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    बड़ी बेंच के पास नहीं जाएंगी अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं

    बड़ी बेंच के पास नहीं जाएंगी अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाएं

    लेखन मुकुल तोमर
    Mar 02, 2020
    12:42 pm

    क्या है खबर?

    सुप्रीम कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को सुनवाई के लिए एक बड़ी बेंच के पास भेजने से इनकार कर दिया है।

    अभी मामले पर पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच सुनवाई कर रही है और इसे सात सदस्यीय संवैधानिक बेंच के पास भेजने का मांग की गई थी।

    केंद्र सरकार ने इसके खिलाफ दलील दी थी। कोर्ट ने उसकी दलील स्वीकार करते हुए मामले को बड़ी बेंच को भेजने से इनकार कर दिया।

    पृष्ठभूमि

    पिछले साल 5 अगस्त को सरकार ने लिया था बड़ा फैसला

    पिछले साल 5 अगस्त को केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति के एक आदेश के जरिए अनुच्छेद 370 में बदलाव करते हुए जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म कर दिया था।

    सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई थीं जिनमें इस फैसले को अंसवैधानिक बताया गया था।

    मामले में कम से कम 23 याचिकाएं दायर की गई हैं जिनमें जम्मू-कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के फैसले को भी चुनौती दी गई थी।

    मांग

    कुछ याचिकाओं में की गई थी मामले को बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग

    इनमें से कुछ याचिकाओं में मामले को सात या नौ सदस्यीय बड़ी बेंच के पास भेजने की मांग भी की गई थी।

    इन याचिकाओं में कहा गया था कि अनुच्छेद 370 से संबंधित दो पुराने मामलों- 1959 में प्रेमनाथ कौल बनाम जम्मू-कश्मीर और 1970 संपत प्रकाश बनाम जम्मू-कश्मीर- में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों में विरोधाभास है और इसलिए मामले को सात या नौ सदस्यीय बड़ी बेंच के पास भेजा जाना चाहिए।

    पुराने फैसले

    इन दोनों फैसलों में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था?

    संपत प्रकाश मामले में अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370 तभी हटाया जा सकता है जब राष्ट्रपति जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक सभा की सिफारिश पर ऐसा करने का आदेश जारी करे।

    वहीं प्रेमनाथ कौल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अनुच्छेद 370 के अस्थायी प्रावधान इस धारणा पर आधारित है कि भारत और जम्मू-कश्मीर के रिश्ते पर अंतिम फैसला जम्मू-कश्मीर की संवैधानिक सभा ही ले सकती है।

    दलील

    केंद्र सरकार ने कहा- अस्थायी थी जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता

    अनुच्छेद 370 से संबंधित सभी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही पांच सदस्यीय बेंच ने सबसे पहले इसी मांग पर सुनवाई करने का फैसला किया।

    सुनवाई के दौरान केद्र सरकार ने इस मांग को विरोध करते हुए कहा कि ये दोनों फैसले एक-दूसरे से संबंधित नहीं थे और किन्हीं अन्य मसलों को लेकर थे।

    उसने कहा था कि जम्मू-कश्मीर की संप्रभुता अस्थायी थी और अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद इसे स्वीकार करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा है।

    फैसला

    कोर्ट ने कहा- दोनों फैसलों में नहीं कोई विरोधाभास

    दोनों तरफ की दलीलें सुनने के बाद पांच सदस्यीय बेंच ने 23 जनवरी को मामले पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था। इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि अगर उसे दोनों पुराने फैसलों में कोई बड़ा विरोधाभास दिखता है, तभी वो मामले को बड़ी बेंच के पास भेजेगी।

    आज कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि दोनों फैसलों में कोई विरोधाभास नहीं है और इसलिए मामले को बड़ी बेंच के पास भेजे जाने की कोई जरूरत नहीं है।

    जानकारी

    ये बेंच कर रही है अनुच्छेद 370 संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई

    जस्टिस एनवी रमणा की अध्यक्षता वाली जिस पांच सदस्यीय बेंच ने ये फैसला सुनाया है उसमें जस्टिस संजय किशन कौल, आर सुभाष रेड्डी, बीआर गवाई और सूर्यकांत शामिल हैं। अनुच्छेद 370 हटाने के फैसले की संवैधानिकता पर भी यही बेंच सुनवाई करेगी।

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