मेजर जनरल से लेफ्टिनेंट जनरल बनकर माधुरी कानिटकर ने रचा इतिहास, देश की तीसरी ऐसी महिला
क्या है खबर?
हाल में सुप्रीम कोर्ट की ओर से सशस्त्र बलों में महिलाओं को पुरुषों की बराबरी का अधिकार दिए जाने के बाद सरकार ने इस ओर पहला कदम बढ़ा दिया है।
सरकार ने सेना में मेजर जनरल के पद पर तैनात माधुरी कानिटकर को लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोट कर दिया।
शनिवार शाम को माधुरी ने नई दिल्ली में डिप्टी चीफ, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (DCIDS), मेडिकल (डिफेंस चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) के रूप में कार्यभार संभाल लिया।
जानकारी
माधुरी ने रचा इतिहास
लेफ्टिनेंट जनरल का कार्यभार संभालते ही माधुरी ने इतिहास रच दिया। वह इस पद पर प्रमोट होने वाली तीसरी महिला है। सबसे पहले नौसेना की वाइस एडमिरल डॉ पुनीता अरोड़ा और फिर एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय इस पर पद पर प्रमोट हुई थीं।
बयान
माधुरी कानिटकर ने दिया बड़ा बयान
माधुरी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि CDS एक ऐसा संगठन है जिसमें महिलाएं निष्पक्ष, पारदर्शी, सम्मानित और सुरक्षित महसूस करती है। यहां उन्हें बढ़ने के अवसर मिलते हैं।
उन्होंने कहा, "बच्चो की तरह प्रतिदिन वर्दी का आनंद लें और असंभव को संभव बनाने के लिए खुद को चुनौती दें। कभी भी हार न माने, लगातार प्रयास करें। मैं प्रत्येक वर्दीधारी महिला से यही कहना चाहती हूं कि आधी दुनिया आपकी, लेकिन आपको अपना सर्वश्रेष्ठ देना है।"
पहली जोड़ी
सेना में इसी पद पर पहुंचने वाले पति-पत्नी की पहली जोड़ी
एविएशन एंड डिफेंस यूनिवर्स की संपादक संगीता सक्सेना ने बताया कि माधुरी के पति राजीव कानिटकर भी सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से ही सेवानिवृत्त हुए थे।
इसके बाद अब वह भी इस पद पर पहुंच गई है। ऐसे में भारतीय सेना में इस पर पहुंचने वाली पहली जोड़ी बन गई है। उनसे पहले सेना में कभी भी ऐसा नहीं हुआ था।
इसके अलावा वह सेना में लेफ्टिनेंट जनरल तक पहुंचने वाली पहली बाल रोग विशेषज्ञ है।
राष्ट्रपति पदक
राष्ट्रपति पदक से सम्मानित हो चुकी हैं माधुरी
माधुरी कानिटकर आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज की टॉपर और सर्वश्रेष्ठ छात्रा रही हैं। इसके लिए उन्हें राष्ट्रपति पदक से सम्मानित किया गया था।
उन्होंने एम्स में बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी में बाल चिकित्सा और प्रशिक्षण में स्नातकोत्तर किया है। वह प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक और तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सदस्य भी हैं।
उन्होंने पुणे और दिल्ली में पहली बाल चिकित्सा नेफ्रोलॉजी यूनिट स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है। वह पूणे में दो साल तक डीन के पद पर रही थी।
सुप्रीम कोर्ट
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने दिया था बड़ा फैसला
सेना में स्थाई कमीशन पाने से वंचित रह गई महिला अधिकारियों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट गत 17 फरवरी को फैसला सुनाते हुए दिल्ली हाईकोर्ट के महिलाओं को स्थाई कमिशन देने के फैसले को बरकरार रखा था।
इस मामले में सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी कि सेना में पुरुष जवान महिला अधिकारियों से कमांड लेने को तैयार नहीं है। कोर्ट ने याचिका को खरिज करते हुए सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति को विकासवादी प्रक्रिया बताया था।