Page Loader
कोरोना: 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर वैक्सीन का बड़ा ट्रायल करेगी फाइजर
बच्चों पर वैक्सीन का ट्रायल करेगी फाइजर

कोरोना: 12 साल से कम उम्र के बच्चों पर वैक्सीन का बड़ा ट्रायल करेगी फाइजर

Jun 09, 2021
10:31 am

क्या है खबर?

अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर ने मंगलवार को कहा कि वह 12 साल से कम उम्र के बच्चों के एक बड़े समूह पर अपनी कोरोना वायरस वैक्सीन का ट्रायल करेगी। ट्रायल के दौरान अमेरिका, फिनलैंड, पोलैंड और स्पेन समेत 90 जगहों पर 4,500 बच्चों पर वैक्सीन को परखा जाएगा। कंपनी को उम्मीद है कि सितंबर अंत तक उसे 5-11 साल के बच्चों पर फाइजर वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी मिल सकती है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।

वैक्सीन ट्रायल

सितंबर तक नतीजे आने की उम्मीद

पहले चरण में 144 बच्चों के ट्रायल के नतीजों के आधार पर फाइजर ने कहा है कि वह 5-11 साल के बच्चों को 10 माइक्रोग्राम और छह महीने से पांच साल तक के बच्चों को तीन माइक्रोग्राम की खुराक देकर वैक्सीन को परखेगी। कंपनी के प्रवक्ता ने कहा कि सितंबर तक 5-11 साल के बच्चों वाले ट्रायल के नतीजे आने की उम्मीद है। नतीजे आने के बाद उसी महीने इसकी मंजूरी के लिए आवेदन कर दिया जाएगा।

जानकारी

आखिर में आएंगे सबसे छोटे बच्चों के ट्रायल के नतीजे

प्रवक्ता ने बताया कि 5-11 साल के आयुवर्ग के बाद दो से पांच साल के बच्चों के ट्रायल के नतीजे आएंगे। अक्टूबर या नवंबर तक छह महीने से लेकर दो साल तक के बच्चों के ट्रायल के नतीजे आ जाएंगे।

वैक्सीनेशन अभियान

किशोरों को दी जा रही व्यस्कों के समान खुराक

फाइजर ने जर्मन कंपनी बायोएनटेक के साथ मिलकर कोरोना वायरस वैक्सीन तैयार की है और कई देश इसे 12 साल से अधिक उम्र के किशोरों के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। अमेरिका, यूरोप, कनाडा आदि देशों में 12 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को 30 माइक्रोग्राम की एक समान खुराक दी जा रही है। अकेले अमेरिका में अब तक 12-15 साल के 70 लाख किशोरों को फाइजर वैक्सीन की कम से कम एक खुराक लगाई जा चुकी है।

प्रक्रिया

ट्रायल के लिए ऐसे होता है बच्चों का चयन

वैक्सीन के ट्रायल के लिए बच्चों का चयन उसी तरह से होता है जैसे वयस्कों का होता है, लेकिन सहमति और प्रोसेसिंग में थोड़ा अंतर होता है। बच्चों के अभिभावकों से भी ट्रायल की मंजूरी लेनी होती है। मंजूरी के बाद स्वस्थ बच्चों की पहचान के लिए उनकी कुछ जांच की जाती हैं और इसमें जिन बच्चों को स्वस्थ पाया जाता है, उन्हें वैक्सीन दी जाती है। विशेषज्ञों के अनुसार, बच्चों के ट्रायल में जल्दबाजी नहीं की जा सकती।

कोरोना वायरस

भारत में बच्चों का वैक्सीनेशन कब शुरू होगा?

भारत में वैक्सीन लॉन्च करने के लिए फाइजर और सरकार के बीच बात चल रही है। अगर फाइजर को यहां लॉन्चिंग की अनुमति मिलती है तो कंपनी किशोरों के लिए वैक्सीन लॉन्च कर सकती है। माना जा रहा है कि जुलाई से फाइजर भारत में वैक्सीन आपूर्ति शुरू कर सकती है। दूसरी तरफ देश में भी बच्चों पर वैक्सीन के ट्रायल शुरू हो चुके हैं। छह से नौ महीनों के बीच ट्रायल के नतीजे आने शुरू हो जाएंगे।

अहमियत

क्यों अहम है बच्चों का वैक्सीनेशन?

पूरी दुनिया और खासकर भारत में बच्चों का वैक्सीनेशन इसलिए भी अहम है क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों के ज्यादा प्रभावित होने की आशंका जताई जा रही है। भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार समेत कई विशेषज्ञ यह बात कह चुके हैं। विशेषज्ञों ने छह-सात महीने बाद तीसरी लहर आने की आशंका जताई है और अगर इस बीच बच्चों का वैक्सीनेशन शुरू हो सकता है तो इसे कुछ हद तक काबू किया जा सकेगा।