कोरोना वायरस: मांग की कमी से 17 साल के निम्नतम स्तर पर पहुंची तेल की कीमत
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में हाहाकार मचा रखा है। इसके प्रसार को रोकने के लिए तमाम देशों में उठाए जा रहे लॉकडाउन के कदमों ने विश्व के अर्थव्यवस्था को धराशाही करना शुरू कर दिया है। यही कारण है कि लगातार ऊंचाई की ओर बढ़ रही कच्चे तेल की कीमतें भी कोरोना के आगे थम गई हैं और अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत गिरकर 17 साल के निम्न स्तर पर पहुंच गई।
सोमवार को भी गिरी कच्चे तेल की कीमत
कोरोना के कारण घटी तेल की मांग के कारण सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 6.62 प्रतिशत की कटौती के साथ 23.28 डॉलर यानी करीब 1,750 प्रति बैरल पर पहुंच गई है। इसी तरह वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट (WTI) की मूल्य निर्धारित में 5% की गिरावट के साथ ऑयल की कीमत 20 डॉलर यानी करीब 1,500 रुपये प्रति बैरल पर पहुंच गई है। यदि कोरोना का प्रकोप इसी तरह जारी रहा तो कीमतों में और गिरावट आएगी।
फिर से उत्पाद शुल्क बढ़ाने की तैयारी में है भारत
कोरोना के कारण अर्थव्यवस्था में आई कमी को देखते हुए भारत सरकार राजस्व जुटाने के लिए फिर से पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रहा है। यदि भारत ने पेट्रोल और डीजल पर एक रूपया भी उत्पाद शुल्क बढ़ाया तो इससे उसके राजस्व में सालाना 14,500 करोड़ रुपये अतिरिक्त की वृदि्ध होगी। बात दें कि भारत ने गत 14 मार्च को पेट्रोल और डीजल पर तीन रुपये का उत्पाद शुल्क बढ़ा दिया था।
भारत में 16 मार्च से स्थित है पेट्रोल और डीजल की कीमतें
तेल की मांग घटने से कम हो रही कच्चे तेल की कीमतों के बाद भी भारत में 16 मार्च से ही पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई है। कच्चे तेल की कीमतों में कमी का भारतीयों को कोई खासा लाभ नहीं मिला है।
कोरोना के अलावा यह भी है कच्चे तेल की कीमतों में कमी का कारण
कच्चे तेल की कीमतों में लगातार गिरावट आने का एकमात्र कारण विश्व में फैले कोरोना वायरस के प्रकोप ही नहीं है। इसके अलावा सऊदी अरब और रूस के बीच तेल मूल्य को लेकर चल रही लड़ाई भी इसका एक प्रमुख कारण है। सऊदी अरब भी कोरोना के प्रकोप से जूझ रहा है। ऐसे में तेल की कीमतों के और कम होने की उम्मीद है। दूसरी तरह भारत इस कमी का उपयोग अपनी राजस्व आय बढ़ाने के लिए करना चाहता है।
कीमतों में आ रही कमी से रिफाइनरियों के नुकसान की हो रही भरपाई
अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगातार कम हो रही कच्चे तेल की कीमतों से भारत में BS-VI ईंधन बनाने में पेट्रोलियम रिफाइनरियों को हुए नुकसान की भरपाई करने में काफी मदद मिली है। यदि यही हाल रहा तो रिफाइनरियों का घाटा काफी हद तक कम हो जाएगा।
उत्पाद शुल्क में बढ़ोत्तरी से कोरोना का मुकाबला करने में मिलेगी मदद
सरकार के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि वर्तमान में दिल्ली में पेट्रोल 69.59 रुपये और डीजल 62.29 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इस पर उत्पाद शुल्क में बढ़ोत्तरी का अंतिम निर्णय वित्त मंत्रालय द्वारा किया जाएगा। इस पर विचार-विमर्श चल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित उत्पाद शुल्क वृद्धि न केवल कोरोना से जारी जंग में आवश्यक बजट लाएगी, बल्कि भविष्य में कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि होने पर काम आएगी।
भारत में यह है उत्पाद शुल्क की स्थिति
भारत में वर्तमान में पेट्रोल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क 22.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल पर 18.83 रुपये प्रति लीटर है। सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें बढ़ने पर घरेलू उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए इस उत्पाद शुल्क में कटौती करती है।