाउन या कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर खासतौर से ऐसी जगह जहां 50 से ज्यादा लोग शामिल हो, कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए। इसी तरह दूसरे जवाबों में कहा गया है कि लॉकडाउन की ध्यानपूर्वक समीक्षा होनी चाहिए।
अधिकारियों ने दी ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने की सलाह
सर्वे में पूछे गए सवालों के जवाब में संक्रमित लोगों का पता लगाने के लिए ज्यादा से ज्यादा टेस्ट करने की बात कही गई है। साथ ही इसमें महामारी से लड़ाई के दौरान जिलाधिकारियों को आने वाली अन्य समस्याओं के बारे जानकारी दी गई है। इसमें पता चला है कि लॉकडाउन के बाद शहरों से गांवों में जाने वाले प्रवासी मजदूर चेकअप कराने के लिए तैयार नहीं है। प्रशासन को इसके लिए भी काफी मशक्कत करनी पड़ती है।