सितंबर तक आ जाएगी बच्चों की कोरोना वायरस वैक्सीन- डॉ गुलेरिया
दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉ रणदीप गुलेरिया ने सितंबर तक बच्चों की कोरोना वायरस वैक्सीन आने की बात कही है। उन्होंने कहा कि भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का 2 साल से 18 साल तक के बच्चों और किशोरों पर ट्रायल सितंबर तक पूरा हो जाएगा और इसी महीने इसे मंजूरी भी दे दी जाएगी। उन्होंने फाइजर की कोरोना वैक्सीन से बच्चों के वैक्सीनेशन में मदद मिलने की बात भी कही है।
क्या बोले डॉ गुलेरिया?
इंडिया टुडे से बात करते हुए डॉ गुलेरिया ने कहा, "बच्चों पर कोवैक्सिन का दूसरे और तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने के बाद इसका डाटा सितंबर तक आ जाएगा और वैक्सीन को इसी महीने मंजूरी दे दी जाएगी।" उन्होंने कहा कि अगर भारत में मंजूरी मिली तो फाइजर की वैक्सीन भी देश में बच्चों के वैक्सीनेशन का एक विकल्प दे सकती है।
तीसरी लहर में बच्चों के अधिक संक्रमित होने का कोई सबूत नहीं- डॉ गुलेरिया
कोरोना संक्रमण की तीसरी लहर में बच्चों के अधिक प्रभावित होने की आशंकाओं पर डॉ गुलेरिया ने कहा कि इस थ्योरी पर विश्वास करने का कोई कारण नहीं है। सीरो सर्वेज का हवाला देते हुए बच्चे भी कोरोना वायरस से संक्रमित हुए हैं और इसलिए बिना वैक्सीनेशन के भी उनमें संक्रमण के खिलाफ कुछ इम्युनिटी आ गई होगी। AIIMS और विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक स्टडी में बच्चों में उच्च सीरो पॉजिटिविटी पाई जा चुकी है।
डॉ गुलेरिया ने की स्कूल खोलने पर विचार करने की अपील
डॉ गुलेरिया ने सरकारों से स्कूलों को खोलने पर विचार करने की भी कहा। हालांकि ये सुपर स्प्रेडर न बनें, इसके लिए उन्होंने कंटेनमेंट जोन में अलग-अलग दिनों पर स्कूल खोलने का सुझाव दिया। इसके अलावा उन्होंने खुले में कक्षाएं लगाने की सलाह भी दी।
AIIMS दिल्ली और पटना में चल रहा बच्चों पर कोवैक्सिन का ट्रायल
बता दें कि भारत बायोटेक की कोवैक्सिन का अभी AIIMS दिल्ली और AIIMS पटना में 2 साल से 18 साल के बच्चों पर ट्रायल चल रहा है। 12 मई को ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने उसे ये मंजूरी दी थी। 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर हुई ट्रायल में वैक्सीन को 77.8 प्रतिशत प्रभावी पाया गया है और कल ही DCGI के विशेषज्ञ समूह ने इस डाटा को मंजूरी दी है।
कोरोना वायरस को निष्क्रिय करने बनाई गई है कोवैक्सिन
गौरतलब है कि भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। भारत के अलावा ब्राजील जैसे कुछ देशों ने भी इसकी खुराकें मांगी हैं।
कोवैक्सिन को जनवरी में मिली थी आपातकालीन उपयोग की मंजूरी
कोवैक्सिन की जनवरी में क्लीनिकल ट्रायल मोड में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिली थी और शुरूआत में इसका बेहद कम उपयोग हुआ था। पिछले महीने ही DCGI ने इसे क्लीनिकल ट्रायल मोड से हटाने की मंजूरी दी थी और अब इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो रहा है। अभी देश में 18 साल से अधिक उम्र के लोगों पर इस वैक्सीन का उपयोग हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी यही वैक्सीन लगवाई है।