डेल्टा और अल्फा वेरिएंट के खिलाफ कारगर है कोवैक्सिन- अमेरिकी स्वास्थ्य संगठन
क्या है खबर?
भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को अल्फा और डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाया गया है। अमेरिका के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संगठन (NIH) ने ये बात कही है।
NIH के अनुसार, कोवैक्सिन लगवा चुके लोगों के खून में मौजूद एंटीबॉडीज डेल्टा और अल्फा वेरिएंट दोनों को निष्क्रिय करने में कामयाब रहीं। उसने दो स्टडीज के नतीजों के आधार पर ये दावा किया है।
अल्फा वेरिएंट को पहली बार यूनाइटेड किंगडम और डेल्टा वेरिएंट को भारत में पाया गयाा था।
बयान
कोवैक्सिन को अधिक प्रभावी बनाता है इसमें मौजूद अमेरिका में बना पदार्थ- NIH
NIH ने इस बात पर भी खुशी जताई कि कोवैक्सिन में अमेरिका में बनाया गया एक पदार्थ, अलहाइड्रॉक्सीक्युइम-II, मौजूद है जो इसे अधिक प्रभावी बनाने का काम करता है। इस पदार्थ को अमेरिका की वायरोवैक्स LLC कंपनी ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शियस डिजीजेज (NIAID) की मदद से बनाया था।
अलहाइड्रॉक्सीक्युइम TLR7 और TLR8 नामक रिसेप्टर्स को सक्रिय करता है जो वायरस के खिलाफ प्रतिक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
बयान
डॉ एंथनी फाउची बोले- खुशी है कि वैक्सीन में अमेरिका में बना पदार्थ मौजूद
NIAID प्रमुख डॉ एंथनी फाउची ने इस बात पर प्रशसा व्यक्त करते हुए कहा, "मुझे खुशी है कि अमेरिका में NIAID के सहयोग से बनाए गए एक नए पदार्थ एक ऐसी प्रभावी कोविड वैक्सीन का हिस्सा है जो भारत के लोगों के लिए उपलब्ध है।"
तकनीक
कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने बनाई गई है कोवैक्सिन
बता दें कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है।
इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की।
भारत समेत दुनियाभर में अब तक लगभग 2.5 करोड़ लोगों को यह वैक्सीन लग चुकी है।
ट्रायल
वयस्कों पर हुए ट्रायल में 77.8 प्रतिशत प्रभावी पाई गई है कोवैक्सिन
18 साल से अधिक उम्र के 26,000 लोगों पर हुए तीसरे चरण के ट्रायल में वैक्सीन को 77.8 प्रतिशत प्रभावी पाया गया था। इसके अलावा ये गंभीर बीमारी को रोकने में 100 प्रतिशत प्रभावी साबित हुई है।
अभी AIIMS दिल्ली और AIIMS पटना में 2 साल से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल चल रहा है और ट्रायल सफल रहने पर इसे सितंबर तक बच्चों पर इस्तेमाल की मंजूरी मिलने का अनुमान है।
वेरिएंट
क्या है अल्फा और डेल्टा वेरिएंट?
अल्फा और डेल्टा कोरोना वायरस के दो अधिक संक्रामक वेरिएंट हैं।
UK में पाया गया अल्फा वेरिएंट (B.1.1.7) कोविड-19 के मूल वेरिएंट से लगभग 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक है, वहीं भारत में पाया गया डेल्टा वेरिएंट (B.1.617) अल्फा वेरिएंट से भी 60 प्रतिशत अधिक संक्रामक है।
भारत में आई दूसरी लहर के लिए डेल्टा वेरिएंट ही जिम्मेदार रहा था, वहीं UK के 99 प्रतिशत नए मामलों के लिए भी डेल्टा वेरिएंट जिम्मेदार है।